गाजियाबाद। एक ओर सरकार प्रत्येक बच्चे को स्कूल तक लाने के लिए हर गांव में स्कूल खोल रही है, वहीं जिले का चितोड़ा प्राथमिक विद्यालय बच्चे न होने की वजह से बंद होने की कगार पर है। यहां तैनात सभी शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है, अब केवल एक शिक्षामित्र की ड्यूटी लगाई गई है।
चित्तौड़ा गांव के प्रधान अरविंद कुमार की मानें तो यह स्कूल 2018 से ही बंद है। पिछले कई सालों से यहां बच्चे नहीं आ रहे। पहले 10 बच्चे थे, जो धीरे-धीरे घटकर और कम हो गए। 2021 में जब वह प्रधान बने तो इस संबंध में कई बार प्रशासनिक और शिक्षा अधिकारियों संग बैठक हुई। घर-घर जाकर अभियान चलाया गया लेकिन कोई अपने बच्चे को यहां पढ़ने भेजने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसका मुख्य कारण स्कूल का गांव से हटकर खेतों में होना है, दूसरे यहां करीब एक दर्जन से अधिक निजी स्कूलों की बसें आती हैं और यहां सभी गांववासी संपन्न हैं, इसलिए वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं। तब उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र लिखकर यहां तैनात शिक्षकों को हटाने के लिए पत्र लिखा। स्कूल में बच्चे नहीं थे तो शिक्षक खाली बैठे रहते थे। अब यहां केवल एक शिक्षामित्र तैनात है। इस संबंध में मिड-डे-मील के जिला समन्यवक टिंकू कंसल ने बताया कि इस संबंध में कई बार बैठक हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। यहां दो शिक्षक और एक शिक्षामित्र तैनात थे, लेकिन बच्चे न आने से शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। अब केवल एक शिक्षामित्र को तैनात किया गया है। बेसिक ​शिक्षा अ​धिकारी ओपी यादव का कहना है कि इसकी रिपोर्ट एडी बेसिक को भेज दी गई है। बहुत को​शिश की गई लेकिन स्कूल में एक भी बच्चा नहीं आया। 

कोई कोशिश नहीं लाई रंग
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा कहते हैं कि बहुत कोशिश हुई, लेकिन यहां बच्चे नहीं आए। इसमें ​शिक्षकों का कोई दोष नहीं है। लोग खुद ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहते। यह जाट बाहुल्य गांव है, सभी संपन्न हैं। यहां एक दूसरे को दिखाने पर जोर अ​धिक है।