लुधियाना। शहर की आबाेहवा पूरी तरह से खराब हाे गई है। खेतों में लगातार पराली जलाने, दीपावली की रात चलाए पटाखों के विषैले तत्वों और विकास कार्यों से उड़ रहे धूल के कणों से लुधियाना अब जहरीली गैसों का चैंबर बन गया है। लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। बीते एक सप्ताह से शहर को स्माग ने जकड़ रखा है। मंगलवार दोपहर बाद तो हालात और भी खराब हो गए। शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत खतरनाक स्तर तक पहुंच गया।

शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्ट 299 तक पहुंच गया। 300 से ऊपर एक्यआइ को बहुत खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है। ऐसी हवा में अगर स्वस्थ व्यक्ति भी सांस ले तो वह भी बीमारियों से बच नहीं सकता है। जल्द वे कई बीमारियों को शिकार हो जाता है। आंखों में जलन होने लगती है, नाक बहने लगता है, सांस लेने में परेशानी होने लगती है। स्माग के बढ़ते कहर से सांसों पर संकट गहराने लगा है।

स्माग के बढ़ते खतरे के बीच सांस के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीजों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।सांस के मरीजों को अटैक बढ़ गए हैं। कई मरीजों को भर्ती करना पड़ा है। कुछ मरीजों को तो दोगुना डोज देने के बाद भी असर नहीं हो रहा है। उनकी दवाइयां बदलनी पड़ रही हैं। खासकर जो लोग कोरोना की चपेट में आए थे, उनका इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। जो नए मरीज सामने आ रहे हैं, उनकी खांसी नियंत्रित नहीं हो पा रही है। पहले एक इनहेलर दे रहे थे, लेकिन अब दो टाइप के देने पड़ रहे हैं। एक इनहेलर से बीमारी कंट्रोल नहीं हो रही है। पहले ऐसा देखने को नहीं मिलता था।