संजय राउत बोले: राहुल से सीखें पीएम मोदी और अमित शाह

शिवसेना उद्धव ग्रुप के नेता संजय राउत ने राहुल गांधी की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि राहुल साफ सुथरे दिल के नेता हैं. राजनीति में गलती मानना बड़ी बात है, लेकिन वह अपनी गलती मान लेते हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारा भाग्य है कि देश में ऐसे नेता हैं.
इसके आगे राउत ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार से हमने देश में अपने प्रधानमंत्री और आर्मी के जनरल को खोया है, लेकिन ये ऑपरेशन उस समय की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने यह बात स्वीकार की है कि वो गल्ती थी, ये बड़ी बात है. राउत ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को उनसे सीखना चाहिए और गलतियां स्वीकार कर आगे जाना चाहिए. राहुल ने ये करके दिखाया है.
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार कांग्रेस की गल्ती’
दरअसल, दो हफ्ते पहले राहुल गांधी अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी गए थे. वहां एक व्यक्ति के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि 1984 में हुए दंगे और ऑपरेशन ब्लू स्टार कांग्रेस पार्टी की पुरानी गलतियां है. वह उस समय राजनीति में नहीं थे. उन्होंने कहा ‘कांग्रेस ने 80 के दशक जो भी गलतियां की, मैं उनकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं’.
बीजेपी IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जो तेजी से वायरल हो रहा है. राहुल की इस बात पर तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. वहीं अमित मालवीय ने कहा कि इस वीडियो के बाद दुनियाभर में राहुल का मजाक बन रहा है.
ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर कांग्रेस अक्सर बीजेपी के निशाने पर रहती आई है. ऐसे में आईये जानते हैं कि आखिर क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?. दरअसल कट्टरपंथी प्रचारक जरनैल सिंह भिंडरावाले ने 1980 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कब्जा कर लिया था. भिंडरावाला मंदिर से देश विरोधी आंदोलन चला रहा था. ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भारतीय सेना ने भिंडरावाला समेत लगभग 300 सहयोगियों को स्वर्ण मंदिर में घुसकर मार दिया था. सेना के ऑपरेशन में अकाल तख्त मलबे में बदल गया था. इससे सिख समुदाय में भारी आक्रोश था.
1984 सिख दंगे
इस ऑपरेशन के कुछ महीनों बाद इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं की रक्षा में तैनात बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने कर दी थी. इंदिरा की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ दिल्ली में जगह-जगह हिंसा हुई. सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इसमें दिल्ली और अन्य जगहों पर 3,000 से अधिक सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इन दंगों का आरोप कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लगा था.