कागजों में ही खिला दी गई पेट के कीड़े की दवा...
बड़ौत। बच्चों को पेट की बीमारी से बचाने के लिए भले ही गत माह एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का अभियान चलाया गया हो, लेकिन यह अभियान मात्र कागजों पर ही करा दिया गया। गांव से लेकर नगर तक स्कूल, कॉलेज व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।
कृमि मुक्त दिवस पर बच्चों के पेट के कीड़े मारने के लिए शासन के निर्देशों पर स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर 10 फरवरी से 25 फरवरी तक बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का आदेश दिया था। बड़ौत व बिनौली सीएचसी के आंकड़ों पर गौर करें तो बड़ौत मेें एक लाख 14 हजार बच्चों को गोली खिलाने का लक्ष्य दिया गया था, जिसके सापेक्ष 98 हजार बच्चों को गोलियां खिलाई गईं, वहीं बिनौली सीएचसी के अंतर्गत दिए गए लक्ष्य एक लाख आठ हजार के सापेक्ष एक लाख दो हजार को दवाई खिलाई गई। लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। जब इसकी पड़ताल की गई तो बहुत से बच्चे दवा से वंचित हैं।-
स्कूल में दवाइयां रखकर कर दी खानापूर्ति
बड़ौत। कई स्कूल संचालकों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम स्कूलों में आई जरूर थी, लेकिन स्कूल के कार्यालय में दवाइयां रखकर लौट गई, एक भी बच्चे को अपने हाथों से दवा खिलाना उचित नहीं समझा। बताया कि बिना स्वास्थ्य विभाग के जब उन्होंने बच्चों को दवा खिलाने की कोशिश की तो अभिभावकों व बच्चों ने इंकार कर दिया।
- ये बोले बच्चे सिनौली गांव का नव एक निजी स्कूल में पढ़ता है। अभिभावकों से जब पूछा गया कि स्कूल या घर पर बच्चों को दवा खिलाई गई तो उन्होंने इंकार कर दिया, कहा कि किसी ने दवा नहीं खिलाई।
वाणी के अभिभावकों ने भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों को दवा खिलाने के लिए नहीं गई। स्कूल में न तो बुलाकर दवा खिलाई गई और न ही घर पर किसी प्रकार की दवा खाने को मिली। हमें एल्बेंडाजोल की गोली के बारे में जानकारी नहीं है।
ये बोले सीएचसी अधीक्षक-
सीएचसी अधीक्षक डाॅ. विजय कुमार और बिनौली सीएचसी अधीक्षक डाॅ. अमित कुमार ने बताया कि लक्ष्य के सापेक्ष 98 प्रतिशत दवाइयां बच्चों को खिलाई गईं हैं। कोई बच्चा छूट गया है तो फिर से टीम को भेजकर बच्चों को चिन्हित कर दवा खिलाई जाएगी।