मुंबई की सत्र अदालत ने 2016 में सड़क नियमों के उल्लंघन करने और ट्रैफिक पुलिस के एक कांस्टेबल के साथ मारपीट करने के मामले में दो आरोपियों को छह महीने की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस डी तौशिकर ने 11 अक्तूबर को दिए आदेश में दोनों पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस कांस्टेबल को चोटें आई हैं, इसलिए आरोपी को उन्हें 8 हजार रुपये का मुआवजा भी देना होगा। दोनों आरोपियों को सत्र अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 353 और 332 के तहत दोषी ठहराया।अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने 14 जुलाई 2016 को वर्ली में 'नो एंट्री' रोड पर मोटरसाइकिल रोकने के बाद ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल प्रवीण कदम को थप्पड़ मार दिया और गर्दन दबा दी। पुलिस कांस्टेबल ने नियमों का उल्लघंन करने पर दोनों को रोका था।

आरोपी पक्ष के वकील ने लगाया गलत फंसाने का आरोप
आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि दोनों मामले झूठे और उन्हें गलत फंसाया गया था। चिकित्सा साक्ष्य में कांस्टेबल के चेहरे या गर्दन पर कोई चोटों के निशान नहीं आए थे। हालांकि, कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि यह जरूरत नहीं है कि थप्पड़ का निशान लंबे समय तक नहीं रह सकता है। इसलिए मेडिकल पेपर में थप्पड़ के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं करना स्पष्ट और तार्किक है।

बर्दी में होने के बावजूद भी की गई मारपीट
अदालत ने कहा कि आरोपी और पीड़ित कांस्टेबल के बीच कोई पिछली दुश्मनी नहीं थी और वे एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे। आदेश में कहा गया, अपराध को देखे तो यह साफ है कि आरोपी ने दिन में कांस्टेबल के साथ मारपीट की। वह ड्यूटी पर था और घटना के समय वर्दी में था।