नई दिल्ली। कहते हैं कि अगर आप में हौसला और जज्बा हो तो आपको अपनी मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया चंदा सिंह ने। 16 साल नौकरी करने के बाद 40 साल की उम्र में एक दिन अचानक चंदा ने नौकरी छोड़ अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का फैसला किया।  2019 में 12 लोगों के साथ मिलकर मुंबई में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी एक्सपीएंडडी की शुरुआत की। उसे अभी बने तीन साल भी पूरे नहीं हुए हैं कि वह 100 करोड़ क्‍लब में शामिल होने के मुहाने पर पहुंच चुकी हैं। यह कहानी है देश की जानी-मानी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी एक्सपीएंडडी की फाउंडर चंदा सिंह की है। एक्सपीएंडडी दिल्‍ली, गुड़गांव और मुंबई स्थित एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है, जो माइक्रोसॉफ्ट, मर्सिडीज और टाटा मोटर्स  से लेकर बीसीसीआई तक के लिए इवेंट ऑर्गेनाइज करने का काम करती है। 
लखनऊ, मेरठ से होकर मुंबई तक का सफर 
1979 में उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ शहर में एक साधारण मध्‍यवर्गीय परिवार में चंदा का जन्‍म हुआ। परवरिश मेरठ में हुई और स्‍कूली शिक्षा मेरठ के सोफिया गर्ल्‍स हाईस्‍कूल से। चंदा कहती हैं कि बचपन से ही वो पढ़ाई छोड़ बाकी सब चीजों में अच्‍छी थीं। स्‍कूल में होने वाली हर एक्‍स्‍ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटी में आगे रहतीं। म्‍यूजिक, डांस, ड्रामा, स्‍पोर्ट्स सब में नंबर वन। बस क्‍लास में फर्स्‍ट आने में ही उनकी कोई दिलचस्‍पी नहीं थी( डॉक्‍टरों, इंजीनियरों और एकेडमिक्‍स में अव्‍वल रहने वाले लोगों के परिवार में चंदा इकलौती ऐसी थीं, जिनका साइंस पढ़ने में मन नहीं लगता था।  1998 में 12वीं के बाद जब वो दिल्‍ली के आईपी कॉलेज में पढ़ने आईं तो यहां भी किताबी कीड़ा बनने की बजाय स्‍ट्रीट प्‍ले, थिएटर करती रहीं, लेकिन पता नहीं था कि ग्रेजुएशन के बाद आगे क्‍या करना है। चंदा की मानें तो दिल्‍ली आकर मुझे पता चला कि मास कम्‍युनिकेशन भी कोई चीज होती है, जो डॉक्‍टर-इंजीनियर नहीं बनते, वो मास कम्‍युनिकेशन पढ़कर पत्रकार बन जाते हैं, लेकिन सच कहूं तो मुझे तो पत्रकार बनने का भी कोई शौक नहीं था। घर, स्‍कूल, कॉलेज हर जगह सोशल इवेंट्स में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेने वाली और इस काम में खुशी महसूस करने वाली लड़की के लिए इवेंट मैनेजमेंट ही सबसे बेहतर था। 
मुंबई से नहीं की वापसी 
दिल्‍ली से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद चंदा पुणे के इंटरनेशनल स्‍कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया में पढ़ने चली गईं। कॉलेज पूरा होने के बाद कैंपस प्‍लेसमेंट के जरिए ही उन्हें पहली नौकरी मुंबई में ही मिली। शुरू में दो महीने दिल्‍ली में इंटर्नशिप की और फिर मुंबई चली गईं। चंदा कहती हैं, मेरा मुंबई जाने का बिल्कुल मन नहीं था। मैंने तो सोचा था कि सिर्फ 2-4 महीने की बात है, फिर वापस आ जाऊंगी। 2003 में मुंबई आई थी, अब 2022 आ गया। एक बार जो इस शहर में आए तो फिर कभी जाना नहीं हुआ।  उत्‍तर प्रदेश के ठाकुर परिवार की लड़की को मेरठ शहर में कॉन्‍वेंट पढ़ने भेजा गया, लेकिन पली तो वह एक छोटे सीमित दायरे में ही थी लेकिन आजादी का जो स्‍वाद उन्होंने मुंबई में पहली बार चखा उसे वह भी नहीं छोड़ पाईं। वह कहती हैं कि यह शहर आपको भीड़ में खो जाने का मौका भी देता और अपनी एक अलग नई पहचान बनाने का भी। यहां आप जो चाहते, हो सकते हो, कोई जज नहीं करता। यहां छोटे शहरों की तरह आपकी हर आवाजाही का हिसाब नहीं रखा जाता। 
नौकरी छोड़कर अपनी कंपनी क्‍यों 
2003 में 12000 रुपए से नौकरी की शुरुआत हुई थी। 2019 में जब छोड़ी तो चार लाख रुपये महीना कमा रही थीं। चंदा सिंह के पास वो सबकुछ था, जिसे पाने का हिंदी प्रदेश के छोटे शहरों से आई बहुत सारी लड़कियां सपना देखती है। 16 साल चंदा ने एक ही कंपनी में बिता दिए क्‍योंकि काम को सम्‍मान मिला, पहचान मिली, मेहनत का फल मिलता रहा। साल दर साल पैसे बढ़ते रहे, प्रमोशन होता रहा,  फिर भी कुछ था जो चंदा को परेशान कर रहा था। इस अच्‍छी स्‍थायी सुरक्षित नौकरी में वो चैलेंज नहीं था, जिसकी उन्‍हें तलाश थी। सारी बाधाएं, सारी चुनौतियां पार कर यहां तक तो पहुंच गए, अब इसके आगे क्‍या?   

एक्सपीएंडडी की शुरुआत 
नौकरी छोड़ अपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू करने की तैयारी शुरू हो गई थी। इनकंपस में 16 साल का अनुभव था। इतने सालों में जो रिश्‍ते कमाए थे, चंदा के जाने की बात सुनकर सब साथ चलने को तैयार हो गए। पुराने क्‍लाइंट्स एक्सपीएंडडी के साथ आ गए। पुरानी कंपनी से कई दोस्‍त साथ चलने को तैयार हो गए। चंदा की इतनी पहचान और संबंध थे कि कंपनी के लिए फंडिंग जुटाना भी कोई बड़ा काम नहीं था। कंपनी शुरू करने के साथ ही एक्सपीएंडडी को 4 करोड़ की फंडिंग मिल गई। 12 लोगों की शुरुआती टीम बनी। शुरुआत में कंपनी के पास अपना कोई ऑफिस नहीं था। वह मुंबई और दिल्‍ली के कैफों में बैठकर टीम काम करतीं। सारी शुरुआती तैयारियां उन्‍हीं कैफों में हुईं। कंपनी की सफलतापूर्वक शुरुआत हो गई। पहला इवेंट काफी सफल रहा। भविष्‍य काफी उम्‍मीदों से भरा था। अरमानों के साथ कंपनी शुरू हुई, लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर लॉकडाउन लग गया। एक्सपीएंडडी ने इस दौरान ठहरने के बजाय तुरंत अपने इवेंट मैनेजमेंट को ऑनलाइन इवेंट मैनेजमेंट में तब्‍दील कर दिया। एक्सपीएंडडी ने ऑनलाइन ही टाटा मोटर्स और ह्यूंडई की कार लांच की। ऑनलाइन सेमिनार, लेक्‍चर्स और वर्कशॉप करवाए। यह प्रयोग काफी सफल रहा। चंदा ने लॉकडाउन हटने और जीवन की सामान्‍य गति के लौटने का इंतजार करने की बजाय फिजिकल इवेंट से ऑनलाइन इवेंट पर शिफ्ट होने का फैसला किया। पैनडेमिक के दौरान जहां बहुत सारी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, वहीं एक्सपीएंडडी का बिजनेस इस दौरान भी काफी फलता-फूलता रहा। 
11 महीने में ही 60 करोड़ टर्नओवर 
12 लोगों की टीम के साथ बिना किसी ऑफिस के कैफों में स्‍टार्ट हुई कंपनी के शुरुआती 11 महीनों का ही टर्नओवर 60 करोड़ का रहा। चंदा को उम्‍मीद है कि 2022 के अंत तक कंपनी 100 करोड़ क्‍लब में शामिल हो जाएगी।  आज की तारीख में एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, मर्सिडीज, ह्युंडई, माइक्रोसॉफ्ट और बीसीसीआई आदि एक्सपीएंडडी के प्रमुख क्‍लाइंट्स हैं, जिनके लिए कंपनी इवेंट आयोजित करवाती है। तीन साल के भीतर एक्सपीएंडडी ने कनाडा, मॉलदीव और मिलान में एशियन पेंट्स के कुछ इंटरनेशनल इवेंट के आयोजन की जिम्‍मेदारी संभाली। इसके अलावा आईपीएल का ऑक्‍शन, चेस ओलंपियाड टॉर्च रिले इवेंट भी आयोजित किए। चंदा ने जब नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करने की इच्‍छा अपने घरवालों के साथ साझा की तो तीन पुरुषों से राय मांगी, अपने पिता से, अपने पति से और अपने मेंटर से। तीनों ने एक ही बात कही, तुम जो भी करोगी, हम हमेशा तुम्‍हारे साथ हैं। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।