रंजीता सिंह
दिल्ली। जैसे-जैसे देश में गांव से लेकर शहर तक डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी होती जा रही है, उसके साथ ही साइबर ठगी का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। नेशनल साइबर रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म (एनसीआरपी) की ओर से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जालसाजों ने बीते चार सालों में लोगों से 33,165 करोड़ रुपये लूटे। इनमें 2024 में ही अकेले 22,812 करोड़ रुपये की ठगी की गई। 
वर्ष 2021 में ठगों ने जहां लोगों से 551 करोड़ रुपये की ठगी की, वहीं 2022 में 2,306 करोड़ रुपये और 2023 में 7,496 रुपये की धोखाधड़ी की। एक अनुमान के अनुसार 2025 में भी 20 हजार करोड़ से ​अ​धिक ठगी होने का अनुमान है। ऐसे में लोगों को बेहद सावधानी बरतने और सतर्क रहने की आवश्यकता है। 

900 प्रतिशत बढ़े जालसाजी के मामले
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि बीते चार वर्षों में देश में साइबर ठगी के मामले में 900 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। साल दर साल यह आंकड़ा पांच गुना अ​धिक बढ़ता जा रहा है। 

15 लाख से अ​धिक ​शिकायतों की वृद्धि हुई
आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में साइबर ठगी की 1,37,254, शिकायतें दर्ज हुईं, जो 2022 में बढ़कर 5,15,083 पर पहुंच गईं। वहीं 2023 में साइबर धोखेबाजी की 11,31,649 और 2024 में 17,10,505 शिकायतें सामने आईं। इससे पता चलता है कि 2021 की तुलना में 2024 में शिकायतों की संख्या में 15 लाख से अधिक की वृद्धि हुई। 

यूपीआई ठगी के मामले में भी अप्रत्याशित बढ़ोतरी
जैसे-जैसे देश में डिजिटल भुगतान बढ़ रहा है, इसे सुरक्षित बनाए रखने को लेकर चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। बीते वर्ष नवंबर में वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि वित्त वर्ष 2024 में देश में यूपीआई धोखाधड़ी के मामले में 85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 

बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े
आरबीआई की हाल ही में आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि  वित्त वर्ष 2024 के दौरान बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि दर्ज हुई है। अप्रैल और सितंबर के बीच, 18,461 धोखाधड़ी के मामले सामने आए। जिसमें 21,367 करोड़ रुपये ठगे गए। ठगी के ये आंकड़े पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में काफी अधिक हैं, क्योंकि वित्त वर्ष 2023 की समान अवधि के दौरान जालसाजी के 14,480 मामले दर्ज हुए और 2,623 करोड़ रुपये की धनरा​शि ठगी गई। 

क्रेडिट-डेबिट कार्ड के जरिये ठगी से 2024 में 177 करोड़ का नुकसान
बीते वर्ष अगस्त में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से बताया था कि वित्त वर्ष 2023-2024 में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण देश को लगभग 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो 2022-2023 की तुलना में दोगुने से अधिक है। इस प्रकार ज्ञात है कि साल दर साल यह संख्या कई गुना अ​धिक बढ़ती जा रही है। 

पिछले सालों की अपेक्षा बढ़ी ठगी
1-वित्त वर्ष 2024 में 13.42 लाख यूपीआई ठगी के मामले सामने आए, जबकि 2023 में ऐसे मामलों की संख्या 7.25 लाख थी।
2- वित्त वर्ष 2024 में जालसाजों ने 1,087 करोड़ रुपये की चपत यूपीआई धोखाधड़ी के जरिये लगाई। यह रकम 2023 के 573 करोड़ से लगभग दोगुना है।
3-वित्त वर्ष 2024-2025 के पहले ही कुछ महीनों में 16.23 लाख यूपीआई जालसाजी के मामले दर्ज हुए। जिनमें लोगों से 485 करोड़ रुपये लूटे गए।
4-वित्त वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में यूपीआई लेनदेन में 57 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। जहां वित्त वर्ष 2023 में 8,371 करोड़ यूपीआई से लेनदेन हुआ, 
वहीं वित्त वर्ष 2024 में यह 4,742 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 13,113 करोड़ पर पहुंच गया।

क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण होने वाले नुकसान का वर्षवार तुलनात्मक आंकड़ा
वित्त वर्ष हानि (करोड़ रुपये में)
2019-2020 44.22
2020-2021 50.01
2021-2022 80.33
2022-2023 69.68
2023-2024 177.05

कई टियर 2 व 3 शहर बने जालसाजी के केंद्र
सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि बीते कुछ समय में कई टियर-2 और टियर-3 शहर साइबर अपराध हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं। इनमें झारखंड का देवघर, राजस्थान का जयपुर व जोधपुर, हरियाणा का नूंह, उत्तर प्रदेश का मथुरा और गौतमबुद्ध नगर, पश्चिम बंगाल का कोलकाता, गुजरात का सूरत, बिहार का नालंदा और नवादा, कर्नाटक का शहरी बेंगलुरु और केरल का कोझिकोड शामिल हैं।

एनसीआर में ठगी में नोएडा नंबर एक तो गाजियाबाद दूसरे नंबर पर 
गौतमबुद्ध नगर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 2022 में यहां 14 हजार मामले दर्ज किए, जो 2023 में दोगुने होकर 23,172 और 2024 में 25,360 हो गए। ठगी की रकम भी 2024 में डेढ़ गुना बढ़कर 259 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। साइबर क्राइम रिपोर्ट पोर्टल पर गौतमबुद्ध नगर प्रदेश के टॉप शहरों में शामिल है। 2022 से लेकर 2024 के बीच यहां साइबर ठगी के 62 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए। एनसीआरपी (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल) के अनुसार ठगी के मामलों में गौतमबुद्ध नगर पहले और गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है। यहां कई लोगों ने करोड़ों रुपये की रकम गंवाई है। जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को अपने जाल में फंसाकर रकम ठगी।

एनसीआरपी प्राथमिक रिपोर्ट पर होती है कार्रवाई
इस मामले में डीसीपी साइबर प्रीति यादव ने बताया कि 1930 और www.cybercrime.gov.in साइबर क्राइम की शिकायत दर्ज कराने के प्राथमिक प्लेटफॉर्म हैं। यहां आने वाली शिकायत की मॉनिटरिंग नेशनल लेवल पर होती है। साथ ही हर शिकायत को अपडेट किया जाता है। ऐसे में यह एक रिपोर्ट जैसा ही है। पुलिस यहां आने वाले केस पर कार्रवाई करती और लोगों को रुपये भी वापस कराए जाते हैं। ज्यादातर मामलों में यहां हुई शिकायत के बाद ही होल्ड हुए रुपये लोगों को वापस मिल जाते हैं। कुछ मामलों में होल्ड हुए रुपये वापस कराने के लिए रिपोर्ट दर्ज करने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि एक्शन लेने के साथ-साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

सिर्फ 1 फीसदी मामलों में ही एफआईआर
एनसीआरपी पर आने वाली शिकायतों में से सिर्फ 1 फीसदी में ही केस दर्ज होते हैं। कानपुर, आगरा कमिश्नरेट इस मामले में बहुत पीछे हैं।

साइबर ठगों के मददगार बन रहे बैंक अधिकारी-कर्मचारी, जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
हरियाणा साइबर पुलिस ने बीते डेढ़ साल में ऐसे दो दर्जन से अधिक बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इनमें सरकारी और निजी दोनों बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं। विभिन्न बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद जांच में कई तथ्य सामने आए हैं। 

बगैर बैंक कर्मियों की मदद के नियमों को तोड़ना नामुमकिन
साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा के मुताबिक, बैंक में तैनात किसी व्यक्ति की मदद के बिना साइबर ठगी की वारदात को लगातार अंजाम देना संभव ही नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गाइडलाइन में एक खाते में कितने पैसे का ट्रांसजेक्शन होगा, खाते का सत्यापन, पैसे ट्रांसफर करने की सीमा सहित अन्य नीतियां लागू हैं, यदि इसके खिलाफ गतिविधियां होती हैं तो मामला गड़बड़ होता है। इसके लिए साइबर ठग गिरोह के मददगार कुछ बैंक अधिकारी व कर्मचारी ही देश भर में  समस्या बनकर उभर रहे हैं। इनमें ज्यादातर निजी बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी हैं।

देश में उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सबसे ज्यादा मामले दर्ज
2020-2022 के बीच सभी 28 राज्यों में रजिस्टर्ड कुल 1.67 लाख मामलों में से केवल 2,706 लोगों (1.6%) को इन अपराधों के तहत सजा दी गई। नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में 2020 से 2022 के बीच साइबर अपराध से जुड़े सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।

क्या बरतें सावधानी
1-साइबर अपराधों से बचने का सबसे पहला चरण है जागरूकता। आप इसके बारे में जितनी जानकारी रखेंगे आप उतने सुरक्षित रहेंगे।
2-कभी भी अपना नेट बैंकिंग पासवर्ड, वन टाइम पासवर्ड (OTP),एटीएम या फोन बैंकिंग पिन, सीवीवी नंबर, एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी किसी से भी शेयर न करें। भले ही वे आपसे दावा कर रहे हों कि वो आपके बैंक से बात कर रहे हैं, क्योंकि कोई भी बैंक इस तरह की जानकारी नहीं मांगता।
3-हमेशा एक स्ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाएं। कोई आपके अकाउंट के पासवर्ड का अंदाजा न लगा पाए, इसलिए हर अकांउट के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखें। ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड थोड़े-थोड़े टाइम पर बदलते रहें।
4-पब्लिक प्लेस पर कंप्यूटर या वाई-फाई का इस्तेमाल करते समय कोई भी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन न करें। इन कंप्यूटर्स पर की लॉगर्स इंस्टॉल हो सकते हैं, जो कीबोर्ड से इनपुट लेने के लिए बनाए जाते हैं। इससे फ्रॉड करने वालों को आपका यूजरनेम और पासवर्ड चुराने का मौका मिल सकता है।
5-किसी भी ऑनलाइन बैंकिंग पोर्टल\वेबसाइट पर क्रेडिट\डेबिट कार्ड से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के बाद हमेशा लॉग ऑफ करना याद रखें। ऑनलाइन एक्टिविटी पूरी करने के बाद अपने वेब ब्राउजर से ब्राउज किए गए डेटा को डिलीट करना न भूलें।
6-अपने बैंक की वेबसाइट पर विजिट करने या फिर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान हमेशा एड्रेस बार को ध्यान से देखें।
7-अपने बैंक अकाउंट में नियमित रूप से लॉगिन करें, ताकि आप अकाउंट से होने वाली किसी भी प्रकार की संदेहजनक या अनाधिकृत एक्टविटी को तुरंत पकड़ सकें।
8-अपने बैंक का कस्टमर केयर नंबर हमेशा अपने पास रखें, ताकि आप तत्काल संदेहजनक एक्टिविटी या ट्रांजेक्शन रिपोर्ट कर सकें।
9-अपराधियों के लिए इस तरह के ईमेल भेजना बहुत आसान है, जो दिखने में आपके बैंक से आए ईमेल की तरह लग सकते हैं। ऐसे लिंक्स पर क्लिक न करें, भले ही वे असली क्यों ना लग रहे 
10-हमेशा अपने स्मार्टफोन के ऐप स्टोर से ही ई-वॉलेट एप्स को वेरिफाई और इंस्टॉल करें। ई-वॉलेट एप्स को इंस्टॉल करने के लिए ईमेल, एसएमएस या सोशल मीडिया पर दिए गए लिंक्स को फॉलो न करें।
11-ई-वॉलेट में अपने कार्ड या बैंक अकाउंट की डिटेल सेव न करें। इससे सिक्योरिटी में सेंध लगने पर फ्रॉड होने का खतरा रहता है।
12-हमेशा ऑनलाइन फॉर्म में जानकारी टाइप करें और ऑटो फिल के विकल्प को न चुनें।

 फ्रॉड हो जाने पर क्या करें
अगर आपके साथ फ्रॉड हो गया है, तो सबसे पहले अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं। आप आईटी अधिनियम के तहत अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत कर सकते हैं। आप इससे संबंधित कोई सबूत जैसे पिछले महीने के बैंक स्टेटमेंट की प्रतियां, उस धोखाधड़ी में लेन-देन के स्क्रीन शॉट आदि अपने साथ रखें। ऑनलाइन फ्रॉड होने के मामले में आप ऑनलाइन नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी अपने बैंक को भी दें, ताकि आगे होने वाली गतिविधि को रोका जा सके। टोल फ्री नंबर 1930 पर भी ​शिकायत कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर है।