धराधायी हो रही प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना

गाजियाबाद। लक्ष्य न मिलने से पिछले दो सालों से प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना दम तोड़ रही है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों ओर से ढिलाई बरती जा रही है। वित्तीय वर्ष शुरू हुए करीब ढाई महीने बीत चुके हैं, लेकिन इस बार जिले में अभी तक उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के तहत लक्ष्य नहीं आया है।
इस बारे में उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के जिला समन्यवक और आईटीआई संस्थान के प्रधानाचार्य केडी मिश्रा का कहना है कि हर साल अप्रैल में लक्ष्य आ जाता है, लेकिन इस बार अभी तक नहीं आया है। जल्द आने की उम्मीद है। इसमें हमारे पास कोई बजट नहीं आता है, लेकिन कितने युवाओं को प्रशिक्षित करना है, इसका लक्ष्य आता है। इस योजना के तहत एमआईएस मैनेजर को 1500 रुपये केंद्रों के निरीक्षण के लिए और जिला समन्यवक को हजार रुपये दिए जाते हैं।
इस संबंध में जिला प्रबंधक रवि प्रजापति का कहना है कि जिले में केंद्र और राज्य के अलग-अलग केंद्र होते हैं। हम राज्य कौशल विकास योजना को देखते हैं। इसके लिए पहले राज्य, केंद्र से लक्ष्य मांगता है। उसके बाद जिलों में लक्ष्य भेजे जाते हैं। 2023-24 में जहां 22 केंद्र थे, वहीं 2024-25 में केवल छह केंद्रों पर युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। इस बार अभी तक कोई लक्ष्य नहीं आया है। हम इंतजार कर रहे हैं।
क्या है योजना
इस योजना के तहत हर केंद्र पर 18 से 35 साल के 108 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता है। विजयनगर इंटर कॉलेज में चलने वाला कोर्स केवल छात्राओं के लिए चलता है। उसमें 14 साल से छात्राएं भाग ले सकती हैं। केंद्रों पर ब्यूटीशियन का कोर्स, सिलाई-कढ़ाई सहित जनरल ड्यूटी एसिस्टेट का कोर्स कराया जाता है।
केंद्र और कोर्स दोनों घटे
जब यह योजना शुरू की गई थी, तब इसमें फैशन डिजाइनिंग, मोटर वाहन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली के काम, ब्यूटीशियन कौशल सहित स्वास्थ्य सेवा व योजना में उद्यमिता, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में भी प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा, लेकिन अब कोर्स भी घट गए हैं। रवि बताते हैं कि पिछली बार केवल तीन ही कोर्स का प्रशिक्षण दिलाया गया।
केंद्र की तरफ से ही हो रही ढिलाई
हर जिले में इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के अलग-अलग केंद्र चलते हैं। राज्य सरकारें इसके लिए पहले केंद्र सरकार से अपने लिए लक्ष्य मांगती हैं। वहां से लक्ष्य निर्धारित होने के बाद यह जिलों में वितरित किया जाता है, लेकिन पिछले दो सालों से केंद्र की ओर से राज्यों को बेहद कम लक्ष्य दिया जा रहा है। जिससे यह योजना शिथिल पड़ती नजर आ रही है। यह योजना प्रधानमंत्री की ओर से युवाओं को उद्यमी बनाने के उद्देश्य से 2015 में चलाई गई थी, लेकिन दो साल से धराधायी हो रही है।