राजधानी दिल्ली| राजधानी दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए जरुरी है कि स्त्रोत पर ही गीले कचरे का निस्तारण के लिए निजी कंपनियों से लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं और नवोन्मेष को आमंत्रित किया है। निगम इन सभी से गीले कचरे के निस्तारण के लिए प्रभावी मॉडल पर चर्चा करेगा और उनकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।

दिल्ली में फिलहाल प्रतिदिन करीब 11000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें 40 प्रतिशत यानि 4400 मीट्रिक टन गीला कचरा होता है जबकि 6600 मीट्रिक टन सूखा कचरा होता है। दिल्ली में अब भी गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल पर रोजाना गीला और सूखा कचरा मिश्रित होकर जाता है। इसकी वजह से निगम इन कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए जो अभियान या काम कर रहा है उसमें उसे उस तेजी से सफलता नहीं मिल पा रही है जितनी तेजी से मिलनी चाहिए क्योंकि एक ओर निगम लैंडफिल पर पड़े कचरे को निस्तारित करता है तो दूसरी ओर नया कचरा रोज यहां डल जाता है।

गीले कचरे के निस्तारण के लिए लगी कंपोस्टिंग ईकाईयां

ओखला लैंडफिर पर तेहखंड में 2000 मीट्रिक टन प्रतिदिन का कचरे से बिजली बनाने का संयंत्र लगा है तब से इस लैंडफिल पर नया कचरा नहीं डल रहा है जिसकी वजह से निगम ने दिसंबर 2023 तक इस लैंडफिल को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। दिल्ली नगर निगम द्वारा मांगी गई निविदा के अनुसार 4400 टन गीले कचरे के निस्तारण के लिए निगम के पास अभी 211 स्थानों पर विकेंद्रीकृत रूप से गीले कचरे के निस्तारण की कंपोस्टिंग ईकाईयां स्थापित की है। इसमें 543 टन प्रतिदिन गीले कचरे का निस्तारण कंपोस्टिंग और विभिन्न तरीके से किया जा सकता है।

निगम का उद्देश्य वर्तमान कंपोस्टिंग इकाईयों को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाने के साथ इनके रखरखाव का व्यावसायिक मॉडल पेश करने के लिए स्टार्टअप संचालित करने वाले लोगों के साथ निजी एंजेसियों, स्वयंसेवी संगठनों, सलाहकारों और हितधारकों को आमंत्रित किया गया है।