वायु गुणवत्ता मापने को लगेंगे मोबाइल स्टेशन...
नई दिल्ली। वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए भविष्य में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) स्थायी मानीटरिंग स्टेशन से इतर मोबाइल स्टेशन भी लगाएगा।
इससे खर्च भी कम आएगा और एक ही स्टेशन से कई जगहों की वायु गुणवत्ता की निगरानी हो सकेगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इस आशय का निर्णय बुधवार को सीपीसीबी की 200वीं बोर्ड बैठक में हुई।
बैठक के एजेंडा में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत देश में मानीटरिंग स्टेशन लगाने और उनके संचालन पर होने वाले व्यय की समीक्षा का भी प्रस्ताव था।
इस पर एक सदस्य ने सुझाव दिया कि बेशक मानीटरिंग स्टेशन लगाने का खर्च राज्य और सीपीसीबी में आधा-आधा बंट जाता हो, लेकिन तब भी मोबाइल स्टेशन को बढ़ावा देने से न केवल खर्च घटेगा, बल्कि उसका इस्तेमाल भी एक से अधिक जगह की वायु गुणवत्ता मापने के लिए हो सकेगा।
सीपीसीबी अध्यक्ष तन्मय कुमार, सदस्य सचिव प्रशांत गार्गवा और अन्य बोर्ड सदस्यों की उपस्थिति में हुई इस बैठक में इस पर नाराजगी भी जताई गई कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व समितियां वर्षों बैठक ही नहीं करती हैं।
इस पर निर्देश दिया गया कि सभी बोर्डों और समितियों से उनकी बैठकों का रिकार्ड मंगवाया जाए और हर तीन माह में उनकी एक बैठक भी सुनिश्चित की जाए।
बैठक में एक बड़ा निर्णय यह रहा कि बेशक देशभर की औद्योगिक इकाइयों में वायु व जल प्रदूषण की निगरानी के लिए ऑनलाइन मानीटरिंग सिस्टम लग गए हों, लेकिन किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलने पर उन पर जुर्माना मौके पर जाकर लिए गए सैंपल की जांच के आधार पर ही लगाया जाएगा। दो सैंपल लिए जाएंगे। एक की जांच वह उद्यमी एनएबीएल स्वीकृत लैब से कराएगा, जबकि दूसरे सैंपल की जांच बोर्ड की लैब में होगी।
बैठक में उन औद्योगिक क्षेत्रों के लिए मानकों में बदलाव करने की भी सहमति बनी, जहां सर्वाधिक प्रदूषित उद्योग चल रहे हैं। अब उनके लिए एक जैसे पैरामीटर नहीं होंगे। यानी, यदि कोई औद्योगिक इकाई केवल वायु प्रदूषण फैला रही है, जल प्रदूषण नहीं, तो उसका स्कोर भी अलग होगा।
इसके अलावा बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2022 के तहत रिसाइलर पंजीकरण शुल्क तथा वार्षिक रिटर्न प्रोसेसिंग शुल्क पर भी निर्णय लिया गया। बैठक में पहली बार पर्यावरण संरक्षण पर पीएम नरेन्द्र मोदी का संदेश भी प्रसारित किया गया। संदेश में प्रधानमंत्री ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध एवं रामसर वेटलैंड को बढ़ावा देने के लिए सीपीसीबी द्वारा किए गए कई प्रयासों की सराहना भी की है।
इस बारे में जानकारी देते हुए सीपीसीबी के सदस्य डॉ. अनिल गुप्ता ने कहा- सीपीसीबी की 200वीं बैठक में लिया गया फैसला, कम खर्च में ही हो सकेगी वायु गुणवत्ता की निगरानी।
हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं समितियों को हर तीन माह में करनी होगी बैठक सीपीसीबी की बोर्ड बैठक में कई अहम निर्णय हुए। हर निर्णय में यही प्रयास रहा कि उद्यमी को कतई परेशानी न हो, वायु गुणवत्ता की बेहतर निगरानी हो सके तथा अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी सुधार हो सके।