मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक-2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज हैं। मनु के लिए ये पदक अहम है क्योंकि तीन साल पहले टोक्यो ओलंपिक में वह इससे महरूम रह गई थीं। टोक्यो में मुन की बंदूक खराब हो गई थी और इसी कारण वह मेडल की रेस से बाहर हो गईं थीं। मनु इसके बाद बेहद निराश, हताश हो गई थीं। वह इतनी उदास थीं कि कुछ समय के लिए उनके मन में निशानेबाजी को छोड़ने का ख्याल तक आया था। लेकिन फिर केरल के चेरई में छुट्टियां बिताते हुए मनु को चाय की केतली से प्रेरणा मिली और वह शूटिंग रेंज में दोबारा उतरने को तैयार थीं। तब से मनु ने अपना पूरा दम लगा दिया और नतीजा ये रहा कि तीन साल बाद मनु के गले में ओलंपिक मेडल है।

वापसी की मची तलब

चेरई के अपने होटल के कमरे में मनु अकेली थीं। तभी उन्होंने चाय की केतली उठाई और फिर जो हुआ उसने मनु को अगली फ्लाइट से वापस दिल्ली आने और अपनी तैयारी को अंजाम देने को मजबूर कर दिया। मनु ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया, "अचानक से मैं सफेद दीवार के सामने केतली लेकर खड़ी थी जो पानी से भरी थी। उस समय मैं रेस्टलेस हो रही थी। मुझे वापसी की जरूरत थी।" भरी हुई केतली उठाना निशानेबाजों के अभ्यास का हिस्सा है। टोक्यो में मनु ने डेब्यू किया था लेकिन जो अच्छा नहीं रहा था। इस पर मनु ने कहा, "वो मेरे जीवन की सबसे खट्टी यादों में से है।" मनु मान चुकी थीं कि खत्म हो चुकी हैं। लेकिन जब उनको चाय की केतली पकड़ते समय परेशानी हुई तो उन्होंने तुरंद अगली फ्लाइट दिल्ली की ली और रैंज पर वापसी की।

जूनियर कॉम्पटीशन से की शुरुआत

वह इस खेल को कितना पसंद करती हैं इस बात को जानने के लिए मनु को पहले इस खेल से दूर रहना पड़ा। लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह निशानेबाजी को अब भी चाहती हैं तो उन्होंने शून्य से शुरुआत की। मनु ने कहा, "इससे पहले सभी कॉम्पटीशन में मैं एक तरह का दबाव लेती थी। लेकिन फिर मैंने ध्यान देना छोड़ दिया कि मैं कैसा खेल दिखा रही हूं। मैं बस निशाना लगाना चाहती थी। चाहे अच्छा हो या बुरा। ये बहुत रिफ्रेशिंग है।"