नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगने से छह बच्चों की मौत के मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। जांच में सामने आया कि अस्पताल ने अग्नि सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया था।

ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की घनी आबादी और बहुमंजिला इमारतों में आग से बचाव को लेकर पुख्ता इंतजाम न होना बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में आग से बचाव को लेकर रिहायशी और व्यावसायिक इमारतों के लिए क्या नियम हैं और आग लगने पर मुसीबत में फंस गए हैं तो अपना बचाव कैसे कर सकते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में आग लगने का खतरा ज्यादा

दिल्ली-एनसीआर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों, दफ्तरों और बहुमंजिला इमारतों में हमेशा आग लगने का जोखिम बना रहता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उद्योगों के विस्तार और ऊंची इमारतों के निर्माण से यह खतरा अब और भी बढ़ गया है। दिल्ली-एनसीआर की कई ऊंची इमारतों में पर्याप्त अग्निशमन यंत्र और व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हैं, जो आग लगने पर सुरक्षा की दृष्टि से बेहद जरूरी मानी जाती हैं।

सोसायटी में आग से सुरक्षा के नियम

  • सोसायटी में कोई भी इमारत इस प्रकार नहीं बनाई जाए कि किसी अन्य भवन तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां न पहुंच सके।
  • सोसायटी में मुख्य सड़क की चौड़ाई जिस पर भवन स्थित है, 9 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
  • सोसायटी में मौजूद घरों तक पहुंचने के लिए अगर रास्ते पर कोई मोड़ या मोड़ है, तो अग्नि उपकरणों को मोड़ने में सक्षम बनाने के लिए मोड़ पर पर्याप्त चौड़ाई प्रदान की जाएगी, मोड़ चक्र कम से कम 9.0 मीटर त्रिज्या का होना चाहिए।
  • सोसायटी परिसर का मेन गेट पर्याप्त चौड़ाई का होना चाहिए ताकि दमकल गाड़ी इमारतों तक आसानी से पहुंच सके और किसी भी स्थिति में इसकी चौड़ाई 5 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

दफ्तर के लिए अग्नि सुरक्षा नियम

  • आग से सुरक्षा को लेकर एनओसी होनी चाहिए।
  • दफ्तर में आग लगने के जोखिम मूल्यांकन किया जाना चाहिए और ऐसी स्थिति के लिए एक आपातकालीन योजना बनाई जानी चाहिए।
  • किसी भी विपरीत स्थिति के लिए दफ्तर में फायर अलार्म और पर्याप्त अग्निशामक यंत्र उपलब्ध होने चाहिए।
  • प्रशिक्षण में कर्मचारियों को विभिन्न अग्नि सुरक्षा उपकरणों जैसे अग्नि अलार्म, अग्निशामक यंत्र, अग्नि सुरक्षा किट और अन्य आवश्यक सामग्री के कामकाज के बारे में बताया जाना चाहिए।
  • कर्मचारियों को आपातकालीन अग्नि एग्जिट गेटों के बारे में पता होना चाहिए जिनका इस्तेमाल आग लगने की स्थिति में किया जाना चाहिए।
  • कर्मचारियों को बताया जाना चाहिए कि आग लगने के दौरान कभी भी लिफ्ट का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना कई दुर्घटनाओं में जानलेवा साबित हो चुका है।
  • समय-समय पर बिजली और अग्निशामक यंत्रों की जांच करानी चाहिए।
  • प्रशिक्षण में कर्मचारियों को आग से प्रभावित क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद एक निर्धारित क्षेत्र में इकट्ठा होना सिखाना शामिल होना चाहिए।
  • दफ्तर में नामित जिम्मेदार व्यक्ति होना चाहिए और सभी कर्मचारी जानते हों कि यह कौन है। कर्मचारियों को यह भी पता होना चाहिए कि फायर वार्डन कौन हैं और आग बुझाने वाले उपकरण कहां हैं और उनका उपयोग कैसे करना है।

आग में फंस गए तो कैसे करें अपना बचाव?

  • अगर आप किसी आग लगी इमारत में फंस गए हैं तो पैनिक न करें।
  • घर का सामान बचाने की बजाय अपने आप को सुरक्षित रखने के बारे में सोचें।
  • यदि आपके कपड़ों में आग लगी हो तो रुककर लुढ़कना याद रखें।
  • अगर इमारत में धुआं भर गया है तो वहां से तुरंत बाहर निकलें।
  • भागने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।
  • दूसरे कमरे में जाने से पहले दरवाजे के हैंडल की जांच करें। अगर वह गर्म हैं तो दूसरी ओर भी आग लग सकती है।
  • अगर आप अपना घर छोड़ने में सक्षम नहीं हैं तो मदद के लिए बाहर के लोगों को बुलाएं। यदि आप किसी ऊंची इमारत में हैं, तो आपातकालीन कर्मियों को दिखाने के लिए अपनी खिड़की के बाहर या अपनी बालकनी से एक चादर लटकाएं कि आप कहां हैं।

चिंगारी या धुआं को न करें नजरअंदाज

अहलावत सफदरजंग के फायर स्टेशन अधिकारी मनोज अहलावत ने कहा कि यदि मकान या दुकान में चिंगारी व धुआं उठते देखा जाता है तो तुरंत सख्त कदम उठाना चाहिए। घरों व दुकानों में अग्निशमन यंत्र जरूर लगाने चाहिए। इससे घरों में लगने वाली आग को रोका जा सकता है।

अधिकतर देखा गया है कि तारों में चिंगारी उठने के बाद उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। जहां भी चिंगारी उठे वहां अग्निशमन यंत्र का इस्तेमाल कर उसको बुझाने का कार्य करें।

पुरानी दिल्ली के बाजारों में भयावह हैं लटकते तार

दिल्ली समेत देश में कहीं भी आग लगने की घटना हो, पुरानी दिल्ली के दुकानदारों की चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि वे खुद ऐसे स्थान पर बैठे हुए हैं, जो दहकता रहता है। आग लगने की घटनाएं अक्सर होती हैं।

इससे आर्थिक नुकसान काफी होता है। उसकी बड़ी वजह यहां के थोक बाजारों में मौजूद तारों का सघन जाल है। आग से बचाव को लेकर विशेष कार्ययोजना बनाने तथा उस पर निर्णायक क्रियान्वयन की मांग वर्षों से हो रही है।

क्यों है स्थिति विकट?

पुरानी दिल्ली में 50 से अधिक थोक बाजार हैं। यह उत्तर भारत का प्रमुख कारोबारी हब है। इस क्षेत्र में तीन लाख कारोबारी प्रतिष्ठान हैं, जो संकरी गलियों में बसे हुए हैं। कूचों, कटरों व गलियों में एक-एक इमारतों में 20 से 50 कारोबारी प्रतिष्ठान तक हैं, जिनमें एयरकंडीशनर (एसी), तेज रोशनी के बल्ब समेत अन्य में बिजली का उपयोग अधिक है, जिसके लिए तार संकरी गलियों से गुजरे हुए हैं। गलियों में इंटरकाम, इंटरनेट व टेलीफोन के तार के साथ टीवी केबल भी गुजरे हैं, जो स्थिति को भयावह बनाते हैं।

क्या हुआ काम?

चांदनी चौक के पुनर्विकास में लाल जैन मंदिर से फतेहपुरी चौक तक 1.3 किमी सड़क स्थित तारों को भूमिगत करने के साथ ही पानी की विशेष पाइप लाइन बिछाई गई है। फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगाए गए हैं। छह लाख लीटर की क्षमता वाले भूमिगत जलाशय का निर्माण हुआ है। उसके माध्यम से बिना अग्निशमन सेवा के टैंकर के पाइप लाइन से पानी लेकर बचाव अभियान शुरू किया जा सकेगा।

फायर हाइड्रेंट सिंस्टम ने हाल ही में काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी व अग्निशमन विभाग में समन्वय के अभाव में उसका उपयोग शुरू नहीं हुआ है, जिसकी बानगी 12 मई को ही किनारी बाजार में लगी भीषण आग में देखने को मिली, जिसमें आग पर काबू पाने के लिए 13 टैंकरों का इस्तेमाल हुआ।

नवंबर 2022 में भागीरथ पैलेस में भीषण अग्निकांड के बाद उपराज्यपाल ने स्थलीय निरीक्षण कर गलियों में लटकते तारों को हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन उसका भी विरोध होने पर कुछ दिन में ही वह अभियान ठप पड़ गया।

फाइलों में धूल खा रही उच्चाधिकार समिति की रिपोर्ट

दो वर्ष पूर्व भागीरथ पैलेस में भीषण अग्निकांड को गंभीरता से लेते हुए उपराज्यपाल ने बाजारों में आग की घटनाओं पर रोकथाम व तत्काल बचाव अभियान के उपायों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए विभागों के अधिकारियों की उच्चाधिकार समिति गठित की थी, जिसने पिछले वर्ष रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन वह फाइलों के ढेर में धूल खा रही है।

आग लगने की प्रमुख घटनाएं

  • अप्रैल 2023- कूचा महाजनी में आग की घटना में कई दुकानें जलकर हुई थीं खाक
  • 24 नवंबर 2022-भागीरथ पैलेस में लगी भीषण आग में 250 से अधिक दुकानें खाक
  • 5 सितंबर 2022- कूचा नटवा में आग से 200 दुकानें जलीं
  • 3 जनवरी 2021 कटरा नील में आग से 50 दुकानें खाक
  • फरवरी 2020- भागीरथ पैलेस में भीषण आग से कई दुकानें खाक
  • अप्रैल 2018 -कूचा महाजनी में आग, एक व्यक्ति की मौत, कई दुकानें राख
  • 22 मई 2017 कटरा धुलिया में आग से 40 से अधिक दुकानें जली