सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी
पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को सही कहा, 13 अगस्त को अगली सुनवाई

नई दिल्ली ।पश्चिम बंगाल में सीबीआई जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने बुधवार को याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट इस मामले पर 13 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि, जब राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए दी गई अपनी परमीशन को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है।
बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 131 का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का जिक्र है। इसके मुताबिक केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में की जाती है।

 केंद्र और बंगाल के बीच शुरु हुआ विवाद
पश्चिम बंगाल और केंद्र के बीच ताजा विवाद संदेशखाली केस के बाद शुरु हुआ। ईडी ने 5 जनवरी को बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी नेता शेख शाहजहां के घर छापा मारा था। इस दौरान अधिकारियों पर पर टीएमसी समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे। बाद में सामने आया कि शाहजहां ने कई महिलाओं से यौन उत्पीडऩ किया है। केंद्र ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, चूंकि राज्य सरकार की परमीशन नहीं थी। इसलिए जांच एजेंसी ने हाईकोर्ट से इजाजत ली। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली केस सीबीआई को सौंपा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने महिलाओं के यौन शोषण मामले में एफआईआर दर्ज की।