नई दिल्ली। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है और यूक्रेन से हर दिन बेबस और लाचार तस्वीरें दुनिया के सामने आ रही हैं। इस पर पूरी दुनिया मौन है लेकिन 44 वर्षीय यूक्रेन के राष्ट्रपति वलाडिमिर जेलेंस्की पूरी तरह से देश और उसके नागरिकों के साथ खड़े हैं। आज पूरी दुनिया की निगाहें केवल राष्ट्रपति पर टिकीं हुईं हैं। उनके हर फैसले को बेहद बारीकी से नोटिस किया जा रहा है। राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की 2019 से यूक्रेन के राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और 2019 में उन्होंने 73% वोटों के साथ चुनाव जीता था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेलेंस्की राष्ट्रपति बनने से पहले एक कॉमेडियन के रूप में काफी चर्चित थे। सर्वेंट ऑफ द पीपुल सिरीज में उन्होंने इतिहास के एक शिक्षक की भूमिका निभाई थी जो किस्मत से देश का राष्ट्रपति बन जाता है, उस विनम्र शिक्षक का भ्रष्टाचार के खिलाफ दिया गया बयान तब ऑनलाइन वायरल हो गया था। यह एक ऐसी दिलचस्प कथा थी, जिसने राजनीति से निराश यूक्रेन के लोगों में नई उम्मीद पैदा की थी। शायद तब लोगों या कहिए खुद जेलेंस्की को भी नहीं पता होगा कि वह सचमुच एक दिन देश के राष्ट्रपति बन जाएंगे। 

कॉमेडी सीरियल में बने थे राष्ट्रपति, असल में भी यह कारनामा कर दिखाया
2014 यूक्रेन के लिए उथल-पुथल का साल था। कई महीनों चले प्रदर्शनों के बाद यूक्रेन के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया। इसके बाद रूस ने क्राइमिया पर कब्जा कर लिया और देश के पूर्वी हिस्से में अलगाववादी लड़ाकों का समर्थन किया। यहां अब भी लड़ाई चल रही है। इन घटनाओं के एक साल बाद 'सर्वेंट ऑफ द पीपुल' धारावाहिक 1+1 नेटवर्क पर प्रदर्शित हुआ। इसमें वासीली गोलोबोरोडको का एक किरदार दिखाया गया जिसने एक इतिहास टीचर से देश के राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया। किरदार निभा रहे जेलेंस्की ने बाद में असल जिंदगी में ये कारनामा कर दिखाया। 

पार्टी का नाम 'सर्वेंट ऑफ द पीपुल्स' रखा
वोलोदिमीर जेलेंस्की पूर्व में शांति और साफ राजनीति के वादे के साथ राजनीति में आए और अपनी पार्टी का नाम 'सर्वेंट ऑफ द पीपुल्स' रखा, अब यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने इस राष्ट्रीय नेता को अंतरराष्ट्रीय संकट के केंद्र में ला दिया है।  44 वर्षीय राष्ट्रपति के सामने अब अपने देश को सुरक्षित रखने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की चुनौती है। जेलेंस्की ने अपने प्रतिद्वंदी राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको को चुनाव में हरा दिया। पोरोशेंको उन्हें अनुभवहीन प्रतिद्वंदी मान रहे थे, बाद में ये अनुभवहीनता ही जेलेंस्की की ताकत साबित हुई। उन्हें चुनावों में 73.2 प्रतिशत मत हासिल मिले और 20 मई 2019 को उन्होंने यूक्रेन के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

25 जनवरी 1978 को हुआ था जेलेंक्सी का जन्म
वोलोडिमिर जेलेंस्की का जन्म 25 जनवरी 1978 तत्कालीन सोवियत संघ के शहर क्रिवी रिह में हुआ था। वर्तमान में यह शहर यूक्रेन का हिस्सा है। जेलेंस्की के माता-पिता यहूदी थे। बचपन में ही जेलेंस्की का परिवार मंगोलिया के एर्डेनेट में रहने चला गया। इस कारण वोलोडिमिर जेलेंस्की की प्रारंभिक शिक्षा मंगोलिया में हुई। इसके बावजूद उन्होंने यूक्रेनी और रूसी भाषा पर अपनी पकड़ बनाए रखी। बड़े होने पर वो वापस यूक्रेन पहुंचे और 1995 में कीव नेशनल इकोनॉमिक यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री के साथ ग्रेजुएशन किया।  लेकिन, वास्तव में वो सफल कॉमेडी के क्षेत्र में सफल हुए। युवावस्था के दौरान वो रूसी टीवी पर कॉमेडी शो में शामिल हुए। साल 2003 में उन्होंने एक टीवी प्रोडक्शन कंपनी बनाई जो उनकी कॉमेडी टीम केवार्ताल-95 के नाम पर थी। ये कामयाब रही। उनकी कंपनी ने यूक्रेन के 1+1 नेटवर्क के लिए शो प्रोड्यूस किए। इस कंपनी के विवादित अरबपति मालिक इहोर कोलोमोइस्की ने बाद में राष्ट्रपति पद के लिए जेलेंस्की की उम्मीदवारी का समर्थन किया। साल 2010 के दशक में टीवी और फिल्मों में उनका करियर बढ़िया चल रहा था। साल 2009 में उन्होंने 'लव इन द बिग सिटी' और 2012 में 'जेवेस्की बनाम नेपोलियन' फिल्में  भी बनाईं। 

देश में शांति बनाए रखने की पुरजोर कोशिश की
राष्ट्रपति बनने के बाद जेलेंस्की ने 2014 से देश के पूर्व में जारी गृहयुद्ध को समाप्त करने का वादा पूरा करने की कोशिश की, इस युद्ध में 14 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। शुरुआत में उन्होंने समझौता करने का प्रयास किया। उन्होंने रूस से वार्ता की और कैदियों की अदला-बदली भी की। उन्होंने शांति समझौते की प्रक्रिया को लागू करने के लिए प्रयास भी किए। इसे मिंस्क समझौता भी कहा जाता है, हालांकि, ये कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सके।
बाद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में अलगाववादियों के नियंत्रण वाले इलाके में रह रहे लोगों को रूस का पासपोर्ट देने की घोषणा की। इससे यूक्रेन और रूस के रिश्तों में और भी कड़वाहट आ गई।
जुलाई 2020 में एक संघर्ष विराम जरूर लागू हुआ, लेकिन छुट-पुट झड़पें जारी रहीं। वहीं, जेलेंस्की ने और मजबूती से यूक्रेन के यूरोपीय संघ और सैन्य गठबंधन नाटो की सदस्यता हासिल करने की बात कहनी शुरू कर दी। इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन नाराज़ हो गए। कई बार जेलेंस्की अपनी बात को मज़बूती से कहने में संघर्ष करते भी नज़र आए। उनके आलोचकों ने अनुभवहीनता को इसकी वजह बताया। कहा जा रहा है कि ऐसा उन्होंने अमेरिका के दबाव में किया।

संकट की इस घड़ी में मजबूती से खड़े हैं 
हालांकि युद्ध की इस घड़ी में अपने देश के साथ मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं। कई बार खबरें आईं कि वह इस मुसीबत की घड़ी में देश छोड़कर चले गए हैं लेकिन उन्होंने वीडियो जारी कर इस बात का खंडन किया और कहा कि वह अपने देशवासियों को छोड़कर कहीं नहीं जा सकते। मरते दम तक वह युद्ध लड़ेंगे। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस संबंध में मदद मांगी है।