नई दिल्ली। सीमा वर्मा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की निवासी हैं। सामाजिक सेवा में परास्नातक करने के बाद वह बिलासपुर विश्वविद्यालय में वकालत की पढ़ाई कर रही हैं। इसके साथ ही वह गरीब बच्चों का भविष्य सुधारने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए वर्ष 2016 में उन्होंने 12वीं कक्षा तक के जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए 'एक रुपया' मुहिम की शुरुआत की है। इसके तहत वह लोगों से एक-एक रुपया जमा करती हैं और गरीब बच्चों की स्कूल फीस से लेकर उनकी जरूरत के सभी सामान, जैसे किताब, कॉपी, स्टेशनरी आदि उपलब्ध कराती हैं। अब प्रशासन के लोगों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। बीते पांच वर्षों में इस मुहिम से 13,500 से अधिक छात्रों की मदद की जा चुकी है। सीमा कहती हैं कि मेरे काम के लिए मुझे राज्य के कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। बच्चों का उज्ज्वल भविष्य ही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। आज न सिर्फ मैं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर रही हूं, बल्कि मुझे देखकर दूसरे लोग भी समाज के लिए कुछ करने को प्रेरित हो रहे हैं।      

मदनमोहन मालवीय से आया यह विचार
'एक रुपया' मुहिम का विचार मुझे पंडित मदनमोहन मालवीय से मिला। मालवीय जी ने एक-एक रुपया चंदा इकट्ठा करके काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनवाया था। उन्हीं से प्रेरित होकर मैं लोगों से एक-एक रुपया मांगकर इकट्ठा करती हूं और उन पैसों से गरीब बच्चों की मदद करती हूं। इसकी वजह से मुझे अक्सर लोग भिखारी भी कह देते हैं, लेकिन ऐसे तानों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।

दिव्यांग छात्रा की मदद के बाद शुरू की मुहिम
कॉलेज में मेरे साथ पढ़ने वाली एक दिव्यांग छात्रा थी, जो ट्रायसाइकल से कॉलेज आती थी। मैं चाहती थी कि उसे इलेक्ट्रॉनिक ट्रायसाइकिल दिलवाऊं। इसके लिए मैंने कॉलेज के प्रधानाचार्य से बात की। उनका जवाब था- एक हफ्ते बाद आना। फिर मैं कमिश्नर ऑफिस गई और कमिश्नर से मिली। मैंने सभी दस्तावेज जमा किए और कुछ ही दिन बाद हमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रायसाइकिल मिल गई। तभी से मैंने जरूरतमंद बच्चों की मदद करने का मन बना लिया।

खासियत : केवल एक रुपये ही लिए जाते हैं
एक-एक रुपया इकट्ठा करते हुए अब तक मेरे पास दो लाख रुपये से अधिक राशि जमा हो गई है। मैं किसी से भी एक रुपया से ज्यादा नहीं लेती हूं। फिलहाल मैं 34 स्कूलों के जरूरतमंद छात्रों की पढ़ाई का खर्च उठा रही हूं। मेरे इस काम की आम लोगों से लेकर सरकारी अधिकारियों तक ने तारीफ की है।