जरूरत से ज्यादा ब्रांडिंग, प्रशासन की लापरवाही, लोगों की जान पर पड़ी भारी

दिल्ली। प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ की जरूरत से ज्यादा ब्रांडिंग और उसके बाद सरकारी अधिकारियों की लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ गई। इस महाकुंभ के कारण दो हादसे हो चुके हैं। जिसमें जानमान की क्षति हुई है। पहला हादसा मौनी अमावस्या के दिन संगम घाट और दूसरा शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुआ। सरकारी आंकड़ों के अनुसार संगम घाट पर भगदड़ में नदी किनारे सो रहे 30 लोग कुचलकर मारे गए, जबकि नई दिल्ली स्टेशन पर रेलवे प्रशासन ने 18 लोगों के मौत की पुष्टि की है।
सबसे अहम सवाल यह है कि यह हादसे क्यों और कैसे हुए। आजमगढ़ निवासी हेमा और कोकिला भी मौनी अमावस्या 31 जुलाई के दिन रात दो बजे संगम घाट पर मौजूद थीं। उनकी आंखों के सामने ही भगदड़ मची। उनका कहना है कि आने-जाने का एक ही रास्ता था। उस रास्ते पर इतनी अधिक भीड़ थी कि एक कदम भी चलना मुश्किल था। अन्य रास्ते पुलिस ने बंद किए हुए थे। जिस कारण और परेशानी हो रही थी। वह भी उसी भीड़ में से मुश्किल से घाट तक पहुंचीं। अन्य रास्ते बंद होने से भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मची। उन्होंने बताया कि वह लोग एक दिन पहले पहुंच गए थे, उसी दिन से भारी भीड़ जमा थी, प्रशासन की ओर जो इंतजाम किए गए वो नाकाफी थे। आने-जाने का एक ही रास्ता हादसे की मुख्य वजह बना। साथ ही उनका कहना है कि बस से उतरकर करीब 20 किमी की दूरी पैदल तय करके लोग संगम तट तक पहुंच रहे थे। ऐसे में जो इतनी दूरी तय करके आएगा, वह स्नान करके ही वापस जाएगा। इस कारण कई किमी पैदल चलकर संगम घाट पर पहुंचे श्रद्धालु वहीं नदी किनारे सो गए, अधिकतर सोते हुए श्रद्धालु कुचले गए। कोकिला का कहना है कि यह बात सही है कि सभी संगम तट पर स्नान करना चाह रहे थे, लेकिन जगह-जगह बंद किए गए रास्ते हादसे की मुख्य वजह बने। उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया तो कि वह लोग सही सलामत घर पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो हादसे में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से ज्यादा है, हालांकि सरकारी आंकड़ों में केवल 30 की मौत पुष्टि हुई। ऑटो चालक साहिल ने बताया कि प्रयागराज से 32 लोगों के शव तो केवल दिल्ली के हर्ष विहार में आए तो कैसे कह दें कि केवल 30 लोगों की मौत हुई। गाजियाबाद निवासी कैलाश कहते हैं कि सरकार ने महाकुंभ की खूब ब्रांडिंग की, लेकिन प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हुए। स्पेशल बसों और ट्रेनों से भीड़ तो देशभर से जुटती गई, पर उस स्तर से इंतजाम नहीं किए गए। तभी दो हादसे हो गए।
पहले हादसे के बाद भी सबक नहीं लिया गया और दूसरा हादसा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हो गया। ट्रेन से यात्रा करने वाली मधु ने बताया कि वह अपनी सहेली संग रेलगाड़ी से प्रयागराज गई थीं। सभी कोच जनरल जैसे हो रखे थे। उनका रिजर्वेशन थर्ड एसी में था, लेकिन वह कोच भी खचाखच भरा था। पैर रखने तक की जगह नहीं थी। अत्यधिक भीड़ के कारण चेकिंग भी नहीं हो रही थी। यह अव्यवस्था पहले से चल रही थी, जिस पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया और इसने शनिवार को भीषण रूप ले लिया।
जरूरत से ज्यादा ब्रांडिंग के कारण लोग महाकुंभ में स्नान करने के लिए टूट पड़े लेकिन व्यवस्था चरमराने लगी। महाकुंभ के लिए कई स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, बस अड्डे से स्पेशल सरकारी बसें चलाई गईं। मोहल्लों से निजी बसें और ट्रेवलरों से आज भी खूब बुकिंग हो रही है। जो लोग अभी तक नहीं जा सके हैं, उनका जाना अभी जारी है, इस कारण अभी तक भीड़ जारी है। 144 साल के बाद समुद्र मंथन जैसा संयोग वाली बात सुनकर लोग महाकुंभ में पुण्य कमाने के लिए टूट पड़े हैं, क्योंकि अभी इसके 10 दिन शेष बचे हैं। प्रशासन को इन हादसों से सबक लेते हुए अब चेत जाना चाहिए, ताकि बचे दिनों में कोई और हादसा न होने पाए।
अज्ञानता को दोष दे रहे कुछ लोग
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकारी और प्रशासनिक इंतजामों की खूब तारीफ कर रहे हैं और इसके लिए जनता को ही दोष दे रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अज्ञानता और जागरूकता के अभाव ने लोगों की जान चली गई। सुनीता देवी ने बताया कि खूब बढि़या इंतजाम हैं। कोई दिक्कत नहीं हैं। लोग खुद ही परेशानी मोल ले रहे हैं। जगह-जगह घोषणा हो रही है कि जहां हैं, उसी घाट पर नहा लें, लेकिन हर कोई संगम नोज तक पहुंचना चाह रहा है। पुलिसकर्मियों और वांलटियरों के मना करने के बावजूद लोग जबरन वहां तक जा रहे हैं। इसमें अहम सवाल यह है कि जब 50 करोड़ लोगों से कुंभ में आने की अपील की गई तो उनके अनुमान में इंतजाम क्यों नहीं किए गए।
नजर आईं खामियां
अनुमान से अधिक भीड़ का प्रशासन अंदाजा नहीं लगा पाया।
आने-जाने का एक ही रास्ता बना हादसे की मुख्य वजह।
कई रास्तों को बंद किया गया है।
रास्तों का कोई साफ रोडमैप नहीं।
अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अपने परिजनों और रिश्तेदारों को डुबकी लगवाने में लगा है।
बाइक वालों की हो रही चांदी
रेलवे स्टेशन से नदी महज तीन से चार किमी दूर है, जबकि बस या अपने वाहन से जाने वाले यात्रियों को 15 से 20 किमी तक भी चलना पड़ा। ऐसे में बाइक वालों की खूब चांदी हो रही है। रविवार को घाट पर मौजूद उमा सिंह ने बताया कि बाइक वाले एक किमी के सौ रुपये ले रहे हैं। उन्होंने पांच किमी के 500 रुपये दिए। उन युवकों की खूब कमाई हो रही है। अधिकतर लोग उन्हीं का सहारा लेकर घाट के आसपास तक जा रहे हैं।
दुर्लभ संयोग की वजह से भीड़
इस बार का महाकुंभ 144 साल बाद आए एक दुर्लभ खगोलीय संयोग के कारण बहुत महत्वपूर्ण बताया गया। कहा गया कि सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों का एक दुर्लभ और शुभ संयोग बन रहा है, ग्रहों का ऐसा संयोग समुद्र मंथन के दौरान बना था। मंथन से इस संयोग से पृथ्वी पर विशेष ऊर्जा का अवतरण होता है, जिससे यह मेला अधिक पवित्र और दिव्य बन जाता है। महाकुंभ में स्नान करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस कारण लोग अमृत स्नान करने को टूट पड़े।
अमृत स्नान करने को टूट पड़े लोग
अमृत स्नान में पहले साधु संत स्नान करते हैं फिर श्रृद्धालु स्नान करते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान लोग संगम तट पर पवित्र स्नान करने से आत्मा शुद्ध हो जाती है और इससे पापों का नाश होता है। इस कारण लोग इस बार पड़ने वाले छह अमृत स्नान पर लोगों की भारी भीड़ जुटी। पांच स्नान बीत चुके हैं, अब केवल एक स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन का बचा है।