उत्तर प्रदेश हमेशा से ही राजनीति के हिसाब से सबसे अनोखा प्रदेश रहा है। माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में जो भी पार्टी सत्ता में आती है उसके नेशनल लेवल पर आने की गुंजाइश बढ़ जाती है। ये हिंदुस्तान का सबसे बड़ा राज्य भी है। उत्तर प्रदेश इलेक्शन 2022  में हमने काफी कुछ देखा है। ये वो समय है जब महिला राजनेताओं का वर्चस्व उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश उन गिने-चुने राज्यों में से एक है जहां पर महिला चीफ मिनिस्टर भी रही है। 

 जब भी उत्तर प्रदेश की महिला नेताओं की बात की जाती है तो मायावती का नाम सामने आता है। मायावती बहुजन समाजवादी पार्टी की कर्ता-धर्ता हैं और उत्तर प्रदेश की चीफ मिनिस्टर भी रह चुकी हैं। पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश से प्रियंका गांधी भी बहुत एक्टिव हैं। कांग्रेस में अपनी मां सोनिया गांधी की जगह उन्हें देखना काफी अनोखा रहा है। 

वैसे तो इस चुनावी घमासान में कई दिग्गज महिला नेता मैदान में उतरी हैं, लेकिन इनमें से कई सिर्फ चुनावी प्रचार का हिस्सा होते हुए भी उत्तर प्रदेश के इलेक्शन की जान बन गई हैं। तो चलिए आज बात करते हैं उत्तर प्रदेश की महिला नेताओं की। 

स्मृति ईरानी-  ने कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी की सीट से चुनाव लड़ा था और वो अब केंद्रीय मंत्री हैं। स्मृति ईरानी ने रसोई गैस के दाम बढ़ने को लेकर हुए आंदोलन में बहुत बड़ा काम निभाया था। पहले उन्हें शिक्षा मंत्रालय सौंपा गया था, लेकिन बाद में उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्री बना दिया गया। स्मृति ईरानी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को जीत दिलाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। राज्यसभा सांसद और मंत्री होने के बाद भी स्मृति ईरानी का रोल लोकसभा चुनावों (2019) में भी अहम रहा था जहां उन्होंने राहुल गांधी को हराया था। 

  अपर्णा यादव- ने भले ही इस बार चुनाव न लड़ा हो, लेकिन समाजवादी खानदान की बहू होने के बाद उनके भाजपा से जुड़ने की खबरों ने समाजवादी पार्टी के पीआर में सेंध तो लगा ही दी थी। अपर्णा यादव के पार्टी छोड़ने के दो कारण मुख्यतः सामने आए थे। पहला तो ये कि डिंपल यादव से उनका कॉम्पटीशन था और दूसरा ये कि उन्हें समाजवादी पार्टी की टिकट नहीं दी जा रही थी। हालांकि, भाजपा में आने के बाद भी उन्हें टिकट नहीं मिली, लेकिन उनका पार्टी बदलना समाजवादी पार्टी के लिए खराब साबित हुआ।  

डिंपल यादव-  कन्नौज की सीट पर अपना वर्चस्व बिखेरने वाली डिंपल यादव पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं और वो समाजवादी पार्टी का वो महिला चेहरा हैं उन्हें पार्टी से अलग नहीं किया जा सकता है। डिंपल यादव दो बार समाजवादी पार्टी की एमपी रह चुकी हैं और संसद के गलियारों को अच्छी तरह जानती हैं। पार्टी के लगभग हर फंक्शन और रैली में उनकी मौजूदगी रहती है और वो उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा हिस्सा हैं।  

जया बच्चन- अगर उत्तर प्रदेश की महिला पॉलिटिशियंस की बात हो रही है तो जया बच्चन को बिल्कुल भूला नहीं जा सकता है। जया बच्चन ने 2004 से ही समाजवादी पार्टी का साथ दिया है और वो लगातार 4 बार से राज्यसभा सदस्य हैं। लगातार पांचवें चरण में भी ये समाजवादी पार्टी का झंडा संभाले हुए हैं और चाहे भाषण हो या फिर संसद में बाकी नेताओं को करार जवाब देना हो जया बच्चन कहीं भी पीछे नहीं रही हैं। जया बच्चन भले ही विधानसभा चुनाव में हिस्सा न ले रही हों, लेकिन उनकी मौजूदगी इस इलेक्शन में बराबर की रही है।  

अदिति सिंह- उत्तर प्रदेश की महिला नेताओं में अदिति सिंह का नाम भी शामिल है। अदिति राय बरेली से बीजेपी जो जीत दिलाने में सफल रही हैं और ये हमेशा से ही राजनीति में काफी एक्टिव रहती हैं। अदिति सबसे कम उम्र की प्रत्याशियों में से एक हैं और वो अपना काम बखूबी जानती हैं।  

 आराधना मिश्रा- रामपुर खास से कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा ने जीत हासिल की है। आराधना मिश्रा पूर्व कांग्रेस दिग्गज प्रमोद तिवारी की बेटी हैं। आराधना इससे पहले भी लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं। आराधना मिश्रा कांग्रेस की 144 महिला प्रत्याशियों में से एक ही हैं जिन्होंने जीत हासिल की है।