SGPC से टकराव में पीछे हटे रघबीर सिंह, याचिका वापसी के साथ जताई बर्खास्तगी की आशंका
चंडीगढ़। अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह मंगलवार को एसजीपीसी के खिलाफ दायर याचिका वापिस ले ली। याचिका में रघबीर सिंह ने सेवा से बर्खास्तगी की आशंका जताई थी। सुनवाई के दौरान जब सिंह के वकील ने कोर्ट से यह याचिका वापिस लेने का आग्रह किया तो कोर्ट ने कहा कि यह याचिका समाचार पत्रों में प्रमुखता से छप चुकी है और अब इसे वापिस ले रहे है।
कोर्ट ने सिंह की याचिका को वापिस लेने की छूट देते हुए खारिज कर दिया। अपनी याचिका में सिंह ने आशंका जताई थी कि उन्हें हेड ग्रंथी के पद से भी बिना किसी पूर्व सूचना और अवसर के हटाया जा सकता है। उनका कहना है कि वह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के भीतर चल रही राजनीतिक खींचतान का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि एसजीपीसी के अध्यक्ष, सचिव और प्रबंधक को उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की अनुचित या पक्षपात पूर्ण कार्रवाई करने से रोका जाए।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि 2 दिसंबर 2024 को अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल को “नैतिक विफलता” के आधार पर पार्टी नेतृत्व से हटाने का आदेश जारी किया गया था, जिसके तहत पार्टी में पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस आदेश से प्रभावित पक्षों को संतुष्ट करने के उद्देश्य से उन्हें अब एक बार फिर निशाना बनाया जा रहा है और एसजीपीसी के कुछ गुट उन्हें जबरन पद से हटाने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2025 में जत्थेदार पद से हटाए जाने के बाद उन्हें सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का हेड ग्रंथी नियुक्त किया गया था जो सिख परंपरा में सर्वोच्च धार्मिक मर्यादा का स्थान रखता है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह न केवल उनके वर्तमान पद की गरिमा की रक्षा करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि उन्हें एसजीपीसी की आंतरिक राजनीति का शिकार न बनाया जाए।