हमारी आन,वान एवं शान का प्रतीक हमारा यह राष्ट्रीय-ध्वज तिरंगा अपने तीन रंगों में बहुत से निहितार्थ निहित हैं।भारतीय संस्कृति में विभिन्न रंगों के अपने अपने गूढ़ार्थ हैं।शीर्ष पर केसरिया बसंती-वयार,मन-भावन उमंगों से सरावोर होती है,जो हमारे सात्विक स्वरूप को दर्शाती है साथ ही तामसिक प्रवृतियों से दूरी रखने को प्रेरित करती है।हम सभी देखते हैं कि हमारे ऋषियों,मुनियों  की वेशभूषा भी तो केसरिया है जो उनकी सात्विक वृत्तियों की ओर संकेत करती है।साथ ही दुष्प्रवृतियों के निराकरण हेतु उनके पास ब्रह्म-दण्ड का भी विकल्प रहता है।हमारे इन्ही मनोभावों में देश-धर्म के प्रति  द्वेष-भावनाओं से रक्षार्थ दण्ड-शक्ति जागृति हेतु भावनात्मक जोश उत्पन्न करती है और देश-वासियों में देश-हित में बलिदान देने की आबाज बुलन्द करते हुए कहते हुए,गाते हुए,नाचते हुए दिखेंगे,मेरा रंग दे बसंती चोला ,मेरा रंग दे बसंती चोला तिरंगे के मध्य में जो सफेद रंग है,साथ ही अशोक-चक्र है।जिसमें निहित ये 24 तीलियों का भी अपना एक निहितार्थ है।हमारी भारतीय संस्कृति के विभिन्न 24 विशिष्ट दिव्य आत्माओं स्वरूप अवतारी,शांति-दूतों की जीवन्तता की प्रतीक हैं। यह हमारी संस्कृति की *सर्वे भुवन्ति सुखिनः की प्रबल-भावना को दर्शाता है।सभी सुखी हों,के साथ वसुधैवकुटुंवकम की ओर प्रेरित करता है। साथ ही इसमें हमारी पंचशील की पुनीत-भावना भी निहित है।
नीचे जो हरा रंग है,वह हमारे जीविकोपार्जन से संबंधित है।भारतीय जीवका का मूलस्रोत खेती-क्यारी है।जो हमारे मनोभावों को,सामान्य जन-मानस को हरित-क्रांति की ओर प्रेरणा देता है।आज विश्व -भर के देश हमारी खाद्यान की ओर बड़ी ही आशाभरी दृष्टि से देख रहे हैं।अतः हमारा यह राष्ट्रीय-ध्वज  स्वयं में इन तीन रंगों के साथ अपनी सम्प्रभुता के साथ विश्व-शान्ति एवं मंगल की कामना करता है

होतीलाल 
सोम दत्त विहार ,मेरठ