नई दिल्ली। वरिष्ठ भाजपा नेता जय भगवान गोयल ने कहा वह दिन दूर नहीं है, जब गऊ माता को ’राष्ट्र माता’ का दर्जा मिलेगा, जिसकी शुरूआत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने कर दी है। उन्होंने गऊ माता को ‘राज्य माता’का दर्जा देकर बेहद सराहनीय कार्य किया है। बरसों से हमारा संत समाज हमारे हिन्दू संगठन यह मांग करते आ रहे थे कि गऊ माता को ‘राष्ट्र माता’ का दर्जा मिलना चाहिए। जिससे हमारी गऊ माताओं की हत्याएं बंद हो सकें। 
गोयल ने कहा कि आज जब दुनिया के बहुत से देश अपनी संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं और भारतीय संस्कृति हजारों वर्षों के संघर्ष के बाद भी कायम है, तो इसके मूल में कहीं न कहीं गाय है। गाय हमारी संस्कृति की प्राण है, चेतना है। प्राचीन काल से ही गाय भारतीय संस्कृति व परंपरा का मूलाधार रही है। गंगा, गोमती, गीता, गोविंद की भांति शास्त्रों में गाय भी अत्यंत पवित्र मानी गई है। गोपालन व गो-सेवा और गोदान की हमारी संस्कृति में महान परंपरा रही है। गो-सेवा भी सुख व समृद्धि का एक मार्ग है। वेद-पुराण, स्मृतियां सभी गो-सेवा की उत्कृष्टता से ओत-प्रोत हैं। भारतीय संस्कृति के अनुसार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थों का साधन भी गोमाता ही रही हैं। दरअसल भारत की संस्कृति मूल रूप से गो-संस्कृति कही जाती है। गाय श्रद्धा के साथ-साथ हमारी अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य एवं संस्कृति का प्रमुख आधार है।
गोयल ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है। तभी से गाय को अर्थव्यस्था की रीढ़ माना जाता है। हिन्दू धर्म में गाय के महत्व के कुछ आध्यात्मिक, धार्मिक और चिकित्सीय कारण भी रहे हैं। गाय एकमात्र ऐसा पशु है, जिसका सब कुछ सभी की सेवा में काम आता है। गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। आजकल भूमि भी जहरीली होती जा रही है जिससे उसमें उगने वाली वनस्पतियों में विषाक्तता बढ़ती जा रही है। इसके लिए हमें गोबर की खाद का प्रयोग करना होगा, तभी हमारी भूमि बच सकती है। इसके लिए हमें गाय को बचाना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गाय को 'राज्य माता' का दर्जा देने का नेक फैसला किया है।