गाजियाबाद। संकरी-टूटी हम-तुम सड़क और इस पर चल रहे सैकड़ों डंपर लोगों की जिंदगी लील रहे हैं। पिछले चार महीने में डंपर और हाइड्रा की टक्कर से दो लोग दम तोड़ चुके हैं, तो हाल ही में डंपर की टक्कर से 39 साल के प्रशांत त्यागी अपना दाहिना हाथ गंवा चुके हैं। माता-पिता की सेवा करने की उम्र में उनकी सेवा उनके बुजुर्ग माता-पिता कर रहे हैं।
बीते दो दिसंबर को हादसे का शिकार हुए प्रशांत को अभी तक अपने सीधे हाथ कटने का यकीन नहीं हो रहा है। वह पूरी रात कभी अपने माता-पिता को अपनी अंगुली तो कभी अपनी कोहनी दिखाते हैं। यह सुनकर उनके 73 साल के बुजुर्ग पिता देवेंद्र कुमार त्यागी की आंख में आंसू आ जाते हैं। वह कहते हैं कि बेटा बंगलुरू में नौकरी कर रहा था, लेकिन बुढ़ापे में अकेलापन होने के कारण उसे 2021 में गाजियाबाद बुला लिया। हाल ही में वह गढ़मुक्तेश्वर में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहा था। दो दिसंबर को सुबह सवा नौ बजे वह स्कूटी से पास की एक दुकान में जा रहा था, तभी दो डंपर एक साथ निकले, सड़क संकरी व टूटी होने के कारण वह किनारे गिर पड़ा। एक डंपर उसका हाथ कुचलता हुआ निकल गया। एक निजी अस्पताल में तीन दिन ऑपरेशन चला। इसके बाद हाथ काटना पड़ा। एक हफ्ते बाद प्लास्टिक सर्जरी की गई। अब हर पांचवें दिन पट्टी कराने के लिए अस्पताल लेकर जाना पड़ता है। निजी नौकरी के कारण कोई पेंशन नहीं मिलती और बेटे के इस हादसे में घायल होने के बाद सारी जमापूंजी 15 लाख से अधिक लगा चुके हैं। उनका कहना है कि बेटा हमारी सेवा करने आया था, उसे क्या पता था कि यह सब हो जाएगा। इस उम्र में वह घर चलाने के लिए एलआईसी एजेंट का काम करते हैं और एक परचून की दुकान भी चलाते हैं लेकिन हादसे के बाद से सब ठप है। पूरे दिन-रात बेटे की सेवा में लगे रहते हैं। डॉक्टर ने छह महीने बाद प्लास्टिक हाथ लगने की संभावना जताई है।

मां मंजू कहती हैं कि दर्द के मारे पूरी रात कराहता है। कभी कहता है कि मेरी कोहनी यहां है, मेरी अंगुली यहां है। हाथ नहीं रहा, उसे इस बात का यकीन नहीं हो रहा है। यह बताते हुए वह रोने लगती हैं। यह सुनकर प्रशांत की आंखें भी भर आती हैं। वह कहते हैं कि सोचा था कि बुढ़ापे में माता-पिता का सहारा बनूंगा लेकिन उन्हीं को इस उम्र में मेरी सेवा करनी पड़ रही है। मेरी प्रशासन से मांग है कि इस सड़क पर बड़े वाहनों के चलने पर रोक लगाई जाए। सड़क को चौड़ा किया जाए और गड्ढों को भरकर मरम्मत की जाए। इस सड़क पर एक मिनट में 50 से 60 डंपर, ट्रक और नगर निगम व नगर पालिका के वाहन गुजरते हैं। पीछे कूड़ा घर बना रखा है और उधर ही कई सोसायटी का निर्माण चल रहा है। यह पूरे दिन कूड़ा और मिट्टी ढोते रहते हैं। यह बेहद तेजी से दौड़ते हैं और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। इस संकरी सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए। यहां कोलंबिया एशिया स्कूल, सेंट फोर्ट स्कूल व रिलायबल संस्थान है। इसमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं। इसके साथ आठ बहुमंजिला सोसायटी में हजारों लोग रहते हैं। प्रशासन सबकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
 

जीडीए के नक्शे में थी 24 मीटर की सड़क
डीके त्यागी कहते हैं कि जब 2018 में उन्होंने मोती रेजीडेंसी में मकान लिया था, उस समय जीडीए के नक्शे में सामने वाली हम-तुम रोड को 24 मीटर का दिखाया गया था, लेकिन मौके पर यह मात्र आठ मीटर की बची है। इस रोड पर पूरे दिन निजी और नगर निगम व नगर पालिका के डंपर चलते हैं। सड़क बेहद पतली है, इसलिए वह आए दिन किसी ने किसी को कुचलकर जाते हैं। इस संबंध में कई बार लोगों ने मिलकर नगर निगम और जीडीए को शिकायत दी, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। पूरी सड़क में गड्ढे ही गड्ढे हैं।

पिछले पांच महीने में दो लोगों को कुचल चुका है डंपर, तोड़ा दम
1. 12 नवंबर 2024 को 36 साल की गुड़िया हम-तुम रोड पर पैदल बाजार जा रही थीं। पीछे से बड़े वाह हाइड्रा ने टक्कर मार दी। उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
2. 29 अगस्त को गौरव और चंचल दो भाई नोएडा से ड्यूटी करके बाइक से लौट रहे थे। निलायाग्रीन के पास उनकी बाइक को डंपर ने टक्कर मार दी। इसमें महज 27 साल के गौरव की मौत हो गई।

जनवरी के पहले हफ्ते में शुरू हो जाएगा काम
नगर निगम के मुख्य अभियंता एनके चौधरी का कहना है कि टेंडर खुल चुका है वित्तीय बिड भी खुल चुकी है। वर्क आर्डर जारी किए जा रहे हैं।