गाजियाबाद। मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया, मजरूह सुल्तानपुरी का यह शेर उन तीन दोस्तों पर सटीक बैठता है, जिन्होंने एक साथ मिलकर चाय सेवा शुरू की। आज उनके इस सफर में डेढ़ सौ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। हम बात कर रहे हैं राजनगर एक्सटेंशन के चौराहे पर हर रविवार को लगने वाली चाय सेवा की, जो जरूरतमंदों की सेवा करने के साथ लोगों को जोड़ने की पहल है।
इसका संचालन करने वाले अनिल शर्मा ने बताया कि मैं, रामकृष्ण साहू और अमित मिश्रा, तीनों ही राजनगर एक्सटेंशन की सोसायटी एमजीआई घरोंदा में रहते हैं। अक्सर घूमते-फिरते तीनों मिल जाया करते थे। धीरे-धीरे बातचीत बढ़ी और तीनों में दोस्ती हो गई। एक दिन सोचा कि भगवान का दिया, हमारे पास सबकुछ है, क्यों न कुछ समाज के लिए भी किया जाए। बस उसी दिन यह बात क्लिक हो गई और चाय सेवा की शुरूआत हो गई। पहला स्टॉल दिसंबर 2020 में रिवर हाईट्स के चौराहे पर लगाया गया। तबसे से लेकर आज तक यह यात्रा सुचारु रूप से जारी है। हम तीनों ही नौकरीपेशा और व्यापारी हैं। हमारी इस यात्रा से अब 150 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। हर रविवार को हम यह स्टॉल लगाते हैं, जिसमें चाय अपने हाथों से बनाई जाती है। उसके साथ हल्का नाश्ता होता है। जिसे 500 से अधिक लोग ग्रहण करते हैं।

चाय की चुस्की से लोग जुड़ते हैं
अनिल कहते हैं कि हम लोग प्रत्येक रविवार को सुबह पांच बजे जुटते हैं। साढ़े सात बजे तक चाय बन जाती है और वितरित होने लगती है। जब तक लोग पीने के लिए आते रहते हैं, वितरण चलता रहता है, चूंकि चाय का समय सुबह ही होता है तो साढ़े नौ बजे तक काम खत्म हो जाता है। चाय की चुस्की से लोग जुड़ते हैं और तरह-तरह की चर्चाएं भी होती हैं।

सब मिलकर सेलिब्रेट करते हैं जन्मदिन, शादी की सालगिरह
रामकृष्ण साहू कहते हैं कि अब लोग जन्मदिन, शादी की सालगिरह और अन्य मौकों पर यहां सामान लेकर आते हैं और सबके साथ सेलिब्रेट करते हैं। जहां आजकल किसी के पास समय नहीं हैं, वहीं आज हमारी चाय सेवा से बहुत से लोग एक-दूसरे जुड़े हैं। दो साल बाद हमारे साथ हरीश चावला भी जुड़े जो आजतक साथ हैं। कई अन्य बुजुर्ग दूर-दूर से यहां सेवा करने आते हैं।