ओलंपिक में 44 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने की राह पर भारतीय हॉकी टीम के सामने मंगलवार को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन जर्मनी की चुनौती होगी और इस बाधा को पार करके टीम 'संकटमोचक' पीआर श्रीजेश को शानदार विदाई देने के अपने मिशन की अगला कदम रखेगी। ब्रिटेन के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल में दस खिलाड़ियों तक सिमटने के बावजूद भारतीय टीम ने जिस साहस और कौशल का प्रदर्शन करके मुकाबला पेनाल्टी शूटआउट तक खिंचा, वह प्रशंसनीय है। टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक मैच में जर्मनी की पेनल्टी बचाकर भारत को 41 साल बाद पदक दिलाने वाले नायक श्रीजेश एक बार फिर जीत के सूत्रधार बने थे।

44 साल का सूखा खत्म करने की कोशिश

36 वर्ष के श्रीजेश का यह आखिरी टूर्नामेंट है और उन्हें स्वर्ण पदक के साथ विदा करने का मिशन भारतीय टीम के लिए अतिरिक्त प्रेरणा बना है। भारत ने आठ ओलंपिक स्वर्ण में से आखिरी 1980 में मास्को में जीता था और अब पेरिस में उसके पास 44 साल बाद इतिहास रचने का मौका है। सेमीफाइनल जीतने पर भारत का रजत तो पक्का हो जाएगा जो अंतिम बार उसने 1960 में रोम में जीता था।

अमित रोहिदास नहीं खेलेंगे

प्रमुख डिफेंडर अमित रोहिदास मंगलवार को होने वाले सेमीफाइनल मैच में नहीं खेल पाएंगे क्योंकि उन पर लगाए गए एक मैच के निलंबन के खिलाफ दायर की गई हॉकी इंडिया की अपील को एफआईएच ने खारिज कर दिया है। रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ रविवार को खेले गए क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान रेड कार्ड मिला था जिसके कारण एफआईएच ने उन्हें एक मैच के लिए निलंबित कर दिया था। इसका मतलब है कि इस महत्वपूर्ण मैच के लिए भारत के केवल 15 खिलाड़ी ही उपलब्ध रहेंगे जो आठ बार के ओलंपिक चैंपियन के लिए करारा झटका है।