पंजाब में कांग्रेस ने बगावत देख 8 सीटों पर कैंडिडेट की अनाउंसमेंट रोक ली है। जिससे चार सिटिंग विधायकों की टिकट भी फंस गई है। अभी तक कांग्रेस ने पटियाला शहरी और जलालाबाद से कैंडिडेट नहीं उतारा है। यहां से पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल उम्मीदवार हैं। यह कांग्रेस की रणनीति है या फिर किसी दिग्गज या सांसद को उतारने की तैयारी, इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। पंजाब में नामांकन के लिए सिर्फ 2 दिन बचे हैं। ऐसे में टिकट के दावेदारों की भी चिंताएं बढ़ी हुई हैं।

कांग्रेस ने पटियाला अर्बन, अटारी, जलालाबाद, बरनाला, भदौड़, लुधियाना साउथ, खेम करण और नवांशहर से टिकट की घोषणा नहीं की है। इनमें अटारी से तरसेम डीसी, खडूर साहिब से रमनजीत सिक्की, जलालाबाद से रमिंदर आवला और खेमकरण से सुखपाल भुल्लर की टिकट पर पेंच फंसा हुआ है। चर्चा यह भी है कि रमिंदर आवला जलालाबाद से नहीं लड़ना चाहते।पटियाला में कांग्रेस के दिग्गज नेता लाल सिंह ने दावेदारी ठोक रखी है। खडूर साहिब से सांसद जसबीर डिंपा बेटे को चुनाव लड़वाना चाहते हैं, यह देख विधायक सिक्की ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भी भर दिया है। पंजाब में टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में 15 सीटों पर बगावत हो चुकी है। इनमें समराला से विधायक अमरीक ढिल्लो नामांकन भर चुके हैं। खरड़ से पूर्व मंत्री जगमोहन कंग बेटे यादविंदर कंग को मैदान में उतार रहे हैं। बस्सी पठाना से सीएम चरणजीत चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। आदमपुर और श्री हरगोबिंदपुर में उम्मीदवार बदलने की मांग की जा रही है। सुल्तानपुर लोधी में मंत्री राणा गुरजीत अपने बेटे राणा इंद्र प्रताप को कांग्रेस कैंडिडेट के खिलाफ उतार चुके हैं। राजनीतिक तौर पर इसे कांग्रेस की रणनीति माना जा रहा है। कांग्रेस अंतिम वक्त में फैसला करेगी ताकि बागी चुनाव न लड़ सकें।