नई दिल्ली। कर्नाटक की रजनी शेट्टी को बेजुबान जानवरों से बेहद प्यार है। वह एक या दो दिन बल्कि 800 से अधिक बेजुबानों का पेट पालती हैं। वह कर्नाटक के मंगलुरू जिले की रहने वाली हैं। वह अपना घर चलाने के लिए दूसरों के घरों में काम करती हैं। उनकी मानें तो करीब 20 वर्ष पूर्व एक दिन वह बस से कहीं जा रही थीं, उसी समय उन्होंने एक भूखे कुत्ते को खाने के ठेले की ओर देखते हुए देखा। खाने के लिए तरसते उस कुत्ते को देखकर उनसे रहा नहीं गया और वह उसी समय बस से उतर गईं। उन्होंने उस भूखे कुत्ते को खाना खिलाया। उसके बाद से उसी दिन से उन्होंने बेजुबानों की मदद करने का फैसला किया। रजनी की मानें तो आज मैं प्रतिदिन 200 किलोग्राम चावल और चिकन बनाती हूं और स्कूटी से अपनी बेटी के साथ सड़कों पर घूमने वाले जानवरों को खाना खिलाने का काम करती हूं। इस तरह आज मैं हर रोज इधर-उधर घूमते हुए करीब 800 जानवरों का पेट भरती हूं। इस काम में पति दामोदर और मेरे दोनों बच्चे भी मेरा पूरा साथ देते हैं। मेरा दिन सुबह साढ़े-पांच बजे से बेजुबानों के लिए खाना बनाने से शुरू होता है और सभी जानवरों का पेट भरने के बाद ही मैं अपने काम पर लगती हूं।

बचाती हूं जान 
बेजुबानों का पेट भरने के साथ ही मैं उन्हें कुओं, नालों आदि जगहों से बचाने का भी काम करती हूं। मैंने कई बार कुएं में उतरकर और लंबी दीवारों पर चढ़कर फंसे हुए जानवरों को बचाया है। पिछले 20 सालों में मैंने एक-दो नहीं, बल्कि 2,000 से अधिक जानवरों की जान बचाई है और चोटिल और घायल जानवरों के इलाज का प्रबंध किया।  

वीडियो हुआ वायरल
कुछ समय पहले गांव के कुएं में बिल्ली का एक बच्चा फंस गया था। जैसे ही मुझे पता चला, मैं तुरंत उस कुएं के पास गई और अपनी परवाह किए बगैर रस्सी के सहारे उस 40 फीट गहरे कुएं में उतर गई। काफी कोशिशों के बाद आखिर मैं बिल्ली के बच्चे को बचाने में सफल हुई। उसके बाद मेरे रेस्क्यू का वीडियो वायरल हो गया, जिसे देख शहर की कई संस्थाएं हमारी आर्थिक मदद के लिए आगे आईं और देश भर में मेरे इस काम की खूब सराहना भी हुई। 

बेजुबानों की सेवा में खुशी
मुझे इन बेजुबानों से बेहद लगाव है और उन्हें बचाने और खाना खिलाने में मुझे बहुत खुशी मिलती है, इसलिए मैं यह काम कभी बंद नहीं करना चाहती। आज ये सभी मेरे जीवन का एक अटूट हिस्सा बन गए हैं। शहर में मैं इन जानवरों के लिए एक विशेष अस्पताल खुलवाना चाहती हूं, जहां सड़कों पर घूमते घायल या चोटिल जानवरों की मुफ्त में चिकित्सा हो सके।