नई दिल्ली। असम पुलिस की एक महिला सब-इंस्पेक्टर ने धोखाधड़ी के आरोप में अपने ही मंगेतर को गिरफ्तार किया है। उनके इस फैसले के बाद उनकी हर तरफ चर्चा हो रही है। नौगांव थाने में तैनात जुनमोनी राभा ने ओएनजीसी में खुद को कथित जनसंपर्क अधिकारी बताने वाले अपने मंगेतर राणा पोगाग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। कुछ महीने पहले भी इस महिला सब-इंस्पेक्टर ने एक सत्तारूढ़ भाजपा विधायक को फोन पर करारा जवाब दिया था, जिसकी मीडिया में खूब चर्चा हुई थी। पिछले साल अक्टूबर में जुनमोनी और राणा की सगाई हुई थी और इसी साल नवंबर में दोनों शादी करने वाले थे। नौगांव थाने में दर्ज की गई शिकायत के अनुसार पुलिस सब-इंस्पेक्टर जुनमोनी को सगाई के बाद ही इस बात का पता चला कि वो जिस व्यक्ति को अपना जीवन साथी बनाने जा रही थीं, असल में वह एक कथित धोखेबाज है। 

सगाई के बाद खुली परतें 
शिकायत के अनुसार आरोपी पोगाग ने अपनी पहली मुलाकात के दौरान जुनमोनी को ओएनजीसी के जनसंपर्क अधिकारी के रूप में परिचय दिया था लेकिन सगाई के बाद जुनमोनी को कई ऐसे सबूत मिले,  जिससे उनको अपने मंगेतर पर शक होने लगा। जब वह इस बारे में ज्यादा छानबीन करने लगी तो यह पता चला कि वह कई धोखाधड़ी के मामलों में शामिल था। उस पर कई लोगों को नौकरी देने के झूठे झांसे से लेकर करोड़ों रुपये ठगने तक के आरोप भी लग चुके हैं। पहली बार दोनों की मुलाकात पिछले साल जनवरी में हुई थी, जब जुनमोनी माजुली में तैनात थीं। राणा माजुली का ही निवासी है। कई मुलाकातों के बाद दोनों में प्यार हुआ और कुछ महीनों बाद उनके परिवारजनों के आशीर्वाद से दोनों की सगाई हो गई। अपनी सगाई और धोखाधड़ी से जुड़े मामले पर जुनमोनी कहती हैं, मैं माजुली में तैनात थी और मेरी उनसे मुलाकात जनवरी 2021 में हुई थी। मेरे एक परिचित थाना प्रभारी ने जान-पहचान करवाई थी। पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी अच्छी जान-पहचान थी। उसका एक कारण यह भी हो सकता है कि वह धोखाधड़ी के काम में लिप्त थे, इसलिए शायद उसे लगा होगा कि पुलिस के साथ पहचान बनाकर रखने से उसे भविष्य में मदद मिलेगी। उनका एक ऐसा माइंडसेट रहा होगा। वह आगे बताती हैं, इस तरह हुई जान-पहचान के बाद उन्होंने मुझे शादी का प्रस्ताव दिया। मैंने कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन घर वालों के साथ इस बारे में बात करनी होगी फिर हम दोनों के घरवाले मिले और बात पक्की हो गई। कुछ दिन बाद हमारी सगाई हो गई। इस बीच मेरा तबादला नौगांव हो गया, लेकिन यहां आने के बाद उनके काम से जुड़ी कुछ बातों को लेकर मुझे शक हुआ। जब थोड़ी छानबीन की तो कुछ ऐसी बातों का पता चला जिससे मेरी आंखें खुल गईं।

जिनसे की थी ठगी, उन्होंने ही दिए सबूत
बिना किसी का नाम लिए जुनमोनी ने इस पूरे मामले में उनकी मदद करने वाले तीन लोगों का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने राणा की तमाम जानकारियां सबूतों के साथ उन्हें लाकर दी। वह कहती है,"राणा ने खुद को ओएनजीसी का जनसंपर्क अधिकारी बताया था। उन्होंने कहा था कि वह कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी के तहत ग्रामीण विकास का काम देख रहे हैं। मैंने भी यहां की प्रतिष्ठित कॉटन कॉलेज से जनसंचार और पत्रकारिता की पढ़ाई की है, इसलिए मैं एक जनसंपर्क अधिकारी की इमेज से काफी प्रभावित हुई थी, लिहाजा एक बार भी यह ख्याल मन में नहीं आया कि वह व्यक्ति एक ठग हो सकता है। आरोपी राणा के धोखाधड़ी की जानकारी देते हुए जुनमोनी ने कहा, उसने जिस  व्यक्ति से 25 लाख रुपये ठगे, उसने खुद आकर मुझे राणा की सारी करतूत बताई। जब मैंने इस बारे में राणा से लगातार पूछताछ की तो सारा सच सामने आ गया, चूंकि मेरे साथ उसने इतना बड़ा धोखा किया है तो उसकी सजा तो उसे मिलनी ही चाहिए। मैं प्रेम में पागल होकर शोक मनाने वाली लड़की नहीं हूं। मैंने तुरंत एफआरआई दर्ज करवाई। नौगांव पुलिस का दावा है कि आरोपी राणा के पास से ओएनजीसी के कई दस्तावेज और मुहर बरामद की गई हैं। राणा अपने साथ हमेशा एक व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी और एक वाहन चालक को रखता था, ताकि सामने वाले पर उसका रुतबा बना रहे। 

विधायक को दिया था करारा जवाब
इस साल जनवरी में जुनमोनी जब माजुली में तैनात थी तो बिहपुरिया क्षेत्र से भाजपा विधायक अमिय कुमार भुयां के साथ उनकी टेलीफोन पर हुई बातचीत सोशल मीडिया पर लीक हो गई थी, जिससे हंगामा मच गया था। दरअसल पुलिस ने एक नाव जब्त कर ली थी और विधायक ने जुनमोनी को आदिवासियों के पीछे नहीं पड़ने के लिए कहा था, लेकिन जुनमोनी ने विधायक को ही जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते हुए यह पूछ दिया कि वह (विधायक) एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के बावजूद पुलिस से "नियम और कानून तोड़ने" के लिए कैसे कह सकते है? दरअसल ब्रह्मपुत्र में एक नाव दुर्घटना के बाद सिंगल इंजन वाली मशीनीकृत नौकाओं की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इसी के तहत पुलिस ने कार्रवाई की थी। फिलहाल सोशल मीडिया पर एक बार फिर जुनमोनी के इस साहस भरे कदम की लोग तारीफ कर रहे हैं और उन्हें बधाई संदेश भेज रहे हैं। क्या इस घटना से उनको दुख पहुंचा है? ये पूछने पर वो कहती हैं," मैं कई घंटों तक बैठकर यह सोच रही थी क्या मैंने सही किया या गलत लेकिन गलत काम करने वाले को सजा मिलनी ही चाहिए, फिर चाहे वह अपने घर का सदस्य ही क्यों न हो, इसलिए मैं बिल्कुल भी निराश नहीं हूं। मुझे अपने शीर्ष पुलिस अधिकारियों से बहुत सपोर्ट मिला है और मैंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी को बहुत ईमानदारी के साथ निभाया है। लिहाजा मैं गलत काम करने वाले को उचित दंड दिलाने के लिए काम करती रहूंगी।