स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक पोस्ट में कहा, ‘एक और जुमले का अंत, स्मार्ट सिटी मिशन खत्म. 100 में से सिर्फ 16 शहरों में काम पूरे होने का दावा और 84 शहरों में 14 हजार करोड़ रुपये के काम अधूरे. सरकार ने 10 साल में 3 बार इस स्कीम की डेडलाइन बढ़ाई. जून 2015 में इस स्कीम का ऐलान किया था. सितंबर 2016 में 60 शहरों का चयन किया. जून 2017 में फिर 30 शहरों का चयन हुआ. इसके बाद जनवरी 2018 में 10 और शहरों का चयन हुआ. 100 शहरों को मार्च 2023 तक प्रोजेक्ट पूरे करने थे.

स्मार्ट सिटी के मापदंड का जिक्र करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने इसी पोस्ट में आगे लिखा…

  • पर्याप्त जल और बिजली आपूर्ति
  • कूड़ा प्रबंधन
  • कुशल सार्वजनिक परिवहन
  • कम आय वर्ग के लिए आवास
  • IT कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण
  • ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
  • पर्यावरण संरक्षण
  • नागरिकों की सुरक्षा
  • अच्छी स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं

स्मार्ट क्या बना यह तो नहीं समझ आया

कांग्रेस नेता ने कहा, इस हिसाब से तो जिन शहरों में काम पूरा होने का दावा किया जा रहा है, क्या वो वाकई में स्मार्ट सिटी बन गए हैं? बरेली से लेकर रांची, सूरत से लेकर वाराणसी, वडोदरा से लेकर पुणे में स्मार्ट क्या बना यह तो नहीं समझ आया. बड़ी-बड़ी सड़कें जरूर अभी भी खुदी हुई हैं. किसानों की दोगुनी आमदनी हो या रुपया डॉलर एक कीमत पर करना या 15 लाख हर अकाउंट में या 2 करोड़ सालाना रोज़गार या 100 स्मार्ट सिटी का जुमला, योजनायें तो खूब ढोल नगाड़े के साथ लाई गईं लेकिन हकीकत में धराशायी हो गईं. ये सिर्फ निकम्मापन ही नहीं, भ्रष्टाचार भी है. स्मार्ट सिटी मिशन के नाम पर हजारों करोड़ फूंक दिए और अब स्कीम बंद कर दी.

इसी पोस्ट में उन्होंने कुछ सवाल भी किए हैं.

  • भला इस खर्च का जवाबदेह कौन है?
  • जनता के हजारों करोड़ रुपये हजम करके डकार भी ना लेने का जिम्मेदार कौन है?
  • कौन है इस फेल्ड स्कीम का जिम्मेदार?
  • क्या मोदी सरकार सिर्फ स्कीम बंद करके काम बीच में छोड़कर अपना पल्ला झाड़ सकती है?