सहारा के पैसे निकालने को नहीं मिल रहा सरकार का 'सहारा', जमाकर्ता परेशान

रंजीता सिंह
दिल्ली। इसी साल जनवरी में संसद में विपक्ष के नेता के सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने यह लिखित जवाब दिया कि सहारा के 11.61 लाख जमाकर्ताओं को अब तक 2026 करोड़ रुपये लौटाए जा चुके हैं। बाकी लोगों को इस साल तक पैसे लौटा दिए जाएंगे, मगर अफसोस की बात यह है कि जिस सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से पैसा लौटाने की बात की जा रही है, वह पोर्टल प्रोपर तरीके से काम नहीं कर रहा है। कागजात डाउनलोड करते ही उस पर फॉर्म सबमिट नहीं हो रहे हैं। यह किसी एक निवेशक की नहीं सैकड़ों निवेशकों की शिकायतें हैं, जिसे लेकर वह सहारा एजेंट और बैंक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।
बबीता के करीब 20 लाख रुपये सहारा में फंसे हुए हैं। वह कई एजेंट से संपर्क कर चुकीं लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। ना ही यह पता चल रहा है कि पैसे कब और कैसे मिलेंगे। ऐसा ही हाल संजीता देवी का है। उनके भी चार लाख रुपये फंसे हुए हैं, उनका कहना है कि हमने एजेंट के माध्यम से पैसे लगाए थे, जब भी उनसे पूछते हैं, कहते हैं कि पोर्टल पर फॉर्म सबमिट नहीं हो रहे हैं। वह कहती हैं कि सरकार कह रही है कि पैसे दिए जा रहे हैं और हमें नहीं मिल रहे हैं। यह भी पता नहीं चल रहा है आखिर यह कैसे और कब मिलेंगे। हम रिटर्न की बात तो भूल गए, मूलधन ही मिल जाए, लेकिन मिले तो सही।
गौरतलब है कि सहारा की कंपनियों और योजनाओं में देशभर में बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया था, लेकिन नियमों का उल्लंघन करने और अवैध रूप से धन जुटाने पर सेबी ने सहारा पर 2010 में सार्वजनिक धन जुटाने पर रोक लगा दी। बाद में सेबी ने समूह को 45 दिन के अंदर लोगों के पैसे 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश जारी किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने के लिए कहा था, इस दौरान सहारा ने न तो निवेशकों के पैसे लौटाने के सबूत दे पाया और न ये बता पाया कि इतना पैसा आया कहां से। 2023 में कार्डियेक अरेस्ट से मौत हो गई और उसके बाद लोगों में अफरातफरी मच गई और वह पैसे निकालने को भागने लगे, लेकिन लोगों का फंसा पैसा अभी तक नहीं निकल पा रहा है। इसके लिए सरकार ने सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल जारी किया है। जिस पर रजिस्ट्रेशन कर रकम निकाली जा सकती है, पर ऐसा हो नहीं पा रहा है।
सरकार ने उठाए कदम
1-सरकार ने सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल शुरू किया।
2-केंद्र सरकार ने सहारा ग्रुप सहकारी समितियों के छोटे जमाकर्ताओं के लिए वापस की जाने वाली राशि की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी है।
सहारा रिफंड पोर्टल पर आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
1-सहारा में निवेश की सदस्यता संख्या ग्राहक को देनी होगी।
2-जमा खाता संख्या ग्राहक को देनी होगी।
3-आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर ग्राहक के पास होनी चाहिए।
4-जमा कर्ता का पासबुक उसके पास होना चाहिए।
5-पैनकार्ड होना चाहिए ( यदि राशि 50 हजार से ज्यादा है)
कैसे करें रजिस्ट्रेशन
1-सहारा का रिफंड पाने के लिए सबसे पहले सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल (https://mocrefund.crcs.gov.in/Depositor/Register)
पर रजिस्ट्रेशन करें।
2-रजिस्ट्रेशन के लिए आधार के अंतिम 4 नंबर और आधार से लिंक्ड अपना मोबाइल नंबर भर दें।
3-इसके बाद मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा, जिसे भरना जरूरी है। इसके बाद फॉर्म आपके सामने ओपन हो जाएगा।
4-ऑफलाइन फॉर्म डाउनलोड करने के बाद उसे भरकर स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड कर दें।
5-दी गई जानकारी की जांच के बाद रिफंड राशि भेज दी जाएगी।
अभी 50 हजार तक निकल रही रकम
इस संबंध में गाजियाबाद के नवयुग मार्केट स्थित सहारा ब्रांच के जितेंद्र नेहरा ने बताया कि कागज जमा करने के 30 दिन बाद सहारा से खाते का स्पष्टीकरण आता है, फिर 15 दिन के अंदर उपभोक्ता को बताया जाता है कि उसके कागज जमा हो चुके हैं। इस प्रक्रिया में 45 दिन लगते हैं। अभी 50 हजार तक की रकम दी जा रही है। उससे ऊपर वाले अभी तसल्ली रखें। पोर्टल पर खुद लोग अपलोड करने से बचें, कई बार वह गलत अपलोडिंग कर दे रहे हैं, इसलिए पैसे नहीं आ रहे हैं। 50 हजार से ऊपर की रकम वालों को पैन और आधार कार्ड की कॉपी जमा करना आवश्यक है। कागजात में कमियां होने पर भी दिक्कत आ रही है, उसमें सुधार करवाया जा रहा है। जिनके पास कोई कागजात नहीं हैं, उसे पैसा मिलना मुश्किल है। बहुत लोगों ने एजेटों के माध्यम से रकम लगवाई थी और कागज भी नहीं लिए, ऐसे लोगों को ही दिक्कतें आ रही हैं।
चार सहकारी समितियों का पैसा निकाल सकते हैं
सहारा ग्रुप की 4 बहु-राज्य सहकारी समितियों में जमा राशि के लिए पोर्टल बनाया गया। यह समितियां सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड लखनऊ, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड भोपाल, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लि., कोलकाता और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, हैदराबाद हैं।
कैसे फंसते गए लोग
कभी लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों पर भरोसा किया था। देशभर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई सहारा में निवेश की थी। कभी सपने में भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन ब्याज तो दूर अपनी मूलभूत रकम के लिए भी उसे इस तरह परेशान होना पड़ेगा। लोगों को एफडी में सालाना 11 से 12 फीसदी रिटर्न देने का वादा किया जाता था। कई बार लोगों को यह रिटर्न और उपहार मिले भी। तब लोगों का भरोसा बढ़ता गया और कंपनी स्कीम पर स्कीम लाती गई और लोग फंसते गए। आगे जाकर जमा किए गए रुपयों पर लोगों को न तो रिटर्न मिला और न ही उनका पैसा। अब लोग मूलधन पाने के लिए ही परेशान हैं।
कहां फंसा हुआ पेंच
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार बीते महीनों सहारा की तरफ से एक ऐड जारी किया गया था। इसमें सहारा ने कहा था कि हमसे दौड़ने के लिए तो कहा जाता है, लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सेबी निवेशकों को भुगतान क्यों नहीं कर रहा, जबकि उसके पास हमारे 25,000 करोड़ रुपए जमा हैं। वहीं सेबी का कहना है कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिस कारण वो पैसा नहीं दे पा रही है।
कभी लाखों कर्मचारी करते थे काम
एक समय था, जब सहारा देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक हुआ करती थी। इसमें 11 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे। रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से लेकर स्पोर्ट्स तक सहारा इंडिया का बिजनेस फैला था। 11 सालों तक यह ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। आईपीएल में पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक भी सुब्रत रॉय सहारा थे।
इस तरह फंसी कंपनी
साल 2009 में कंपनी ने आईपीओ लाने की योजना बनाई थी। सहारा ने जब सेबी से आईपीओ की बात कही तो सेबी ने डीआरएचडी यानी कंपनी का पूरा बायोडाटा दिखाने को कहा। सहारा ने दो कंपनियों का नाम बताया, सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इवेस्टेमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड। दस्तावेजों की जांच के दौरान सेबी को कुछ शक हुआ। सेबी ने सहारा से उसके पास जिन लोगों के रुपये जमा थे, उनके दस्तावेज मांगे। सहारा ने सेबी को 127 ट्रक कागजात ऑफिस में भेजे। सेबी ने जब इनकी जांच की तो उसमें बहुत गड़बड़ी मिली, जिसके बाद सेबी ने सहारा के नए ओएफसीडी जारी करने से मना कर दिया।
अपने रुपयों के लिए ही काट रहे चक्कर
सहारा में जमा अपनी मेहनत की कमाई के लिए लोग चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिन एजेंटों के सहारे वो अपने रुपये जमा करते थे, अब उनका कोई अता-पता नहीं है। निवेशकों को नहीं पता कि उन्हें अपने जमा रुपये कब वापस मिल पाएंगे। दिनभर मेहनत करके रुपये जोड़ने वाले लोग आज अपने जमा रुपयों के लिए परेशान हैं। लोगों ने पहले कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
बिहार में फंसी है चार हजार करोड़ की राशि
बिहार में 30 हजार निवेशकों की चार हजार करोड़ राशि फंसी है। जिसमें से अभी तक 400 करोड़ के लिए लोगों ने क्लेम किया है। अन्य लोगों ने अभी तक कागजात जमा नहीं कराए हैं।