नई दिल्ली। उत्तराखंड के रहने वाले सचिन कोठारी ने नौकरी से उबकर नर्सरी शुरू की। जिसके जरिए आज वह देश में करीब 10 लाख पौधे भेजते हैं। कई चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने इसकी शुरूआत की और अपनी अलग पहचान बनाई। सचिन की मानें तो मेरी इस नर्सरी से मौसम के अनुरूप फूलों और सब्जियों के करीब 10 लाख पौधे देश के कई बड़े शहरों में भेजे जाते हैं। मैं उत्तराखंड के देहरादून का निवासी हूं। एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने दिल्ली में नौकरी की और चार साल में चार कंपनियां बदलीं। इस दौरान इस भाग-दौड़ भरी तनावपूर्ण जिंदगी से परेशान होकर मैं अपने शहर लौट आया। काफी सोच-विचार के बाद मैंने यहीं रहकर कुछ अलग करने का फैसला किया। काफी अध्ययन करने के बाद 2012 में मैंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर देहरादून से 15 किलोमीटर दूर सुरखेत गांव में ‘देवभूमि नर्सरी’ की शुरुआत की। करीब छह महीने तक नुकसान होने के बाद दोस्त ने साथ छोड़ दिया और वापस दिल्ली लौट गया। घर वाले भी मुझे ताना देने लगे, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और पूरी ईमानदारी से काम में लगा रहा। इस दौरान मैं इंटरनेट से और इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों से राय लेकर जानकारी जुटाता रहा। धीरे-धीरे मुझे इस काम में सफलता मिलने लगी। आज आलम यह है कि मेरी इस नर्सरी से मौसम अनुसार फूलों और सब्जियों के करीब 10 लाख पौधे देश के कई शहरों में भेजे जाते हैं।

रिश्तेदार से प्रेरित होकर की शुरूआत
देहरादून में ही मेरे एक रिश्तेदार पौधों की नर्सरी चलाते हैं। नौकरी के बाद मैं अधिकतर समय उन्हीं के साथ बिताया करता था। उन्हीं से प्रेरित होकर मैंने यह नर्सरी शुरू की। कई मुश्किलों का सामना करते हुए इस नर्सरी से ही आज मैंने एक अलग पहचान बनाई है। आज हमारे पास कई शहरों से सीजन से पहले ही फलों व सब्जियों के पौधों की मांग आ जाती है। नर्सरी में पौधों को उगाने में हम सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। 

लोगों को रोजगार भी दिया
इस नर्सरी के माध्यम से मैंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। फिलहाल इस नर्सरी में करीब 12 लोग स्थायी तौर पर काम करते हैं, जबकि मौसम के अनुरूप और भी लोगों को काम पर रखा जाता है। इस नर्सरी से सालाना 20 से 25 लाख रुपये के पौधों की बिक्री हो जाती है। मेरे इस काम से प्रेरित होकर आज कई युवा इस दिशा में काम कर रहे हैं। 

बेहतर संभावनाएं हैं
वर्तमान समय में नर्सरी के क्षेत्र में काफी स्कोप है। आज बाजारों में फूलों और सब्जियों के अलावा बगीचे, वन, हर्बल जैसे कई पौधों की काफी मांग है। इस काम में मुनाफा और सुकून, दोनों हैं। मेरी इस नर्सरी से आज अपने शहर के अलावा सहारनपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना जैसे कई बड़े शहरों में फल और सब्जियों के पौधों की आपूर्ति की जाती है।