नई दिल्ली। पटना में एक चाय की स्टॉल इन दिनों खूब चर्चा में है। मुसल्लहपुर इलाके में मेरियो इसे चलाते हैं। 28 साल के मेरियो का चाय बेचने का अंदाज जुदा है। उनकी दुकान पर चाय-कॉफी के साथ रैप के मजे फ्री मिलते हैं। ज्यादातर रैप सॉन्ग में उन तमाम युवाओं का दर्द होता है जो पढ़ने के लिए बिहार के अलग-अलग हिस्सों से पटना आए हैं। शाम ढलते ही यहां युवाओं की भीड़ जुट जाती है। जहां चाय की चुस्की संग रैप भी चलता है। 

पहले ऑफिस बॉय का काम करते थे  : मेरियो के रैप सॉन्ग के पीछे एक दर्द भी छिपा रखा है। वे बताते हैं कि पिछले चार महीने से वह सड़क किनारे छोटा सा स्टॉल लगाकर चाय बेच रहे हैं। इससे पहले एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में ऑफिस बॉय का काम करते थे। कमाई 8 हजार रुपए होती थी। पिता की कमाई भी बहुत ज्यादा नहीं है, जिससे घर ठीक से चल सके। मारियो ने बताया कि वो अपनी मां के साथ दिल्ली में रहते थे। उनकी मां छात्रों के लिए टिफिन सेंटर चलाती थीं। वो उन्हीं के साथ रहकर हरियाणा के बहादुरगंज के एक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग कर रहे थे। 2 साल तक पढ़ाई करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी। फिर 8 हजार रुपए की नौकरी भी की, लेकिन इसे छोड़कर चाय बेचने का काम शुरू किया। अब वह बहन गुड़िया को नर्सिंग की तैयारी भी करा रहे हैं। 

आम लोगों की बातचीत से उठाते हैं रैप के लिए शब्द, भाव और धार : मोरियो की मानें तो मैं बचपन में कहीं भी डांस देखता था तो मेरे कंधे और बॉडी खुद ब खुद एक्शन में आने लगते थे। लोगों ने धीरे-धीरे कहना शुरू किया कि यह तो रैप की तरह करता है। तुम रियलिटी लिखो। बस मैं लिखने लगा।वह आम लोगों की बातचीत में जो बातें सुनते हैं, उसी को रैप में लिखते हैं और गाते हैं। सुनाते-सुनाते यह रैप सॉन्ग जल्दी ही याद भी हो जाते हैं। कई बार तो चाय बेचते-बेचते ही लिखता रहता हूं, इसलिए डायरी भी हमेशा साथ रखता हूं।

नोटबंदी से लेकर किसानों, बेरोजगारों की दर्द : मेरियो जब आम जनता की बात जब रैप में लिखते हैं तो उसमें नोटबंदी से लेकर किसानों और बेरोजगार युवाओं का दर्द तक आ जाता है। सरकार कठघरे में खड़ी हो जाती है। वे कहते हैं कि वे किसी सरकार या पार्टी की आलोचना नहीं करते, वे तो बस लोगों से सुनी बातों को शब्द देते हैं। शब्दों का चयन वे इस तरह से करते हैं कि रैप में धार आ जाए, बस।

युवाओं को इसलिए भाता है इनका रैप : ऑफिस ब्वाय की 8 हजार की नौकरी छोड़ जब वे रैप सुनाकर चाय बेचने लगे तो लोगों की भीड़ जुटने लगी। मुसल्लहपुर में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बड़ी संख्या में युवा रहते हैं। ये युवा बड़ी संख्या में हर दिन रैप विद चाय में शामिल होने लगे। युवाओं को उनका रैप सुनना इसलिए अच्छा लगता है कि मेरिया हर युवा का दर्द भी रैप में सुना रहे हैं। मेरिया अब रैप विद चाय से 8 हजार से बहुत ज्यादा कमा ही नहीं रहे, बल्कि अपने घर को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहे हैं। कहते हैं कि बहन पढ़ेगी तो, घर भी बढ़ेगा।

पटना में BCA कर चुकी छात्रा बनी 'आत्मनिर्भर चायवाली', रोजाना होती है इतनी कमाई
BCA कर चुकी मोना पटेल आत्मनिर्भर चयवाली बन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को सरजमी पर उतार रही हैं। ऐसा नहीं है कि मोना को नौकरी का ऑफर नहीं मिला, लेकिन कम पैसे मिलने के कारण उन्होंने खुद का काम करना तय किया।ठुकरा दिया प्राइवेट कंपनी में नौकरी का ऑफरPM के आत्मनिर्भर बनने की अपील से प्रभावितचाय की कीमत 10 से 20 रुपये तक है बिहार में आत्मनिर्भर बनने के लिए लड़कियां अब चाय के कारोबार से जुड़ रही हैं। कुछ दिन पहले ही स्नातक पास कर चुकी प्रियंका चाय बेचने के कारण सुर्खियों में रही थी, इस बीच अब BCA कर चुकी मोना पटेल भी आत्मनिर्भर चयवाली बन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को सरजमी पर उतार रही हैं। ऐसा नहीं है कि मोना को नौकरी का ऑफर नहीं मिला, लेकिन कम पैसे मिलने के कारण उन्होंने खुद का काम करना तय किया।

ठुकरा दिया प्राइवेट कंपनी में नौकरी का ऑफर :  मूल रूप से समस्तीपुर की रहने वाली मोना ने पिछले साल पटना विमेंस कॉलेज से BCA की पढ़ाई पूरी की है। वह अब MCA करना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक कारण इसमें बाधा बन रहा था। इस दौरान उन्हें एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी का ऑफर मिला लेकिन कम पैसा और आठ घंटे की ड्यूटी उन्हें रास नहीं आई और ऑफर ठुकरा दिया। वे बताती हैं कि उनके माता और पिता भी निजी कंपनी में ही नौकरी करते हैं और उनकी दिक्कतों को देखा है।

PM के आत्मनिर्भर बनने की अपील से प्रभावित  :  मोना ने बताया कि मैंने पटना की पहली ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका के बारे में सुना था। न्यूज और सोशल मीडिया पर उसकी कहानी भी पढ़ी। इसके बाद मैंने भी चाय की दुकान खोलने का फैसला लिया। मोना का कहना है कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर बनने की अपील से भी वह प्रभावित हुई। उसने हालांकि यह भी कहा कि इस काम को घर वालों को बिना बताए ही शुरू किया है।

रोजाना बेचती है 1000 रुपये की चाय  :  ज्ञान भवन के सामने मोना दुकान चलाती है और खुद चाय भी बनाती है, ग्राहक भी संभालती है। वह बताती है कि औसतन प्रतिदिन वह 1000 रुपये की चाय आसानी से बेच देती हैं। उन्होंने कहा कि चाय है तो चलेगी ही। मोना चार से पांच तरह की चाय बनाती है। चाय की कीमत 10 से 20 रुपये तक है। उसकी मसाला चाय, कुल्हड़ चाय, पान चाय ग्राहक खूब पसंद करते हैं। इस स्टॉल पर उन्होंने 'आत्मनिर्भर चायवाली' लिख रखा है।

उन्होंने अपनी दुकान के ऊपर लिखा है, 'जिसे लत लग जाए, मंजिल की सूखा खाना भी उसे खाना पड़ता है, मंजिल खुद चलकर नहीं आती, मंजिल तक हमें खुद जाना पड़ता है' लिखकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं।