रंजीता सिंह
गाजियाबाद। कोरोनाकाल के बाद लोगों की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आए और उसी के दौरान एक सबसे बड़ा बदलाव आया कि पुरुषों को घर-गृहस्थी संभालनी आ गई। कई पुरुष जो एक गिलास पानी तक अपने हाथ से नहीं लेते ​थे, वह आज घर में खाना बनाने से लेकर बच्चों की सारी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। 
अशरद एक आईटी कंपनी में काम करते हैं उनकी ​शिफ्ट सुबह से शाम तक रहती है और वह वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। उनकी पत्नी मी​डिया फर्म में हैं। उनकी ड्यूटी शाम से रात तक रहती है। ऐसे में शाम को खाना बनाने से लेकर बच्चे के सुलाने, ​खिलाने से लेकर शू-शू-पॉटी साफ करने तक की जिम्मेदारी अशरद अकेले संभालते हैं। वह कहते हैं कि कोरोना के दौरान जब सब बीमार पड़े तो काम करना आ गया। दो भाइयों के अकेले भाई ने कभी एक गिलास पानी तक नहीं लिया था लेकिन आज वह घर के सारे काम कर लेते हैं। 
यही हाल है कि पुलकित का। उनकी पत्नी ​शि​क्षिका हैं और वह खुद मी​डिया क्षेत्र में रात की ​शिफ्ट में हैं। ऐसे में सुबह का सारा काम पत्नी करके जाती हैं और शाम का खाना बनाने और बच्चों को स्कूल से लाने और होमवर्क कराने की जिम्मेदारी उनकी है। दोनों ने अपने अपने काम बांध रखे हैं। ​इससे न तो विवाद होता है न रोज की चिकचिक ब​ल्कि जिम्मेदारी अलग से आती है। 
यही हाल प्रवेश भाई का है, वह आईटी सेक्टर में हैं, पत्नी बैंकिंग सेक्टर में। उन्हें घर के सारे काम पहले से ही आते थे लेकिन कहते हैं कि अब और ज्यादा आ गए हैं। वह घर से काम करते हैं, जबकि पत्नी को ऑफिस जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चे की सारी जिम्मेदारी वह खुद बखूबी निभाते हैं। आईटी सेक्टर में काम करने वाले पवन ने बताया कि मेरा तो कोरोनाकाल से ही घर से काम चल रहा है लेकिन अब कंपनी ऑफिस बुला रही है लेकिन पत्नी भी जॉब करती हैं और उनका ऑफिस का काम है, इसलिए मैं कोई न कोई बहाना बनाकर बच्चे देखने की  वजह से  घर से ही काम ले रहा हूं। देखते हैं, कब तक चलता है। पहले जहां पुरुष बाहर जाकर काम करते थे और महिलाएं घर संभालती ​थीं, वहीं अब वक्त बदल गया है, अब पुरुष घर से काम करना बेहतर समझ रहे हैं और महिलाएं ऑफिस में जाकर काम कर रही हैं। इसके लिए पुरुष घर का सारा काम और बच्चे देखने को भी तैयार हैं। 

आ​र्थिक संकट के कारण बढ़ा चलन
जानकारों की मानें तो जहां दंपती पहले से नौकरी कर रहे थे, वहां कोई बात नहीं लेकिन जहां महिलाएं घर पर थीं, कोरोना के बाद वह भी नौकरी करने लगी हैं। उसका बड़ा कारण कोविड के समय अचानक आया आ​र्थिक संकट रहा। जिसने कई परिवारों की तो नींव हिला दी। कई परिवारों को तो काफी दिक्कतों से जूझना पड़ा। ऐसे में भविष्य की चिंताओं ने दोनों को कमाने पर मजबूर कर दिया। इस कारण समझौते तो करने ही पड़ेंगे। अ​धिकतर कंपनियां अब घर से काम देने लगी हैं। ऐसे में दिक्कतें तो हैं लेकिन बच्चों के लिए यह फायदेमंद है। माता-पिता कोई न कोई बच्चे के पास रहता है तो इससे उनमें असुरक्षा की भावना नहीं आती, साथ ही पेरेंट्स भी टेंशनफ्री रहते हैं।

बुलाने पर भी नहीं आते ऑफिस
एक आईटी कंपनी के पदा​धिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम लोग कई कर्मियों को ऑफिस बुलाना चाह रहे हैं लेकिन वो अब आने को तैयार ही नहीं हैं, हालांकि इससे कंपनी का खर्च कम हुआ है और फायदा भी है लेकिन जब नया प्रोजेक्ट आता है तब आमने-सामने बात करना बेहतर होता है लेकिन कई कर्मचारी कोई न कोई बहाना बनाकर ऑफिस आने से बचना चाह रहे हैं, उसकी मुख्य वजह बच्चे ही हैं। तृ​प्ति ने बताया कि वह अविवाहित हैं, दो साल से घर से काम कर रही हैं, एक बार कंपनी ने गुरुग्राम ऑफिस में बुला लिया लेकिन कई दिनों तक सीट नहीं मिली। जिस कारण कुछ दिनों बाद फिर वर्क फ्रॉम होम पर भेज दिया गया। कई कंपनियों ने अब खर्चे कम करने के लिए अपने आप को कॉपैक्ट कर लिया है। ​वहां बैठने के स्थान लिमिटेड हैं। रोहित कहते हैं कि जब एम्प्लाई घर से काम करके भी बेहतर रिजल्ट दे रहा है तो ऑफिस बुलाने की क्या जरूरत है। जिसका काम प्रभावित हो रहा है या जो घर से नहीं करना चाह रहा, उसे बुलाओ। कंपनी का तो खर्चा ही बच रहा है।

बच्चों के लिए बेहतर, पर व्य​क्ति के विकास पर विपरीत प्रभाव
हालांकि काउंसलर की मानें तो घर से काम करके बच्चे तो पल रहे हैं ​लेकिन कर्मचारी किसी ने मिलता-जुलता नहीं, केवल घर में  पैक रहता है, उसकी सोशल ए​क्टिविटी कम होती हैं। जिससे कई बार उसमें नेगेटिव ऊर्जा आ जाती है। बाहर जाने से नए लोग मिलते हैं, काम के साथ गपशप होती है, नई बातें सीखने को मिलती हैं तो इससे उसके व्य​क्तित्व का विकास होता है और एक बार जो कर्मचारी घर से काम ही करने को अहमियत देता है, उसमें कंपनी को कई बार दिलचस्पी नहीं रह जाती है, जिसका भविष्य में नुकसान हो सकता है हालांकि सबके अपने पहलू हैं, बच्चों के लिए यह बेहतर कदम है कि माता-पिता में से किसी एक के सामने बच्चा पल रहा है। इससे दोनों अपनी जॉब में टेंशन फ्री होकर काम करते हैं। पुरुष घर का काम करने को आगे आ रहा है यह ब​ढि़या कदम है।