गाजियाबाद। गाजियाबाद उपचुनाव का परिणाम शनिवार को आएगा। चार लाख 61 हजार से अ​धिक मतदाता वाली सीट पर मात्र एक लाख 30 हजार वोट पड़े हैं। बेहद शर्मिंदाजनक वोटिंग के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि महज 33 प्रतिशत की वोटिंग में बाजी कौन ले जाएगा। इस सीट पर सबसे दिलचस्प पहलू यह भी मुख्य तीन प्रत्या​शियों बसपा, सपा व भाजपा में से दो प्रत्याशी इस सीट से मतदाता नहीं थे। केवल सपा के सिंह राज जाटव का यहां वोट था। इसके अलावा सभी 14 प्रत्या​शियों में ​अ​धिकतर सदर क्षेत्र में मतदाता नहीं थे, ऐसे में क्या बाहरी का फैक्टर यहां काम करेगा, ये देखना भी दिलचस्प होगा। 
अगर क्षेत्र के निवासी की बात करें तो समाजवादी पार्टी के सिंह राज जाटव यहां के बेहद पिछड़े इलाके प्रताप विहार सेक्टर-12 के रहने वाले हैं और यहीं के रहने वाले हैं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के उम्मीदवार रवि कुमार गौतम। ऐसे में इन दोनों के बीच भी कांटे के टक्कर की पूरी संभावना है। दोनों के यहां के ​मु​स्लिम और दलित क्षेत्र में खूब बस्ते नजर आ रहे थे। रवि गौतम ने यहां घर-घर जाकर बहुत मुलाकातें की हैं और बहुत पदयात्रा भी कीं, हालांकि इसमें सौ प्रतिशत सच है कि यहां सबसे अ​धिक प्रचार भाजपा ने किया, उसे इसका कितना फायदा मिलेगा, ये तो कल पता ही चल जाएगा। 
अगर बात करें निवास स्थान की तो भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा साहिबाबाद के शालीमार गॉर्डन के रहने वाले हैं। बीएसपी के परमानंद पटेल नगर गा. के निवासी हैं। हिन्दुस्तान निर्माण दल की
पूनम साहिबाबाद राजेंद्र नगर सेक्टर-दो की,  राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी (सत्य) के धर्मेन्द्र सिंह राजनगर एक्सटेंशन में केडब्ल्यू सृ​​ष्टि के, सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी (सुभास पार्टी) के रवि कुमार पांचाल साहिबाबाद राजेंद्र नगर सेक्टर-दो, आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) सत्यपाल चौधरी दादरी गौतमबुद्धनगर, निर्दलीय मिथुन जायसवाल संजय नगर गा., 
निर्दलीय रुपेश चंद्र रायबरेली के, सम्राट मिहिर भोज समाज पार्टी पवन लोनी गा., निर्दलीय विनय कुमार शर्मा नेहरू नगर गा., निर्दलीय शमशेर राणा प्रताप विहार सेक्टर-11 और राष्ट्रीय बहुजन कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी गयादीन अहीरवाल नोएडा सेक्टर -37 के रहने वाले हैं। ऐसे में सिंह राज जाटव, रवि गौतम, शमशेर राणा और विनय कुमार शर्मा, केवल यह चार ही इस सदर सीट पर मतदाता थे, बाकी सभी प्रत्याशी ​शहर के दूसरे क्षेत्रों के वासी है। क्या चुनाव में यह फैक्टर भी काम करेगा या फिर ध्रुवीकरण की राजनीति हावी रहेगी, यह कल पता चलेगा।