गाजियाबाद। आधुनिकता के इस दौर में जहां खाने से लेकर कपड़े तक, सब्जी से लेकर घर का हर सामान ऑनलाइन मंगाया जा रहा है, वहीं अंतिम संस्कार के लिए भी परिजन अब ऑनलाइन सेवाएं ले रहे हैं। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर में कुछ कंपनियां काम कर रही हैं। यह पंडितजी से लेकर अंतिम क्रिया कराने तक का पूरा पैकेज उपलब्ध करा रही हैं। विदेश से शव मंगाने का खर्चा सात से 10 लाख रुपये तक है।

इस संबंध में हिंडन नदी स्थित मोक्षधाम में अंतिम क्रियाकर्म कराने वाले आचार्य के नाम से प्रसिद्ध मनीष शर्मा कहते हैं कि यह चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। आजकल लोगों के पास समय का अभाव है और पैसों की कमी नहीं है तो ऐसे लोग इन कंपनियों से पैकेज ले रहे हैं। यहां दिल्ली-एनसीआर से लेकर विदेश तक से शव आते हैं। इस साल तीन शव अमेरिका, कनाडा से आए। इससे पहले आस्ट्रेलिया और दुबई से भी आए थे। वह कहते हैं कि यह शव उनके होते हैं जो विदेश में रहते हैं या परिजनों के पास जाते हैं, वहां उनकी मौत हो जाती है और वह चाहते हैं कि उनका अंतिम संस्कार अपने ही देश में हो। ऐसे मृतकों के परिजन ऑनलाइन सेवा लेते हैं। ऐसी कंपनियां विदेश से देश में शव लाने तक और अंतिम संस्कार की पूरी क्रिया कराने का पूरा काम करती हैं। इसका पैकेज लाखों में होता है। दिल्ली-एनसीआर में भी लोग ऐसा पैकेज ले रहे हैं। ऐसे यहां हर महीने 15 से 20 ऐसे लोग आते हैं।

एनसीआर में प्रतिमाह 100 से 150 लोग ले रहे पैकेज

दिल्ली-एनसीआर में अंतिम संस्कार के लिए सेवा दे रहे नोबल स्प्रैरो ऑनलाइन कंपनी के निदेशक जतिन भार्गव का कहना है कि प्रतिमाह विदेश से 15 से 20 लोग ऑनलाइन पैकेज लेते हैं और 100 से 150 लोग एनसीआर में सेवा ले रहे हैं। इसमें एंबुलेंस सेवा घर से शव को लेकर श्मशान घाट तक आती है। यहां पंडितजी, फूल, पूजा सामग्री, कफन, घी आदि का पूरा इंतजाम करती है। कागजात के नाम पर मृतक और अंतिम संस्कार करने वाले का आधार कार्ड चाहिए होता था।

विदेश से शव लाने में लग जाता है एक सप्ताह

लास्ट जर्नी में जब हमने सेवा लेने की बात कहकर बात की तो उन्होंने बताया कि शव, विदेश से देश में लाने में कम से कम एक हफ्ते लग जाते हैं। दोनों देशों की कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। मौत कैसे हुई, यह पता लगाया जाता है। उसका पोस्टमार्टम और डॉक्सी करानी पड़ती है। शव को घर से लाकर फ्रिजर में रखने और उसके बाद अपने देश लाने की पूरी प्रक्रिया में सात से आठ लाख रुपये तक का खर्चा आता है। अगर उसके बाद अंतिम संस्कार कराना है तो उसका खर्चा अलग है। इस कंपनी में दिल्ली के इंचार्ज अमिताभ मुखर्जी का कहना है कि हर महीने 15 से 20 लोग विदेश से पैकेज ले रहे हैं।

पंडितजी की 2100 रुपये दक्षिणा है निर्धारित

अगर कोई मौत के बाद शव के स्नान आदि के लिए पंडितजी को घर बुलाना चाहे तो उनकी कम से कम 2100 दक्षिणा निर्धारित है। बाकी परिजनों के ऊपर निर्भर है। दिल्ली-एनसीआर में पैकेज के दाम श्मशान घाट की दूरी के अनुसार 12 से लेकर 20 हजार रुपये तक निर्धारित हैं। जिसमें एंबुलेंस सेवा, पंडितजी, पूजा सामग्री, कफन, घी, फूल आदि सब शामिल हैं।

हर देश से लाने का खर्च और समय अलग-अलग है

अमिताभ मुखर्जी ने बताया कि हर देश के अलग-अलग पैकेज हैं। शहर की दूरी, दिक्कतें, समय आदि को देखकर यह निर्धारित किया जाता है। कनाडा से भारत लाने का खर्चा सात से आठ लाख रुपये आता है।

कई लोग अस्थि विसर्जन भी कराते हैं

आचार्य मनीष कहते हैं कि विदेश में मौत होने पर अधिकतर मामलों में परिजन नहीं आते। केवल शव आता है। शव को कंपनियां पहले घर ले जाती हैं। वहां दर्शन के बाद शव को श्मशान घाट लाया जाता है। वीडियो कॉल पर परिजन पूरी प्रक्रिया देखते हैं। कई लोग तो अस्थि विसर्जन भी हमसे ही कराते हैं।

सेवा देने वाली ऑनलाइन कंपनियां

नोबल स्प्रैरो, लास्ट जर्नी और जस्ट डायल के जरिए भी आप सेवा ले सकते हैं। नोएडा की एक और अग्रवाल कंपनी भी काम कर रही है, हालांकि वह ऑनलाइन रजिस्टर्ड नहीं है।

सर्दियों में बढ़ जाता है मौत का आंकड़ा

मोक्षधाम में अंतिम क्रिया कर्म कराने वाले आचार्य मनीष कहते हैं कि सर्दियों में मौत का आंकड़ा बढ़ा है। साधारण दिनों में प्रतिदिन छह से सात शव अंतिम संस्कार के आते हैं लेकिन ठंड शुरू होते ही आंकड़ा बढ़ गया है। अब प्रतिदिन 12 से लेकर 18 तक शव प्रतिदिन आ रहे हैं। इस साल 1 जनवरी 2024 से 30 अक्तूबर तक 376 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया। सबसे अधिक लावारिसों शवों का संस्कार जून की तपती गर्मी में किया गया। जब भीषण गर्मी से खूब मौतें हो रही थीं।