अंतिमा सिंह

सीरीज : तीन

दिल्ली। मेरठ के क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में पिछले आठ महीने से कर्मचारी अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने मंत्री पृथ्वी सिंह रावत पर ढेर सारे आरोप लगाएं हैं, जैसे गाय रखने पर टैक्स वसूली की जा रही है, कैंपस में खुले आम शराब पी जाती है, जमीनों को बेचा जा रहा है। लीज का पैसा संस्था को न देकर व्यक्तिगत खर्च किया गया है। कर्मचारियों का महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है। पुरानी मशीनें बेच दी गईं, राष्ट्रीय झंडे की डाई पिलखुवा को दे दी गई है, जो अपराध है, कर्मचारियों का पीएफ का पूरा पैसा नहीं दिया जाता और जब दिया जाता है तो उसमें से रकम काट ली जाती है, कई लोगों को गलत आरोप लगाकर नौकरी से बर्खास्त किया गया है, जैसे कई संगीन आरोप लगाए हैं। इन सब बातों का पृथ्वी सिंह रावत ने जवाब दिया।

प्रश्न- योगी सरकार गाय पालन को बढ़ावा दे रही है और आप गाय रखने पर टैक्स वसूल रहे हैं?
उत्तर:
 दो  गाय रखने पर कोई टैक्स नहीं है लेकिन जो लोग 5-5, छह-छह, यहां तक की 15 से 16 गाय तक रख रहे हैं उन पर टैक्स है। लोगों ने डेयरी खोल रखी हैं। उनके इन निजी कामों के कारण संस्था का काम प्रभावित होता है। वैसे भी नियमानुसार गाय पालन के लिए नगर निगम से अनुमति लेनी पड़ती है, मैं अगर अभी नगर आयुक्त से शिकायत कर दूं तो सबका गाय पालन बंद हो जाएगा। इसमें वो लोग भी बेवजह परेशान होंगे, जिन्होंने एकाध गायें रखी हुईं हैं।

प्रश्न- गांधीजी के इस पवित्र आश्रम में खुले आम शराब पी जाती है और मांस-मछली बनती है?
उत्तर: मैंने यहां रात 10 बजे के बाद एंट्री बंद कर रखी है, आप मुझे फोन करके आ जाइए, मैं आपको दिखा दूंगा कि शराब कौन लोग पीते हैं। रही बात मांस-मछली की, यह कोई अपने घर में बनाए तो क्या दिक्कत है। घर में कोई कुछ भी करे तो क्या परेशानी है। समाज में शाकाहारी, मांसाहारी हर तरह के लोग हैं। खुले में बनाने की बात सरासर झूठ है। अगर मैं गलत हूं तो पुलिस बुलवाएं और मुझे जेल भिजवाएं, मैं गलत होऊंगा तो जेल जाऊंगा।

प्रश्न: यहां की जमीनें बेची जा रही हैं?
उत्तर: यहां की जमीन केवल लीज पर दी जाती हैं, बेचने का हमें हक नहीं है। जरूरत पड़ने पर आप कोर्ट की अनुमति से ही इसे बेच सकते हैं। साथ ही डिप्टी रजिस्ट्रार को भी सूचना देनी होगी। जिन्हें नियमों की जानकारी नहीं है, वह ऐसी बातें करते हैं।

प्रश्न: आप पर कई गंभीर आरोप है कि आपने संस्था का पैसा व्यक्तिगत कार्यों पर खर्च किया है और यहां कई प्रकार की अनियमितताएं और भ्रष्टाचार व्याप्त है?
उत्तर : मेरी जांच करा लो। वैसे आयुक्त और जिलाधिकारी मेरी जांच कर चुके हैं, आज तक कुछ नहीं मिला। अगर मैं गलत होऊंगा तो जेल जाऊंगा।

प्रश्न- आपने रंगाई विभाग जहां राष्ट्रीय झंडा छपता था, उसे हाल ही में तुड़वा दिया और तिरंगे की डाई भी कहते हैं पिलखुवा को दे दी। आप पर सारी मशीनें बेचने का भी आरोप है?
उत्तर: बात जहां तक रंगाई विभाग तोड़ने की  है तो इस बारे में गांधी आश्रम लखनऊ बताएगा। संपत्ति लीज पर देने का कार्य उनका है। हम केवल व्यवस्था देखते हैं। राष्ट्रीय झंडा यहीं पर छपता है। डाई देने की बात झूठ है। आप रंगाई विभाग में आकर देख सकते हैं, झंडा यहीं छपता है। मशीनों की 20 साल की मियाद पूरी हो चुकी थी, उसके बाद भी उसे 20 साल और चलाया गया। टेंडर निकालकर उनकी नीलामी 2011 में खादी ग्रामोद्योग आयोग की देखरेख में की गई। मशीनों में जंग लग चुकी थी, अब वो काम नहीं  कर रही थीं।

प्रश्न: आपने यहां पार्किंग बना रखी है?
उत्तर :
जब कमाई का साधन नहीं तो आय बढ़ाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा। पहले कभी किसी कर्मचारी के मामा तो कभी चाचा, कभी दोस्त तो कभी किसी रिश्तेदार की गाड़ी फ्री में दिनभर खड़ी होती थी, तो हमने इसका शुल्क लेना शुरू कर दिया। उत्पादन है नहीं, सरकार सहयोग देती नहीं तो कर्मचारियों का वेतन कहां से लाएंगे।

प्रश्न: आप लोगों का पीएफ का पूरा पैसा नहीं देते और कहा जाता है कि जब दिया जाता है तो उसमें से किराया काट लिया जाता है, पीएफ से  काटना तो सरासर गलत है।
उत्तर:
मैडम, जब व्यक्ति रिटायर हो जाता है तो उसे खुद मकान खाली कर देना चाहिए लेकिन लोग ऐसा नहीं करते। उन्हें कई बार नोटिस भी दिया जाता है लेकिन वह खाली नहीं करते। फिर उन्हें मासिक किराए की जानकारी भी बकायदा पत्र लिखकर दी जाती है। किराया न देने पर अंत में वह जमा पूंजी से काट लिया जाता है। कुछ लोग को किराया देकर रहने को सालों तैयार हैं बताइए, ये क्या तरीका है। सब कुछ लिखत-पढ़त में होता है, ऐसे कोई न किसी का पैसा काटा जा सकता है। खादी ग्रामोद्योग से भी इस मुद्दे पर बात की तो वह कहते हैं कि यह आपका निजी मामला है।

प्रश्न: आप पर एक डीकेएस शिक्षा समिति बनाकर गांधी आश्रम संस्था के 68 लाख रुपये खर्च करने के आरोप अनशन पर बैठे कर्मचारी लगा रहे हैं, इस संबंध में पत्र व्यवहार भी किया गया है। साथ ही संस्था की 7500 वर्ग मीटर जमीन शिक्षा समिति को ट्रांसफर करने के भी आरोप हैं?
उत्तर
: कोई जमीन ट्रांसफर नहीं  की गई है, ना तो ट्रांसफर हो सकती है। वहां स्कूल खोलने का प्लान था लेकिन वह जमीन सरकार और सरकार ने जिससे अधिगृहीत की थी, उनके बीच विवाद के कारण रुक गया। एमडीए से स्कूल का नक्शा पास कराने में जरूर 43 लाख रुपये खर्च हुए हैं। यह मामला 2014 का है, लोगों को इतने साल बाद अब क्यों याद आ रहा है। जमीन संबंधित अन्य जानकारी आपको लखनऊ से मिलेगी।

प्रश्न: कुछ लोगों को गलत तरीके से नौकरी से निकालने का आरोप है?
उत्तर
:
समाज का यह नियम पहले से रहा है कि जब भी फैसले होते हैं तो कुछ सभी को पसंद आते हैं तो कुछ किसी को पसंद आते हैं तो कुछ नहीं आते हैं। ऐसा ही समिति के साथ है, समिति के कुछ फैसले सबको पसंद आते हैं, कुछ नहीं पसंद आते, जिन्हें पसंद नहीं आते वो बेवजह फसाद करते हैं, उन्हें बकायदा नोटिस देकर हटाया गया है। हर चीज की कागजी कार्रवाई होती है। सब लिखत-पढ़त में होता है।

सीरीज जारी रहेगी .........