नई दिल्ली। 26 साल पहले वह शाम आज भी दिल्ली के लोगों के लिए नासूर बनी हुई है। इस भीषण त्रासदी में 59 लोगों की जान चली गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

13 जून, 1997 की वह खुशनुमा शाम इस तरह के मातम में बदल जाएगी किसी ने सोचा भी नहीं होगा। इस शाम लोग अपने परिवार और करीबियों के साथ दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाघर में बॉर्डर फिल्म देखने पहुंचे थे। इसी दौरान हॉल में आग लग गई।

उपहार अग्निकांड में किसी ने अपने करीबी को खोया तो किसी ने अपने घर का कमाने वाला इकलौता शख्स। किसी ने अपना पति खोया था तो किसी बहन ने अपना भाई।

अग्निकांड से पीड़ित कुछ मां-बाप तो ऐसे भी हैं जो आज तन्हाई में अपनी जिंदगी की शामें गुजार रहे हैं। कई ऐसे लोग भी हैं, जिनका पूरा परिवार ही इस अग्निकांड में तबाह हो गया।

सिनेमाघर में नहीं के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

दरअसल, शो के दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफॉर्मर कक्ष में आग लग गई जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैली गई, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई है। इनमें 23 बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। साथ ही 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में आग से सुरक्षित बचने के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।

जांच में यह भी पता चला कि कुछ एग्जिट गेट ज्यादा सीटों की वजह से ब्लॉक कर दिए गए थे और बालकनी में बैठकर मूवी देखने वाले लोग लॉबी में इसलिए भी नहीं पहुंच पाए, क्योंकि मुख्य एग्जिट गेट को फिल्म शुरू होते ही ब्लॉक कर दिया गया था।

लोगों को नहीं मिला बाहर जाने का रास्ता

सिनेमा हॉल में आग लगने के बाद लाइट की सप्लाई बंद कर दी गई थी, जिससे पूरे हॉल में अंधेरा छा गया। इससे लोग हॉल से बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं ढूंढ पाए। न ही सिनेमाघर में एग्जिट लाइट, इमरजेंसी लाइट थी और न ही हॉल में फिल्म देख रहे लोगों को आग लगने  के बारे में सूचित किया गया था।

दोषियों को सजा मिलने में क्यों हुई देरी

इस अग्निकांड केस को लेकर आज तक सुनवाई चलती आ रही है, जबकि इस मामले में पहली रिव्यू रिपोर्ट 3 जुलाई 1997 को कर दी गई थी। इसमें सिनेमा मैनेजमेंट को जिम्मेदार मानते हुए आरोप लगाए थे कि उन्होंने सही समय पर लोगों को आग की जानकारी नहीं दी गई थी।

इसके बाद सुशील अंसल और उनके भाई गोपाल के खिलाफ नॉन-बेलेबल वॉरेंट जारी हुआ था और दिल्ली विद्युत बोर्ड के एक ऑफिसर के खिलाफ भी वॉरेंट जारी हुआ था, जिसने उस सिनेमा की ठीक से जांच नहीं की।

दो अग्निशमन अधिकारियों को भी सस्पेंड किया गया था। इसके बाद 22 जुलाई, 1997 पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया था।

कब क्या हुआ

* 24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआई को सौंपी गई।
* 15 नवंबर 1997- सीबीआई ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।
* 10 मार्च 1999- सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।
* 27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।
* 23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हुआ।
* 4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया।
* 27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने उपहार सिनेमा को वापस उसे सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह केस का अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक सौंपा नहीं जाएगा।
* 24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।
* 4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।
* 5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई।
* 2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी।
* 9 अगस्त 2006- सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया।
* 14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई।
* 21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की।
* 21 अगस्त 2007- सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
* 20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।
* 4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।
* 11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।
* 17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
* 19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।
* 30 जनवरी 2009- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया।
* 31 जनवरी 2009- सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में भी अभियुक्तों की सजा को बढ़ाए जाने की मांग की।
* 17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पीड़ितों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
* 5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा।
* 19 अगस्त 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।
* 17 दिसंबर, 2018- दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे
* दिसंबर 2018- दिल्ली हाई कोर्ट ने उपहार सिनेमा अग्निकांड में सजा पाने वाले उसके मालिक सुशील अंसल का पासपोर्ट जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
* 8 अक्टूबर 2021- कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
* 8 नवंबर 2021- पटियाला हाउस कोर्ट ने अंसल बंधुओं को सजा सुनाई।

दोषियों की रिहाई का आदेश

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नवंबर 2021 में अंसल बंधुओं समेत अन्य को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, जुलाई 2022 में सत्र अदालत ने जेल में बिताई गई सजा के आधार पर दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था, क्योंकि दोषियों ने कोर्ट द्वारा निर्धारित सजा पहले ही पूरी कर ली थी। दिल्ली पुलिस ने अंसल बंधुओं की रिहाई के जिला और प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती दी थी।

जुलाई में होगी सुनवाई

दिल्ली HC ने उपहार अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषियों पीड़ितों की सुनवाई की याचिका को स्वीकार कर लिया। इस मामले में सुनवाई 18 जुलाई को होगी। साथ ही अदालत ने पक्षकारों को इस मामले में 4 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को भी कहा है।

हादसे पर बन चुकी है वेब सीरीज

बीते साल दिसंबर में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई  वेब सीरीज 'Trial By Fire' दिल्ली के उपहार सिनेमा अग्निकांड पर आधारित है। सीरीज की कहानी नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति की किताब ट्रायल बाय फायर- द ट्रैजिक टेल ऑफ द उपहार फायर ट्रेजेडी से ली गयी है। इस सीरीज में दिल्ली के दामन पर लगे एक दाग की कहानी को दिखाया है।