झारखंड के खूंटी जिले में एक दशकों से एक अनोखी तीरंदाजी प्रतियोगिता चली आ रही है। आम तौर पर प्रतियोगिता में विजेता को मेडल, शिल्ड, ट्रॉफी और कैश प्राइज की जाती है। लेकिन झारखंड की इस प्रतियोगिया में ऐसा इनाम दिया जाता है जिससे एक सालतक परिवार का पेट चलता है और खिलाड़ी पूरे 365 दिन जीत का स्वाद चखता है। यह प्रतियोगिता हर साल मकर संक्रान्ति के मौके पर आयोजित होता है। केन्द्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने ट्वीटर पर इसकी सराहणा करके प्रदेश की इस विशेषता को दूर दूर तक पहुंचा दिया है।दशकों से चली आ रही यह परंपरा बेझा बिंधा के नाम से जानी जाती है। प्रत्येक वर्ष यह प्रतियोगिता मकर संक्रांति के दिन आयोजित होती है। नौढ़ी गांव के जमींदार समीर सिंह मुंडा के पूर्वजों के द्वारा सौ साल पूर्व से इस अनूठी परंपरा को आज भी कायम रखा गया है। प्रत्येक वर्ष काफी उत्साह-उमंग के साथ इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। 

प्रतियोगिता के विजेता धनुर्धर सबंत मछुवा को एक एकड़ जमीन दी गयी जिस पर वह साल भर खेती करके अपने परिवार का भरन पोषण करेगा। इस प्रतिभागियों के तहत निशाना साधने के लिए खेत के बीचों-बीच केला का एक थंब गाड़ा जाता है। उसके करीब सौ कदम की दूरी से प्रतिभागी अपने पारंपरिक तीर-धनुष से उस पर निशाना साधते है। केला के थंब पर सबसे पहले निशाना लगाने वाला विजेता होता है और उपहार में वह जमीन उसकी हो जाती है। इस साल का विजेता धनुर्धर संबत मछुवा बना। जो सातवीं राउंड में सटिक निशाना साधते हुए 100 गज की दूरी से केले को भेदने में कामयाब रहा।