नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने दिल्ली की 1731 अनधिकृत कालोनियों में रहने वालों को संपत्ति का मालिकाना हक देने की स्कीम शुरू की थी, लेकिन अभी तक भी यह स्कीम अपेक्षित लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है।

आलम यह है कि करीब साढ़े तीन वर्ष में भी लगभग साढ़े 18 हजार लोगों को ही कन्वेंस डीड (सीडी) जारी की जा सकी है। आम जन काे जहां डीडीए के अधिकारियों से शिकायत है वहीं डीडीए का कहना है कि प्रक्रिया को और सरल बनाने की कोशिश चल रही है।

फरवरी 2020 के विधानसभा चुनाव से पूर्व 29 अक्टूबर 2019 को इस महत्वाकांक्षी स्कीम की शुरुआत केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के हाथों हुई थी।

कहा गया था कि इससे अनधिकृत कालोनियों में न केवल बेहतर ढंग से विकास हो सकेगा बल्कि यहां रहने वालों को बैंक से ऋण भी मिल पाएगा। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने स्कीम पर सवाल उठाए, लेकिन लोगों ने फिर भी इसमें दिलचस्पी दिखाई।

अधिकृत जानकारी के मुताबिक इस स्कीम के तहत साढ़े चार लाख से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं। आवेदन करने वालों की संख्या भी एक लाख से अधिक है, बावजूद इसके मालिकाना हक पाने वालों की संख्या अभी तक 19 हजार भी नहीं पहुंची है।

विचारणीय पहलू यह कि इन कालोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं। इस स्कीम के तहत आवेदन करने वाले लोगों का कहना है कि मालिकाना हक पाने की प्रक्रिया सहज नहीं है। यदि लोग कोशिश करते भी हैं तो प्रक्रिया से संबद्ध अधिकारी गंभीरता से अपना काम नहीं करते। इसी का नतीजा है कि आवेदन अस्वीकृत हो जाते हैं।

डीडीए के सूत्र बताते हैं कि पीएम उदय योजना में मालिकाना हक देने की प्रक्रिया में ज्यादातर वो अधिकारी तैनात रहे हैं जो डीडीए में दो तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए होते हैं।चूंकि इनकी जवाबदेही बहुत नहीं रहती तो अपेक्षित परिणाम भी नहीं आ पाते।

31 मई 2023 तक पीएम उदय स्कीम का ब्योरा

कुल पंजीकरण                                                     4,62,330
आवेदन आए                                                        1,13,518
आवेदनों पर कार्रवाई                                              1,13,254
कन्वेंस डीड जारी हुई़                                              18,568
अस्वीकृत आवेदन                                                 29,895
लंबित आवेदन                                                      65,055
आवेदक के स्तर पर लंबित मामले                            62,206
DDA के स्तर पर लंबित मामले                               2,849
DDA द्वारा अभी तक लगाए गए विशेष शिविर          736

विशेष शिविरों में हुए पंजीकरण की संख्या                  2,732

दिसंबर 2013 से मालिकाना हक के लिए हो रहीं परेशान

बवाना निवासी दर्शन दिसंबर 2019 से अपने प्लाट की रजिस्ट्री कराने के लिए प्रयास कर रही हैं। आठ दिसंबर 2019 को पहली बार पंजीकरण कराया।

डीडीए से नंबर - 08122019043637/163 मिला। इस नंबर के तहत 950 रुपये की फीस देकर जीआइएस सर्वे कराया। उसके बाद कभी कोई कागजात मांगे गए तो कभी कोई शपथ पत्र। बावजूद इसके जून- 2021 में आवेदन रद कर दिया गया। आठ जुलाई 2021 को नए सिरे से पंजीकरण कराया और नंबर - 08072021104034/428068 मिला।

एक हजार रुपये खर्च कर जीआइएस सर्वे भी दोबारा करवाया। इसके बाद डीडीए ने 11 हजार की फीस लेकर ग्रीनशीट दे दी और सब रजिस्ट्रार कार्यालय जाने को कहा।

20 से 25 हजार रुपये खर्च करने के बाद नौ नवंबर 2021 को रजिस्ट्री मिल गई। लेकिन अभी मार्च 2023 में डीडीए से कारण बताओ नोटिस मिला और रजिस्ट्री रद कर दी गई। कहा गया कि प्लाट की रजिस्ट्री नहीं होगी। 

हर पात्र को मिलने मालिकाना हक: सुभाशीष पांडा

इस बारे में बताते हुए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा ने कहा- हमारी पूरी कोशिश रहती है कि हर पात्र व्यक्ति को उसकी संपत्ति को मालिकाना हक मिले।

फिर भी कुछ मामलों में दस्तावेज पूरे न होने से दिक्कत आ जाती है। अब हम इस प्रक्रिया को और भी सरल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।