नई दिल्ली। चेन्नई की रहने वाली महज सात साल की प्रसिद्धि सिंह फलों के हजारों पेड़ लगा चुकी हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। प्रसिद्धि फिलहाल हजारों स्कूली छात्रों को साथ लेकर पर्यावरण को बेहतर बनाने के मिशन पर काम कर रही हैं। प्रसिद्धि फॉरेस्ट फाउंडेशन की संस्थापक आज अपने साथ 10 हजार से अधिक ईकोवारियर्स को जोड़ चुकी हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य इस धरती को पहले से अधिक हरा-भरा बनाना है।

अगले 2 सालों में एक लाख से अधिक वृक्ष लगाने का लक्ष्य
पृथ्वी को और हरा बनाने के उद्देश्य से प्रसिद्धि अगले दो वर्षों में एक लाख से अधिक फलों के पौधे लगाना चाहती हैं। इसे लेकर उनका लक्ष्य है कि सभी को केमिकल मुक्त फल आसानी से उपलब्ध कराए जा सकें। कोरोना महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी प्रसिद्धि अन्य छात्रों के साथ ऑनलाइन सेशन के जरिये जुड़ी हुई थीं, जहां वे उन्हें पौधे लगाना, योग करना और बड़े स्तर पर वृक्षारोपण के लिए फंड इकट्ठा करने के बारे में प्रशिक्षण दे रही थीं।

2016 आए वर्धा चक्रवात के बाद की शुरुआत
प्रसिद्धि के लिए उनका यह खास मिशन तब शुरू हुआ, जब उन्होंने साल 2016 आए वर्धा चक्रवात के कारण पेड़ों को हुए नुकसान को करीब से देखा। पर्यावरण के प्रति जागरूक परिवार से आने के कारण प्रसिद्धि को उस घटना ने काफी प्रभावित किया और तब उन्होंने अपनी छोटी उम्र में ही स्थिति की गंभीरता को समझ लिया था। प्रसिद्धि की मानें तो शुरुआत में उनके दोस्त उनके मिट्टी से सने हुए हाथों को देखकर ताने देते थे, लेकिन जब उन दोस्तों ने उनके द्वारा लगाए गए पेड़ों से फल और सब्जियां खाना शुरू किया तो उनकी मानसिकता बदल गई। आज वे सभी दोस्त उन्हें पेड़ लगाने और इसके लिए धन इकट्ठा करने में मदद करते हैं। उनके पिता प्रवीण सिंह की मानें तो उन्होंने अपनी बेटी को किसी भी चीज से रोका नहीं है, बल्कि प्रसिद्धि को वह सब करने की आजादी मिली है, जो वह करना चाहती हैं।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम
प्रसिद्धि का नाम भारत में सबसे कम उम्र के फल वन निर्माता होने के चलते इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। आज प्रसिद्धि सभी से पानी बचाने, पेड़ लगाने और बेहतर भारत के लिए जैव विविधता में मदद करने का आग्रह करती हैं। अपने एनजीओ के माध्यम से पर्यावरण के प्रति उनके द्वारा किए गए सराहनीय काम को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। बीते साल महज सात साल की उम्र में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाली सबसे कम उम्र की यह बच्ची आज देश भर के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है।