यरूशलेम। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बुधवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार इज़राइल का दौरा किया। ये ऐसा वक्त है जब यूक्रेन पर रूस का आक्रमण हो रहा है और एक नया ईरान परमाणु समझौता करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ यरुशलम के याद वाशेम होलोकॉस्ट स्मारक का दौरा किया, पुष्पांजलि अर्पित की और यहूदी राज्य के प्रति जर्मनी की ऐतिहासिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए अतिथि पुस्तक में एक संदेश छोड़ा। उन्होंने लिखा कि जर्मनी के उकसाने पर ही यहूदियों का कत्लेआम हुआ था।
  इजरायल पीएम बेनेट ने स्कोल्ज का स्वागत करते हुए कहा कि "यहूदियों का विनाश, एक घाव है जो जर्मनी और इजराइल के बीच संबंधों का आधार है। इस घाव से हमने मजबूत और महत्वपूर्ण संबंध बनाए हैं।" हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर जर्मनी और इजरायल के अपने-अपने मत हैं। एक तरफ स्कोल्ज की गठबंधन सरकार ने यूक्रेन के संघर्षरत क्षेत्रों में हथियार भेजने पर प्रतिबंध को उलट दिया है और रूस के साथ नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोक लगाई है। उन्होंने और नाटो के लक्ष्य को भी पार करते हुए जर्मन सेना के आधुनिकीकरण के लिए इस वर्ष 100 बिलियन यूरो (113 बिलियन डॉलर) का भी वादा किया। जर्मनी सकल घरेलू उत्पाद का सालाना दो प्रतिशत से अधिक रक्षा पर खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध है। इजराइल ने यूक्रेन और रूस दोनों के साथ अपने गर्म संबंधों का हवाला देते हुए यूक्रेन संकट के प्रति अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाया है। इजरायल के नेताओं ने कहा है कि वे रूस के साथ एक नाजुक सुरक्षा सहयोग को परेशान नहीं करना चाहते हैं, जो सीरिया में एक बड़ी सैन्य उपस्थिति संचालित कर रहा है। इजराइली मीडिया के अनुसार, बेनेट ने हथियारों के लिए यूक्रेन के अनुरोध का विरोध किया और इस सप्ताह कंबल, जल शोधन किट और चिकित्सा आपूर्ति सहित 100 टन गैर-सैन्य सहायता भेज रहा है।