गुलाबो सपेरा, जिन्हें पैदा होते ही सिर्फ इसलिए दफना दिया गया था, क्योंकि वह लड़की हैं, आज एक जानी-मानी डांसर हैं। गुलाबो सपेरा वो महिला हैं, जिन्हें पैदा होते ही दफना दिया गया था। उन्होंने कई संघर्ष झेले मगर कभी हार नहीं मानी। पिता के साथ घूम-घूमकर सपेरा डांस किया और लोगों का मनोरंजन किया। उनकी मेहनत और लगन ही थी कि उन्हें एक दिन अपने संघर्षों का फल मिला। राजस्थान सरकार ने उनका साथ दिया और इस साथ के चलते उन्होंने अपनी स्किल्स को सुधारा और मेहनत की। अपने डांस के चलते वह देश भर में फेमस हुईं और फिर विदेश में अपने नाम का डंका बजाया।

कैसा था बचपन?

राजस्थान के कलबेलिया समुदाय में वर्ष 1973 में जन्मी गुलाबों का नाम असल में धनवंतरी रखा गया था। बचपन में उनके जन्म के बाद उनके कबीले वालों ने उन्हें मारने की कोशिश की थी। इस प्रयास में उन्हें जमीन में दफना दिया गया था, मगर उनकी मां और मौसी ने जब उनके रोने की आवाज सुनी तो उन्हें बाहर निकाला गया। गुलाबो के पिता काम से बाहर गए थे, जब लौटने पर उन्हें यह बात पता चली तो उन्होंने अपने कबीले के लोगों से लड़ाई मोल ली, जिसके बाद उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया था।

धनवंतरी से गुलाबो नाम पड़ने की कहानी

जब वह एक साल की हुई, तो वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गई और डॉक्टरों ने भी उनकी बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। उस बच्ची की किस्मत है बेहतर लिखा था, इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी और फिर एक बार जीने के लिए कड़ा संघर्ष किया। उस समय उनके बेड के पास एक गुलाब का फूल रखा जाता था। इस फूल को गुडविल की तरह देखते हुए उनके पिता ने बच्ची का नाम गुलाबी रख दिया। वर्षों बाद, गुलाबी के किस्सों को एक मैग्जीन में छापा गया, लेकिन वहां गुलाबी की जगह गुलाबो नाम लिखा गया था, बस तब से धनवंतरी पहले गुलाबी और फिर गुलाबों हो गया।

कैसे किया सपेरा डांस की ओर रुख

उनके पिता एक सपेरा थे, जो सांपों की एक टोकरी के साथ गांव-गांव घूमते थे। इसमें जगलिंग, पुंगी और ऐसे अन्य एक्ट के साथ सांपों को हिप्नोटाइज भी किया जाता था। जब गुलाबो बमुश्किल छह महीने की थी, तब उनके पिता ने उन्हें अपने साथ ले जाना शुरू कर दिया। वह सांपों के साथ पुंगी की धुन पर थिरकती और उनकी तरह नकल करती थी। उनसे ही, गुलाबो ने घूमना और फ्लेक्सिबिलिटी सीखी।

राजस्थान पर्यटन विभाग ने पहचाना टैलेंट

ऐसे ही उनके परफॉर्मेंस को पुष्कर मेले में राजस्थान पर्यटन विभाग के साथ काम करने वाली तृप्ति पांडे और हिम्मत सिंह ने देखा और उनसे प्रभावित हुए। 80 के दशक की शुरुआत में, भारत के सबसे व्यस्त सांस्कृतिक केंद्रों में से एक, जयपुर में जाने के बाद, गुलाबो ने जीवन के एक नए फेज की शुरुआत की, जहां लोग कम रूढ़िवादी थे। वह राज्य के सांस्कृतिक और पर्यटन विभाग का हिस्सा बनीं। यहां उन्होंने अपनी स्किल्स पर काम किया और उन्हें पॉलिश किया। इस डांस को लोग सीख सकें इसके लिए उन्होंने इसके कोई नियम नहीं बनाए हैं।

इन वर्षों में, उन्होंने अपने शिल्प में महारत हासिल की और सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और यहां तक कि 1985 में एक शो के लिए वाशिंगटन डी.सी. की यात्रा करने वाली सरकार की टुकड़ी का हिस्सा बनने का अवसर भी मिला।

बॉलीवुड से बिग बॉस के घर तक आ चुकी हैं नजर

राजस्थान सरकार और अपनी काबिलियत की दम पर उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई है। गुलाबो देश-विदेश में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। इतना ही नहीं, उन्हें कुछ बॉलीवुड फिल्मों में भी देखा जा चुका है। इनमें 'बंटवारा', 'गुलामी' 'क्षत्रिय', 'अजूबा' आदि फिल्में शामिल हैं। यही नहीं गुलाबो सपेरा टीवी के सबसे चर्चित रियलिटी शो बिग बॉस में भी आ चुकी हैं। जी हां, गुलाबो 'बिग बॉस-5' में बतौर कंटेस्टेंट हिस्सा ले चुकी हैं।

पद्मश्री से हो चुकी हैं सम्मानित

साल 2016 में कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए इन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के अलावा भी उन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानिता किया जा चुका है। उनकी बेटी राखी सपेरा भी उनकी कला को आगे ले जा रही हैं।