बुली बाई ऐप में महिलाओं की तस्वीरों की नीलामी की जा रही थी और अभद्र शब्दों का प्रयोग हो रहा था। अगर आप न्यूज से थोड़ा भी जुड़कर रहते हैं तो आपने 'बुली बाई' के बारे में जरूर सुना होगा। आजकल इसे बहुत ज्यादा ट्रेंड में देखा जा रहा है और सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर काफी प्रोटेस्ट हो रहे हैं। पर क्या आप ये जानते हैं कि ये क्यों हो रहा है और आखिर इसे लेकर इतना गलत क्या है? हम आए दिन अपने सामने साइबर क्राइम की बातें सुनते हैं, लेकिन ये सोच नहीं पाते हैं कि आखिर इनसे आम जिंदगी पर क्या असर पड़ रहा है।

साइबर क्राइम के तहत अधिकतर महिलाओं और बच्चों को अपना शिकार बनाया जाता है और इस बार भी वही हुआ है। बुली बाई ऐप के जरिए महिलाओं की नीलामी की जा रही थी। ऑनलाइन मुस्लिम महिलाओं के नाम के आगे बोली लगाई जा रही थी और अभद्र शब्दों का प्रयोग इसके जरिए किया जा रहा था। पर क्या ये करना इतना आसान है और ऐसे कैसे कोई महिलाओं के साथ इतनी अभद्रता दिखा सकता है?

हो सकता है कि आपको अभी ये ना समझ आए कि इस तरह का नाम और इस तरह का ऐप कैसे कोई आसानी से बना सकता है और कैसे उसे बिना टेस्टिंग के ऑनलाइन पोस्ट कर सकता है। तो चलिए पहले आपको ये बताते हैं कि ऐसा कैसे किया गया है।

क्या है बुली बाई

ये एक ऐप है इतना तो आप जान ही गए होंगे, लेकिन ये गूगल प्ले या एप्पल स्टोर से डाउनलोड किया जाने वाला ऐप नहीं है। दरअसल, इसे माइक्रोसॉफ्ट के ओपन सोर्स होस्टिंग प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है जिसका नाम है Github। कोई भी ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म यूजर को ये सुविधा देता है कि वो अपने हिसाब से सॉफ्टवेयर में थोड़ा बदलाव कर नया प्रोडक्ट डिजाइन करे। यानी जिन कोड्स की जरूरत होती है वो करोड़ों कोड्स इस प्लेटफॉर्म पर पहले से ही लिखे हुए मिलते हैं।

ऐसे में कोई यूजर अपने ईमेल आईडी और कुछ बेसिक टेक्निकल नॉलेज के चलते ऐप बना सकता है। अब क्योंकि ये ओपन सोर्स है यानी इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है इसलिए ऐप बनाना और होस्ट करना बहुत आसान हो जाता है। यही कारण है कि इस प्लेटफॉर्म के तहत आपको हज़ारों ऐप मिल जाएंगे।इसी प्लेटफॉर्म से Bullibai.github.io यूआरएल बनाया गया (ये अब बैन हो चुका है)। इसी प्लेटफॉर्म से पहले सुली डील्स नामक ऐप भी पोस्ट हुआ था जिसमें ऐसे ही मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी। 

कई प्रतिष्ठित महिलाओं की तस्वीरों की लगी है बोली

इस ऐप के जरिए कई मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई गई और उन्हें इतने अभद्र शब्दों का सामना करना पड़ा जिसके बारे में शायद आप सोच भी नहीं सकते हैं। इसमें कई महिला पत्रकार भी शामिल हैं जैसे द वायर की पत्रकार इस्मत आरा जिन्होंने इसके बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दी और स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। 

यही नहीं इस ऐप में हर उम्र की महिला का नाम लिखा गया। यहां तक कि 2016 में जेएनयू से गायब स्टूडेंट नजीब की मां जो अपने बेटे की वापसी की उम्मीद अभी भी लगाए बैठी है उनका नाम भी शेयर किया गया है। 

क्या इस मामले में हो रही है कोई कार्रवाई

इस मामले में दिल्ली, मुंबई, नोएडा, हैदराबाद और अलग-अलग शहरों में एफआईआर की गई है। इसे लेकर अलग-अलग शहरों के पुलिस डिपार्टमेंट्स ने भी सोशल मीडिया पर बताया है कि कार्रवाई शुरू हो गई है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी कि कार्यवाही तेज़ी से की जा रही है और पुलिस के साथ मिलकर इस मामले में जांच हो रही है। इस यूआरएल को पहले ही ब्लॉक किया जा चुका है। 

पहले भी सामने आया था मामला, लेकिन कुछ नहीं हुआ- 

इसके पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है। करीब 6-7 महीने पहले 'सुली डील्स' नामक एक ऐप इसी प्लेटफॉर्म से बाहर आया था और उस ऐप में भी यही किया जा रहा था। इसी तरह से मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी और उनके बारे में अपशब्द कहे जा रहे थे। इसे लेकर भी बहुत विवाद हुए थे और काफी कुछ कहा जा रहा था, लेकिन किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं हुई और अब बुली बाई के आने के बाद से फिर से इस पर सवाल उठने लगे हैं। 

ऐसा कैसे हो सकता है कि इतनी आसानी से महिलाओं के साथ अभद्रता की जाए और उसपर सिर्फ चर्चा ही होकर रह जाए? हमारे देश में साइबर क्राइम से लेकर महिलाओं के प्रति होने वाले सैंकड़ों क्राइम्स को ऐसे ही नजरअंदाज किया जाता है। यहां तो एक धर्म विशेष की महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है और फिर भी इतनी आसानी से आरोपी गायब हो जाते हैं।  

एक बार सुली डील्स के समय ऐसा होने के बाद दोबारा इस तरह की घटना का सामने आना बहुत ही अपमानजनक लगता है। आखिर क्यों किसी के लिए इतना आसान होता है महिलाओं के बारे में इस तरह की बात कर लेना। कई लोगों को लगता है जैसे महिलाओं के बारे में अपमानजनक बातें करने से उनका पौरुष बढ़ रहा है और वो कूल हो रहे हैं, लेकिन उन्हें कौन समझाए कि ये सब कुछ सिर्फ दिखावा मात्र है।