चालू वित्त वर्ष में करीब 283 अरब डॉलर राजस्व अर्जित करने वाला भारतीय आईटी उद्योग अपने दशकों पुराने ढांचे में बड़े बदलाव से गुजर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्वचालन, आर्टि​फिशल इंटेलिजेंस (एआई) और जेनरेटिव एआई (जेनएआई) ने कौशल की तस्वीर बदल दी है और वे प्रवेश स्तर के इंजीनियरों की आवश्यकता को कम कर रहे हैं।

परंपरागत रूप से आईटी सेवा फर्म पिरामिड संरचना का पालन करती थीं जिसमें इंजीनियरिंग के नए स्नातकों की बड़ी संख्या होती थी और तैनाती के लिए तैयार एक बड़ी बेंच स्ट्रेंथ होती थी। मगर अब प्रवेश स्तर पर कम नियुक्तियां और 5 से 13 साल के अनुभव वाले मध्य-स्तरीय कार्यबल की हिस्सेदारी बढ़ रही है।

विशेषज्ञ स्टाफिंग फर्म एक्सफेनो से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि 7 शीर्ष भारतीय आईटी कंपनियों और 10 मझोले आकार की फर्मों में मध्य-कनिष्ठ से मध्य-वरिष्ठ स्तर पर 5 से 13 साल के अनुभव वाले लगभग 6,95,500 कर्मचारी हैं। इसकी तुलना में फ्रेशर्स, एंट्री-लेवल और जूनियर इंजीनियरों की संख्या लगभग 5,30,150 है, जो आईटी ढांचे में बदलाव का संकेत देता है।

एक्सफेनो के सह-संस्थापक और मुख्य कार्या​धिकारी कमल कारंत ने कहा, ‘मध्य स्तर पर कर्मचारियों की बड़ी संख्या है। 2021-2022 में जब बड़े स्तर पर नियु​क्तियां हुई थीं तो उसमें 3 से 5 साल के अनुभव वाले जूनियर प्रतिभा का बड़ा योगदान है।  मध्य स्तर पर 5 से 9 और 9 से 13 साल के अनुभव वाले कर्मचारियों की भी बड़ी तादाद है। पिछले तीन साल के दौरान निचले स्तर के कर्मचारियों की संख्या अपेक्षाकृत कम हुई है।

पिछले तीन साल से धीमी वृद्धि के माहौल ने भी इसमें योगदान दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार कंपनियों को अब लाइव प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम करने के लिए ज्यादा अनुभवी लोगों की जरूरत है।

एचसीएलटेक के सीईओ और प्रबंध निदेशक सी विजयकुमार ने बताया, ‘हम कितनी नियु​क्तियां करते हैं और प्र​शिक्षण देते हैं, उसके आधार पर संरचना में बदलाव होगा और यह सामान्य पिरामिड के बजाय डायमंड की संरचना जैसी होगी।’

इस परिवर्तन का अर्थ है कि आधार स्तर पर कर्मचारियों की संख्या कम हो जाएगी तथा मध्य स्तर पर 5 से 13 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियरों की संख्या बढ़ जाएगी क्योंकि कोडिंग का ज्यादातर काम स्वचालित हो जाएगा।

पिरामिड संरचना में निचले स्तर पर ज्यादा कर्मचारी होते हैं और ऊपर की ओर संख्या क्रमश: घटती है। मगर डायमंड संरचना में मध्य स्तर के कर्मचारियों की तादाद ज्यादा होती है और निचले स्तर के कर्मचारियों की संख्या कम होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव आगे चलकर और अधिक पुख्ता होगा क्योंकि उद्योग में पहले की तरह बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होने की संभावना नहीं है।

हालांकि विजयकुमार ने कहा कि एचसीएल प्रवेश स्तर के इंजीनियरों को नियुक्त करना जारी रखेगी मगर उनसे अपेक्षाएं अधिक होंगी ताकि वे केवल कोडिंग करने के बजाय कोडिंग असिस्टेंट द्वारा लिखे गए कोड को सत्यापित कर सकें।’

दूसरी ओर फ्रेशर्स को प्रशिक्षित करने में ज्यादा समय और पैसा लगता है मगर कई कंपनियां अ​स्थिर वै​श्विक हालात में सतर्कता बरत सकती हैं। अगर अगले वित्त वर्ष में भर्ती धीमी हो जाती है तो आकार में बदलाव और भी व्यापक हो जाएगा।