भोपाल। 35 - 40 साल की उम्र हो जाने के बाद हम में से कई लोग यह सोचना शुरू कर देते हैं कि अब हम कुछ नया नहीं कर सकते, जो जिंदगी में मिल गया है, उसी में हम खुश हैं। लेकिन नीलिमा ठाकुर, जो अपने जीवन की शुरुआत से ही इंग्लिश टीचर और कम्यूनिकेशंस प्रोफेसर के रूप में जानी जाती थीं, उन्होंने 50 की उम्र में एक नया मोड़ लिया और आंत्रप्रेन्योर बनने का फैसला किया।

फेसबुक ग्रुप पर नुस्खे डालने से की शुरुआत
नीलिमा ने देखा कि उनके कई छात्र बालों के झड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं। उनका प्राकृतिक जड़ी बूटियों और तेलों के प्रति झुकाव था। उन्होंने एक मिश्रण तैयार किया और इसे अपने छात्रों को दिया। दो महीने के भीतर उन्हें बालों के अच्छे विकास का अनुभव होने लगा।  नीलिमा ने बताया, उन्होंने अपने छात्रों के बालों की देखभाल के उपाय देना जारी रखा और एक दिन फेसबुक ग्रुप पर नुस्खा डालने का फैसला किया और डालने लगीं।

दोस्त ने दिया बिजनेस शुरू करने का आइडिया 
नीलिमा ने बताया एक शाम, मुझे एक दोस्त का फोन आया। उसने मेरी फेसबुक पोस्ट देखी थी और मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि फेसबुक पर नुस्खा साझा करने के बजाय, मैं एक बिजनेस शुरू कर सकती हूं।" सुझाव सुनने के बाद, वह खिलखिलाकर हंसने लगीं, लेकिन इसके तुरंत बाद, दोस्त ने पहला ऑर्डर दिया। जैसे ही यह बात फैली, नीलिमा को छह से सात ग्राहक मिल गए। 

आज 22 से अधिक होममेड हेयर प्रोडक्ट्स का है कारोबार 
2016 में नीलिमा ने अपना हेयर केयर ब्रांड 'शाइन हर्बल्स' शुरू किया। आज, इस ब्रांड के पास हेयर ऑयल, शैंपू, सीरम समेत 22 होम-मेड हेयर केयर प्रोडक्ट्स का पोर्टफोलियो हैं। वर्तमान में, नीलिमा अपने प्रोडक्ट्स 'शाइन हर्बल्स' के फेसबुक पेज के माध्यम से बेचती हैं, जिसके करीब 4.4k फॉलोअर्स हैं।

2 साल तक बिजनेस को रखा सीक्रेट
जब उन्होंने पहली बार शुरुआत की तो किसी को भी विश्वास नहीं हुआ कि वह इस काम को कर सकती हैं। उन्होंने इसे दो साल तक सीक्रेट रखा और सब कुछ अपने दम पर मैनेज किया। नीलिमा ने कहा, “आप ऐसे और लोगों से मिलेंगे जो आपको हतोत्साहित करेंगे। ऐसे में आपको अपने हौसले बुलंद रखने होंगे। अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहो। मैंने बिना किसी के सहयोग के अपना बिजनेस शुरू किया, इसलिए जिंदगी में कभी हार मत मानो।

8 साल तक कम्युनिकेशन प्रोफेसर बन बच्चों को पढ़ाया
नीलिमा ठाकुर ने अपने करियर की शुरुआत इंग्लिश टीचर के रूप में की थी। दशकों तक उन्होंने स्कूलों में पढ़ाया और बाद में आठ वर्षों तक यूनिवर्सिटीज में कम्यूनिकेशंस प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने बताया, "मुझे बच्चों को पढ़ाना और उनके साथ संवाद करना बहुत पसंद था। शिक्षण मेरे लिए सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जुनून था।"

अब अपने लिए जीने की चाह
नीलिमा की कहानी हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक है। वह कहती हैं कि मैं दूसरों के लिए काफी जी चुकी हूं। अब मैं अपने लिए जानी चाहती हूं।  नीलिमा ने न केवल अपने जीवन में एक नई दिशा दी बल्कि दूसरों के लिए भी एक मिसाल कायम की है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है।