नई दिल्ली। महेश भुत गुजरात के जामनगर जिले के रहने वाले एक किसान है। उनके अनुसार मेरे पिता एक शिक्षित किसान थे, इसलिए वह हमेशा खेती को उन्नत बनाने के बारे में सोचते थे। उन्हीं के मार्ग पर चलते हुए वर्ष 2014 में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं भी पूरी तरह खेती से जुड़ गया और पारंपरिक खेती करने लगा। हालांकि बचपन से ही मैं खेती में हाथ बंटाया करता था और खेती को सुगम बनाने और इससे ज्यादा लाभ कमाने के बारे में सोचता रहता था। जब मैंने देखा कि ट्रैक्टर की देख-रेख और डीजल में काफी खर्च हो रहा है, तब खुद ही एक इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर बनाने का फैसला किया। काफी अध्ययन और कई तरह के प्रयोगों के बाद भी जब मुझे कोई रास्ता नजर नहीं आया, तो मैंने ई-रिक्शा बनाने का प्रशिक्षण लेने के बारे में सोचा। वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से मैंने ई-रिक्शा बनाने का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद मैंने ई-ट्रैक्टर बनाने पर काम शुरू किया और सात महीने के कठिन परिश्रम के बाद मुझे इसमें सफलता मिली।
    
ई-ट्रैक्टर की ये हैं खूबियां
इस इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर की बैटरी से लेकर बॉडी तक सब कुछ मैंने खुद ही तैयार किया है। बीते छह महीने से मैं इसका इस्तेमाल कर रहा हूं। एक बार चार्ज करने पर यह दस घंटे तक चलता है। यह 22 हॉर्सपावर का है, जिसमें 72 वाट की लिथियम बैटरी लगी है, जिसे फुल चार्ज होने में चार घंटे का समय लगता है। इसे बार-बार बदलने की जरूरत नहीं है।

ऐप से होती है निगरानी
मैंने इसे एक ऐप के साथ जोड़ा है, जिससे इस ट्रैक्टर से संबंधित जानकारी आपको मिल जाएगी। अगर कभी इस ई-ट्रैक्टर में कोई समस्या आती है, तो आपको पता चल जाएगा कि खराबी कहां है, जिससे इसे ठीक कराने में आसानी होगी। इस ट्रैक्टर में रिवर्स गिअर भी है, जिससे अगर ट्रैक्टर कहीं फंस जाए, तो इसे आसानी से निकाला जा सके। 

बेटे के नाम पर रखा नम 
इस ई-ट्रैक्टर का नाम मैंने अपने बेटे के नाम पर व्योम रखा है। आज मेरे इस ट्रैक्टर की देश भर में चर्चा हो रही है। अब तक देश भर से मेरे पास 50 ट्रैक्टरों की मांग आ चुकी है। डीजल वाले ट्रैक्टर की परिचालन लागत करीब 125 रुपये प्रति घंटा है, जबकि मेरे इस ट्रैक्टर में सिर्फ 15 रुपये प्रति घंटे का खर्च आता है। इस ई-ट्रैक्टर की कीमत मैंने पांच लाख रुपये रखी है। अगर सरकार ई-ट्रैक्टर पर सब्सिडी दे, तो इसकी कीमत और भी कम हो सकती है। बिना किसी तकनीकी अनुभव के मैंने एक इलेक्टि्रक ट्रैक्टर बनाया है, जिससे खेती का खर्च 25 फीसदी तक कम हो गया है।