गाजियाबाद। जिंदगी में नयापन लाने के लिए बस एक नजरिया बदलिए, सब कुछ बदल हो जाता है। नई सोच से आपकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, यह कहना है कि कबाड़ से जुगाड़ कर घर का कोना-कोना सजाने वाली डॉ. रुचि गोयल का। कोरोनाकाल में जब उन्हें समय मिला तो उन्होंने अपनी सास की पसंद को ही अपना जुनून बना लिया, जिससे उनके घर का हर कोना महक उठा।
अशोक नगर निवासी डॉ. रुचि गोयल किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, वैसे तो वह जिले की पहली महिला महापौर दमयंती गोयल की बहू हैं और वर्तमान में भाजपा महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल की पत्नी हैं, लेकिन उनकी खुद ही अलग एक पहचान है। जब आप उनके घर में घुसेंगे तो आपका मन आनंदित हो उठेगा। कबाड़ से सजा कोना, उसमें लगे विभिन्न प्रकार के पौधे और महकते फूल आपको प्रफुल्लित कर देंगे।

सास कूड़े के निस्तारण पर विशेष ध्यान देती थीं
उन्होंने बताया कि उनकी सास को बागवानी बहुत पसंद थी। बहुत सारे फूलों से उनका आंगन हमेशा महकता रहता था। महापौर के तौर पर भी उन्होंने शहर के सौंदर्यीकरण पर बहुत ध्यान दिया और कूड़े के निस्तारण पर उनका विशेष ध्यान रहता था, वह हमेशा कहतीं थीं कि अगर कूड़े का सही तरीके निस्तारण किया जाए तो कभी गाजीपुर जैसे कूड़े का पहाड़ बने। वह इसके सख्त खिलाफ थीं। उनकी मृत्यु के बाद घर के पौधे मुरझाए लगे। बागवानी कम होने लगी। कोरोनाकाल में जब हम सबके पास समय था तो एक दिन अचानक मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यों उनकी विरासत को आगे बढ़ाया जाए। वह हमेशा कहती थीं कि मेरे बाद मेरे पेड़-पौधों का ध्यान रखना। उसी दिन यह शौक जुनून में बदल गया।

घर के हर बेकार सामान का किया उपयोग
डॉ. रुचि ने सबसे पहले पति के टीनएज के बेकार पड़े स्कूटर को पेंट किया। उसमें गमले लगाकर उसे सुंदर लुक दिया। बच्चों की पुरानी साइकिल, टायर, पंखे की पत्तियां, पगड़ी का कपड़ा, पुताई के लिए इस्तेमाल होने वाला स्टैंड, खाली बेकार पड़े डिब्बे, हर चीज का इस्तेमाल घर को सजाने में किया। उन्होंने बताया कि उनके घर से एक भी कबाड़ नहीं निकलता है। इसके लिए एक भी पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है, बस आप पेंट, थोड़े कलर और अपनी रचनात्मकता से सबकुछ बदल सकते हैं। हर उस चीज को नयापन दे सकते हैं, जो सबकी नजर में बेकार है। उनके घर में आजकल कमल के फूल भी खूब खिल रहे हैं। उनका कहना है कि यह मेरी सास ने तालाब बनवाकर लगाए थे। वह कहती हैं कि प्रकृति के पास रहकर बहुत सुकून मिलता है, इसे आप शौक बनाकर हर प्रकार के दुख दर्द से दूर हो सकते हैं। प्रकृति आपको डिप्रेशन से दूर रखती है।