गाजियाबाद। पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश में हर साल शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तो हो रही है, लेकिन भर्ती नहीं हो रही है। इस कारण सबसे अधिक परेशानी हर जिले के नगर क्षेत्र में हो रही है, जहां शिक्षकों का भारी अभाव है। अगर गाजियाबाद की बात करें तो यहां इस साल 31 मार्च को 26 शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिनमें से सात नगर क्षेत्र के हैं। यहां 20 स्कूल केवल एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों के अलावा प्रदेशभर में शिक्षामित्र और अनुदेशकों की नियुक्ति भी लंबे समय से बंद है।
 इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा कहते हैं कि सेवानिवृत्ति तो हर साल हो रही है, लेकिन नियुक्ति 2018 से बंद है। पिछले साल जिले में 27 शिक्षक और उससे पहले 2023 में 25 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए, लेकिन आज तक उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी। सबसे बुरा हाल नगर क्षेत्र का है, यहां शिक्षकों की भारी कमी है। नगर क्षेत्र के जिलाध्यक्ष अमित गोस्वामी कहते हैं कि कई सालों से नियुक्ति और समायोजन दोनों बंद हैं। नगर क्षेत्र में 20 स्कूल केवल एक-एक ​​शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यहां तो कई स्कूलों में शिक्षामित्र भी नहीं हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2017 में जब प्रदेश में 68500 शिक्षकों की भर्ती हुई थी, उस समय गाजियाबाद जिले में पांच लोग नियुक्त हुए थे। 2018 में जब प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी, तब जिले में केवल एक शिक्षक नियुक्त हुए। उसके बाद आज तक शिक्षकों की कोई नियुक्ति नहीं हुई। वर्तमान में जिले में 2086 शिक्षक नियुक्त हैं, जबकि 30 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव का कहना है कि नियुक्ति का फैसला शासन स्तर से होता है। अभी फिलहाल कोई आदेश नहीं आया है। समायोजन का मामला अदालत में है और पारस्परिक स्थानातंरण के लिए भी अभी कोई तिथि नहीं आई है। निर्धारित तिथि आने के बाद काम शुरू होगा।

शिक्षामित्र की भर्ती भी लंबे समय से लंबित
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रिजवान कहते हैं कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति भी 2009 के बाद नहीं हुई है। लंबे समय से यह मामला लंबित है। वर्तमान में 548 शिक्षामित्र कार्यरत हैं। इन्हें 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। इतने कम पैसों में घर का गुजारा नहीं होता, इस कारण कई नौकरी छोड़कर जा चुके हैं।

कम मानदेय के कारण अनुदेशक छोड़कर जा रहे नौकरी
शारीरिक शिक्षा, गृहविज्ञान, कला, कंप्यूटर और कृषि विषय को पढ़ाने के लिए सभी छठीं से आठवीं तक के स्कूलों में अनुदेशकों की भर्ती की गई। 2016 के बाद इनकी भर्तियां भी बंद हैं। इस संबंध में अनुदेशक शिक्षा संघ के कोषाध्यक्ष संदीप कुमार कहते हैं कि अनुदेशक वहीं लगाते हैं, जहां बच्चों की संख्या 100 से अधिक है। वर्तमान में यह पांच विषय पढ़ा रहे हैं। पहले जिले में 97 अनुदेशक कार्यरत थे, लेकिन अब इनकी संख्या मात्र 74 रह गई है। इन्हें नौ हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। वेतन कम मिलने के कारण यह लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं। इसके वेतन बढ़ाने की मांग चल रही है। जिसके जल्द पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 2013, 2015 और फिर 2016 में इनकी नियुक्ति हुई। उसके बाद से बंद है। जल्द ही सौ बच्चों पर भर्ती वाला नियम हटने वाला है और वेतन भी बढ़ने वाला है। जिसकी घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। प्रदेश स्तर पर इसके लिए बड़ा अभियान चल रहा है।

​शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी ​शिक्षक मान रही सरकार
विभागीय अ​धिकारियों की मानें तो ​शिक्षक संघ के पदा​धिकारी कहते हैं कि ​शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है, जबकि सरकार ​शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी ​शिक्षक ही मानकर चल रही है। इस कारण उसे​ ​शिक्षकों की कमी नजर नहीं आती। ​संघ के पदा​धिकारियों की मानें तो ​शिक्षकों की भर्तियां दो भागों में बंटी हैं। जिसमें ग्रामीण और नगर  क्षेत्र अलग-अलग शामिल हैं। ​शिक्षकों की जो भी भर्तियां होती हैं, वह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होती हैं इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में तो भरपूर ​शिक्षक हैं लेकिन नगर क्षेत्रों में बुरा हाल है। 

गाजियाबाद में नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या
2024-25            19962            
2023-24             21081            
2022-23             24396            
2021-22             27111            
2020-21             24504            
2019-2020            25587            
नोट : बच्चों की संख्या पहली से आठवीं तक है

गाजियाबाद में नगर क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या
2024-25 - 248
2023-24 - 253
इस साल सात ​शिक्षकों की सेवानिवृ​त्ति के बाद नगर क्षेत्र में यह संख्या 241 रह जाएगी।