सीबीआई ने गिरफ्तारी अंदर रखने के लिए की केजरीवाल ने हाई कोर्ट में दी दलील
नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाले में आज अहम सुनवाई है। दिल्ली हाई कोर्ट आज सीबीआई केस में केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है। ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले ही जमानत दे दी है। हाई कोर्ट से सीबीआई मामले में केजरीवाल को राहत मिलती है तो उनका जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए आज का दिन काफी अहम है। शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल को आज राहत मिलेगी या जेल में रहेंगे इस पर आज दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई हो रही है। सीएम केजरीवाल के समर्थकों का हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार है। हाई कोर्ट में सीबीआई से जुड़े भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के मामले में सुनवाई हो रही है। केजरीवाल ने जमानत के अलावा अपनी गिरफ्तारी को भी दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। खासबात ये है कि केजरीवाल ने सीबीआई से जुड़े मामले में जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका दाखिल नहीं कर सीधा दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिछली सुनवाई पर सीबीआई ने इस बात पर आपत्ति भी जताई थी, लेकिन सीएम केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि वो जमानत के लिए सीधा हाई कोर्ट आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई मामलों में ये व्यवस्था दी है, जिसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को जवाब दाखिल करने का नोटिस देते हुए सुनवाई के लिए आज का समय दिया है। वहीं, दिल्ली हा ईकोर्ट ने सोमवार को ईडी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत को चुनौती दी गई है। यह याचिका अब रद्द हो चुकी शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर की गई। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की एकल पीठ को केजरीवाल के वकील ने बताया था कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने रविवार रात करीब 11 बजे उन्हें अपने जवाब की एक प्रति सौंपी है और उन्हें इसका जवाब देने के लिए समय चाहिए। वकील ने कोर्ट को यह भी बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी और जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था। कोर्ट ने केजरीवाल को दो सप्ताह का समय दिया और मामले को 7 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया। केजरीवाल को 20 जून को एक ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी थी। हालांकि, ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट का आदेश अनुचित, एकतरफा और गलत था। साथ ही साथ निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे।